दिल्ली में साइबर ठगों का आतंक, 4.5 साल में लगा दिया 1400 करोड़ का चूना, देखें चौंकाने वाले आंकड़े

    दिल्ली में साइबर ठगों का जाल दिन-ब-दिन मजबूत होता जा रहा है. आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर अपराधी न सिर्फ लोगों को ठग रहे हैं, बल्कि उनके बैंक खातों से हजारों करोड़ रुपये उड़ा रहे हैं.

    Delhi cyber fraud People lost ₹1,400 crore over 4.5 years
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    नई दिल्ली: दिल्ली में साइबर ठगों का जाल दिन-ब-दिन मजबूत होता जा रहा है. आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर अपराधी न सिर्फ लोगों को ठग रहे हैं, बल्कि उनके बैंक खातों से हजारों करोड़ रुपये उड़ा रहे हैं. संसद में पेश हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले साढ़े चार सालों में दिल्ली में करीब ₹1400 करोड़ की साइबर ठगी हो चुकी है.

    संसद में पेश हुए चौंकाने वाले आंकड़े

    गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने संसद में इस संकट पर चिंता जताई और चौंकाने वाले आंकड़े साझा किए. 2023 में जहां साइबर ठगी का आंकड़ा करीब ₹183 करोड़ था, वहीं 2024 में यह बढ़कर ₹817 करोड़ से भी अधिक हो गया. 2025 में केवल जून तक ही ₹70 करोड़ से अधिक की धोखाधड़ी सामने आ चुकी है.

    पुलिस की कोशिशें, लेकिन रिकवरी अब भी चुनौती

    दिल्ली पुलिस का कहना है कि अब रिकवरी दर में सुधार हो रहा है और यह 20-25% तक पहुंच सकता है. हालांकि, विशेषज्ञ मानते हैं कि पुलिस अभी भी बड़े गिरोहों तक नहीं पहुंच पा रही है और ठगे गए पैसों की पूरी वसूली अब भी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है.

    साइबर थानों की बढ़ी संख्या, स्टाफ अब भी कम

    2021 में सभी 15 जिलों में साइबर थाना खोले गए. जांच दलों को प्रशिक्षण भी दिया गया, लेकिन कर्मचारियों की कमी के चलते हर शिकायत पर तुरंत कार्रवाई नहीं हो पा रही. 2025 में अब तक 184 केस दर्ज हुए हैं, जिनमें करीब ₹71 करोड़ की ठगी सामने आई है.

    पीड़ितों के लिए नई सुविधा: ई-जीरो एफआईआर

    जून 2025 में गृह मंत्री अमित शाह ने दिल्ली में ई-जीरो एफआईआर की शुरुआत की. अब राष्ट्रीय साइबर अपराध पोर्टल या 1930 हेल्पलाइन पर दर्ज शिकायत सीधे एफआईआर में बदल दी जाती है. पीड़ित तीन दिन के भीतर इसे नियमित एफआईआर में बदलवा सकते हैं.

    पिछले 12 वर्षों में ठगी गई राशि (चुनिंदा वर्ष)

    • 2014: ₹2.63 करोड़
    • 2019: ₹26.17 करोड़
    • 2021: ₹91.03 करोड़
    • 2022: ₹231 करोड़
    • 2023: ₹183 करोड़
    • 2024: ₹817 करोड़
    • 2025 (जून तक): ₹70.64 करोड़  

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