Patna Digital Arrest: आज के डिजिटल युग में अपराध के तरीके जितनी तेजी से बदल रहे हैं, उतनी ही तेजी से लोग ठगी के जाल में फंसते जा रहे हैं. साइबर ठगों ने अब एक ऐसा तरीका अपनाया है जिसे डिजिटल अरेस्ट कहा जा रहा है. यह केवल एक शब्द भर नहीं, बल्कि मानसिक और आर्थिक कैद का एक भयावह रूप बन चुका है. ताजा मामला बिहार की राजधानी पटना से सामने आया है, जहां पीएमसीएच से रिटायर्ड एक डॉक्टर दंपती को 12 दिनों तक ‘डिजिटल अरेस्ट’ में रखकर करीब 1 करोड़ 95 लाख रुपये की ठगी कर ली गई.
कैसे रची गई ठगी की पटकथा?
हनुमान नगर इलाके में रहने वाले डॉक्टर राधे मोहन प्रसाद और उनकी पत्नी छवि प्रसाद को 21 मई को एक कॉल आता है. कॉल करने वाला खुद को सीबीआई अधिकारी बताता है और कहता है कि मुंबई के कोलाबा थाने में उनके नाम पर मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज है. आरोपी ने बेहद पेशेवर अंदाज में डॉक्टर को विश्वास में लिया और आगे की बातचीत के लिए कोलाबा थाने का फर्जी नंबर भी दे डाला. जब डॉक्टर ने उस नंबर पर कॉल किया, तो दूसरी तरफ से पुलिस अफसर, वकील और यहां तक कि जज बनकर लोगों ने बात की. वीडियो कॉल में पुलिस की ड्रेस में दिखने वाले लोग भी थे, जिससे डॉक्टर दंपती का शक मिट गया.
ट्रांसफर कर दिए करोड़ों
साइबर ठगों ने कहा कि अगर वे तुरंत सहयोग नहीं करेंगे तो उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाएगा और उनकी संपत्ति सीज कर दी जाएगी. डर का ऐसा माहौल बना कि डॉक्टर दंपती ने खुद जाकर छह किस्तों में RTGS के जरिए 1.95 करोड़ रुपये ठगों के बताए खातों में ट्रांसफर कर दिए.
जब आई सच्चाई सामने
पैसे ट्रांसफर करने के बाद भी डॉक्टर दंपती को लगातार निर्देश मिलते रहे कि वे घर से बाहर न जाएं, किसी से बात न करें और "जांच पूरी होने तक" ऑनलाइन निगरानी में रहें. 12 दिन बाद जब उन्हें कुछ संदेह हुआ, तो बेटे डॉक्टर सौरभ से संपर्क किया और पूरी बात बताई. तब जाकर उन्हें इस साइबर ठगी का अहसास हुआ.
पुलिस की तत्परता से बचा कुछ नुकसान
जैसे ही शिकायत साइबर थाने में दी गई, पुलिस हरकत में आ गई. डीएसपी राघवेंद्र मणि त्रिपाठी ने बताया कि एफआईआर दर्ज कर ली गई है और अब तक पीड़ित के 53 लाख रुपये को होल्ड करवा लिया गया है. आगे की जांच तेज़ी से जारी है.
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