पश्चिम एशिया एक बार फिर युद्ध की दहलीज पर खड़ा है. शुक्रवार को इजरायल ने ईरान की सबसे संवेदनशील परमाणु और सैन्य सुविधाओं पर सीधा हमला कर दिया. इनमें सबसे बड़ा नुकसान हुआ नतांज यूरेनियम संवर्धन केंद्र को, जिसे अब पूरी तरह तबाह बताया जा रहा है. ईरान के एटॉमिक एनर्जी प्रमुख ने भी इस बात की पुष्टि की है कि नतांज रिएक्टर अब अस्तित्व में नहीं है.
नतांज: ईरान के न्यूक्लियर मिशन की रीढ़
नतांज फैसिलिटी ईरान के परमाणु कार्यक्रम की धड़कन मानी जाती थी. तेहरान से करीब 220 किमी दूर बनी यह साइट आधी जमीन के नीचे स्थित थी, जिससे इसे हवाई हमलों से सुरक्षित रखने की कोशिश की गई थी. यहां हजारों की संख्या में सेंट्रीफ्यूज मशीनें लगी थीं, जो यूरेनियम को 3.5% से लेकर 60% तक संवर्धित कर सकती थीं — जबकि न्यूक्लियर हथियार के लिए 90% संवर्धन की आवश्यकता होती है.
पहले भी रह चुका है हमलों का निशाना
नतांज साइट कोई नया निशाना नहीं है. साल 2010 में यहां स्टक्सनेट साइबर अटैक हुआ था, जिसे अमेरिका और इजरायल की जॉइंट कार्रवाई माना गया था. उस हमले में बड़ी संख्या में सेंट्रीफ्यूज मशीनें नष्ट हो गई थीं. इसके बाद 2020 और 2021 में भी यहां रहस्यमयी धमाके हुए, जिनका आरोप इजरायल पर ही लगाया गया था.
IAEA की चेतावनी और ईरान का जवाब
इजरायली हमले से ठीक एक दिन पहले IAEA (अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी) ने ईरान की आलोचना की थी कि वह एजेंसी से सहयोग नहीं कर रहा. इसके जवाब में ईरान ने न सिर्फ संवर्धन तेज करने का ऐलान किया, बल्कि नई एडवांस्ड सेंट्रीफ्यूज यूनिट्स लगाने की भी बात कही थी.
कूटनीति पर भी गहराया संकट
इधर कुछ समय से अमेरिका और ईरान के बीच बातचीत चल रही थी, जिसमें अमेरिका अपने प्रतिबंधों में ढील देने के बदले ईरान से यूरेनियम संवर्धन सीमित करने की उम्मीद कर रहा था. लेकिन अब इजरायली हमले ने उन प्रयासों पर भी पानी फेर दिया है. अब यह साफ है कि डिप्लोमेसी का रास्ता और कठिन हो गया है.
ये भी पढ़ेंः ईरान पर भीषण अटैक के पीछे किसका हाथ, क्या ट्रंप ने कराया न्यूक्लियर साइट्स पर हमला? समझिए पूरा गेम