बलूचिस्तान के वरिष्ठ मानवाधिकार कार्यकर्ता मीर यार बलूच ने अमेरिका और पाकिस्तान के हालिया समझौते पर गहरी नाराज़गी जताई है. उनका कहना है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पाकिस्तान को बलूचिस्तान के विशाल और अनछुए खनिज भंडार तक पहुंच देकर एक गंभीर रणनीतिक भूल की है. मीर के अनुसार, यह कदम न केवल बलूचिस्तान बल्कि पूरी दुनिया की शांति और स्थिरता के लिए खतरा बन सकता है.
मीर यार बलूच ने आरोप लगाया कि इस समझौते के महज 48 घंटे बाद ही पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर ने खुले मंच से ‘आधी दुनिया’ को परमाणु हथियारों से तबाह करने की धमकी दे डाली. इतना ही नहीं, उन्होंने भारत की सीमाओं के भीतर स्थित बड़े बांधों को नष्ट करने की भी कसम खाई. मीर ने कहा कि पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ, पीपीपी अध्यक्ष बिलावल भुट्टो और प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने इस खतरनाक बयानबाज़ी को बढ़ावा देकर हालात और गंभीर बना दिए हैं.
वैश्विक शांति के लिए बड़ा खतरा
मीर ने अपने बयान में याद दिलाया कि अतीत में भी अमेरिका ने पाकिस्तान की परमाणु क्षमताओं को नज़रअंदाज़ किया था, जिसके परिणामस्वरूप यह देश आज पूरे क्षेत्र की शांति के लिए स्थायी खतरा बन चुका है. उन्होंने कहा, “पाकिस्तान के नेता अब खुलेआम परमाणु हथियारों का प्रचार कर रहे हैं, उनके प्रधानमंत्री ईरान को भी परमाणु हथियार हासिल करने की वकालत करते हैं, जबकि ईरान पहले ही इजरायल को मिटाने की धमकी दे चुका है.”
खनिज संसाधनों पर कब्ज़े की आशंका
बलूच नेता का कहना है कि यदि पाकिस्तान को बलूचिस्तान के तेल, गैस, यूरेनियम, सोना, चांदी, तांबा और अन्य दुर्लभ खनिजों पर कब्ज़ा करने का मौका मिला, तो यह उसके आतंकवाद को नए और विनाशकारी स्तर तक पहुंचा देगा. उन्होंने चेतावनी दी कि इससे न सिर्फ दक्षिण एशिया, बल्कि पूरी दुनिया असुरक्षित हो जाएगी.
‘वैश्विक आत्मविनाश’ की ओर कदम
मीर यार बलूच ने सख्त शब्दों में कहा कि पाकिस्तान के साथ व्यापार, उसकी सेना को हथियार उपलब्ध कराना, या किसी भी रूप में साझेदारी करना महज़ ‘लापरवाही’ नहीं बल्कि ‘वैश्विक आत्मविनाश’ का कदम होगा. यह पूरी मानवता की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ है.
बलूचिस्तान की प्रतिबद्धता
उन्होंने दोहराया कि बलूचिस्तान एक जिम्मेदार राष्ट्र की तरह क्षेत्रीय शांति, स्थिरता और विकास के प्रति प्रतिबद्ध है. मीर के अनुसार, “हमारे लोग कभी भी अपने प्राकृतिक संसाधनों को पाकिस्तान की कट्टरपंथी सेना द्वारा लूटने की अनुमति नहीं देंगे, ताकि वे परमाणु धमकियों को वित्तपोषित कर सकें, 9/11 जैसी साजिश रच सकें या आईएसआईएस और अल-कायदा जैसे आतंकी संगठनों को शरण देते रहें.”
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