शहबाज शरीफ ने दिया ऐसा फरमान, अफगान लड़कियों को नरक में झोंकने को आतुर! रिपोर्ट में सनसनीखेज खुलासा

    पाकिस्तान में रह रहे हजारों अफगान शरणार्थियों के लिए हालात लगातार कठिन होते जा रहे हैं. प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की सरकार ने गैर-कानूनी विदेशियों की वापसी योजना को और कड़ा करते हुए देश के बड़े शहरों—इस्लामाबाद, कराची, लाहौर समेत कई इलाकों में अफगानों पर कार्रवाई तेज कर दी है.

    Afghan Refugees in Pakistan Shahbaz Sharif order to send back
    Representative Image Source: Freepik

    पाकिस्तान में रह रहे हजारों अफगान शरणार्थियों के लिए हालात लगातार कठिन होते जा रहे हैं. प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की सरकार ने गैर-कानूनी विदेशियों की वापसी योजना को और कड़ा करते हुए देश के बड़े शहरों—इस्लामाबाद, कराची, लाहौर समेत कई इलाकों में अफगानों पर कार्रवाई तेज कर दी है. इसमें वे लोग भी शामिल हैं, जिन्होंने 2021 में तालिबान के अफगानिस्तान में सत्ता में आने के बाद वहां से भागकर पाकिस्तान में शरण ली थी.

    खामा प्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, 2023 के अंत में इस नीति के दोबारा लागू होने के बाद से हजारों अफगानों पर देशव्यापी कार्रवाई की गई है. केवल अप्रैल में ही 1,44,000 से अधिक अफगान नागरिक अपने देश लौटे, जिनमें लगभग 30,000 को जबरन निकाला गया. पुलिस छापों में पकड़े गए परिवारों को हिरासत में लेकर डिपोर्टेशन सेंटर भेजा जा रहा है.

    कमजोर वर्गों पर गंभीर असर

    पाकिस्तान मानवाधिकार आयोग ने इस कार्रवाई को "जबरन प्रत्यावर्तन" बताते हुए अंतरराष्ट्रीय कानून के खिलाफ करार दिया है. महिलाओं, बच्चों, बुजुर्गों, विकलांगों और संवेदनशील पेशों से जुड़े लोगों पर इसका सीधा असर पड़ा है. पाकिस्तान में पली-बढ़ी कई अफगान लड़कियों को ऐसे माहौल में लौटना पड़ रहा है, जहां तालिबान ने लड़कियों की शिक्षा पर प्रतिबंध लगा रखा है.

    कठिन हालात में लौटते शरणार्थी

    अफगानिस्तान लौटने वाले शरणार्थी ऐसे देश में कदम रख रहे हैं, जो पहले से आर्थिक संकट, जलवायु आपदाओं और मानवीय संकट से जूझ रहा है. सीमित संसाधनों के कारण तालिबान प्रशासन की ओर से उन्हें बहुत कम मदद मिल रही है. नतीजतन, कई परिवार अस्थायी तंबू बस्तियों में रहने को मजबूर हैं.

    तनाव और आरोप-प्रत्यारोप

    अफगान अधिकारियों ने पाकिस्तान पर आरोप लगाया है कि वह शरणार्थियों का राजनीतिक और आर्थिक लाभ के लिए इस्तेमाल कर रहा है. तालिबान के कार्यवाहक प्रधानमंत्री मुल्ला मोहम्मद हसन अखुंद ने इस नीति को "क्रूर" बताते हुए रोकने की अपील की है. हालांकि तालिबान का कहना है कि अफगान भूमि का इस्तेमाल इस्लामाबाद के खिलाफ नहीं होगा, फिर भी दोनों देशों के बीच तनाव बना हुआ है.

    कानूनी अधिकारों का उल्लंघन और शोषण

    रिपोर्ट्स में यह भी सामने आया है कि पीओआर कार्डधारकों को, जिन्हें जून तक रहने की अनुमति है, फिर भी गिरफ्तारी और हिरासत का सामना करना पड़ रहा है. इसके अलावा, अफगान स्वामित्व वाले छोटे व्यवसायों को बंद कर दिया गया है. कुछ स्थानीय दलाल और दस्तावेज बनाने वाले ‘फ्रंट मैन’ इस पलायन के दौरान अफगानों से मोटी रकम वसूल रहे हैं, जिससे उनकी परेशानियां और बढ़ गई हैं.

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