जैसे ही स्वतंत्रता दिवस पास आता है, आसमान रंग-बिरंगी पतंगों से भरने लगता है. बच्चों से लेकर युवाओं तक हर कोई पतंगबाज़ी का लुत्फ उठाना चाहता है. लेकिन इस मनोरंजन के बीच एक गंभीर खतरा भी पनप रहा है— चाइनीज मांझा. यह केवल एक डोर नहीं, बल्कि जान लेने वाला जाल बन चुका है.
पतंगबाज़ी के जुनून में घुला ज़हर
कई इलाकों में लोग पतंग उड़ाने के लिए पारंपरिक सूती धागे का इस्तेमाल करते हैं, जबकि कुछ लोग कोटेड यानी चाइनीज या सिंथेटिक मांझे का सहारा लेते हैं. दिखने में यह चमकदार और मजबूत लगता है, लेकिन इसकी धार इतनी तेज होती है कि यह किसी ब्लेड से कम नहीं.
गर्दन पर वार, जान पर आफ़त
चाइनीज मांझे से जुड़े कई भयावह हादसे सामने आ चुके हैं. यह मांझा जब हवा में लहराते हुए किसी राह चलते इंसान के गले या चेहरे से टकराता है, तो गंभीर चोटें लग सकती हैं. कुछ मामलों में लोगों की जान तक चली गई है. बाइक सवार, पैदल चलने वाले और यहां तक कि पक्षी भी इसकी चपेट में आकर घायल हो चुके हैं.
कानून की सख्ती, फिर भी जारी है गोरखधंधा
सरकार ने इस जानलेवा धागे पर सख्त प्रतिबंध लगा रखा है. पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 और भारतीय दंड संहिता की कई धाराओं के तहत इसका निर्माण, बिक्री और उपयोग पूरी तरह गैरकानूनी है. इसके बावजूद कई दुकानदार और ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म चोरी-छिपे इसे बेचने से बाज़ नहीं आ रहे. कुछ व्यापारी इसे छुपाकर या अन्य धागों के साथ मिलाकर ग्राहकों को गुमराह कर देते हैं. लेकिन पुलिस-प्रशासन लगातार ऐसे मामलों पर नजर बनाए हुए है और समय-समय पर सख्त कार्रवाई भी की जा रही है.
कानूनी परिणाम: जेल, जुर्माना और बदनामी
अगर कोई दुकानदार प्रतिबंधित मांझा बेचते हुए पकड़ा जाता है, तो उस पर सख्त धाराओं में केस दर्ज होता है.1 लाख रुपये तक का जुर्माना, 5 साल तक की जेल, दुकान सील होने की कार्रवाई, गैर इरादतन हत्या का मुकदमा (यदि किसी की जान जाती है).
पुलिस ऐसे लोगों को उनके घर से गिरफ्तार कर सकती है और पूछताछ के बाद कोर्ट में पेश किया जाता है. कई बार इन मामलों में जमानत भी मुश्किल हो जाती है.
क्या करें, क्या न करें?
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