दिल्ली की हवा एक बार फिर सांसों पर बोझ बनती जा रही है. सर्दियों की दस्तक के साथ राजधानी पर स्मॉग की चादर और गहरी हो गई है, जिसके चलते सरकार और पर्यावरण एजेंसियां अलर्ट मोड पर हैं. इसी कड़ी में दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (DPCC) ने ऐसे निर्देश जारी किए हैं, जो सीधे शहर के होटलों और रेस्तरां के किचन तक असर डालने वाले हैं. समिति ने साफ कहा है कि अब राजधानी में तंदूरों में कोयला और लकड़ी जलाकर खाना बनाना पूरी तरह प्रतिबंधित रहेगा और यह नियम तुरंत प्रभाव से लागू होगा.
वायु (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम, 1981 की धारा 31(ए) के तहत जारी आदेश में स्पष्ट किया गया है कि किसी भी होटल, रेस्तरां, ढाबे या खुले भोजनालय में कोयले या लकड़ी का इस्तेमाल अब नहीं होगा. इसके स्थान पर बिजली आधारित या गैस-आधारित उपकरणों का इस्तेमाल अनिवार्य कर दिया गया है. समिति का कहना है कि राजधानी में लगातार बिगड़ते AQI में कोयले से चलने वाले तंदूर भी बड़ा योगदान दे रहे हैं. शहर में पिछले कुछ हफ्तों से एक्यूआई लगातार खराब श्रेणी में बना हुआ है, ऐसे में यह कदम स्थानीय स्तर पर होने वाले उत्सर्जन को कम करने के उद्देश्य से उठाया गया है.
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— Delhi Pollution Control Committee (@DPCC_Pollution) December 9, 2025
GRAP के नियमों के तहत फिर सख़्ती
दिल्ली में लागू ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) के तहत पहले भी ऐसे प्रतिबंध लगाए गए थे. DPCC ने दोहराया कि यह कार्रवाई GRAP के स्टेज-1 प्रावधानों का हिस्सा है, जिसमें तंदूरों में कोयले और जलाऊ लकड़ी का उपयोग बंद करना अनिवार्य किया गया था. अब यह आदेश सभी शहरी स्थानीय निकायों को भेज दिया गया है, जिनमें एमसीडी, न्यू दिल्ली नगरपालिका परिषद और अन्य एजेंसियां शामिल हैं. उनसे कहा गया है कि वे तुरंत फील्ड में मॉनिटरिंग शुरू करें और यह सुनिश्चित करें कि कोई भी प्रतिष्ठान पुराने तरीके से खाना न पकाए.
दिल्ली में वायु प्रदूषण के हर छोटे-बड़े स्रोत पर नियंत्रण के लिए हम निरंतर प्रयासरत हैं।
— Rekha Gupta (@gupta_rekha) December 9, 2025
इसी कड़ी में पर्यावरण विभाग को सख्त निर्देश दिए गए हैं कि ओपन बर्निंग पर पूर्ण प्रतिबंध सुनिश्चित किया जाए।
जिला प्रशासन एवं दिल्ली नगर निगम को यह अधिकार प्रदान किया गया है कि खुले में… pic.twitter.com/uOyLseFzfB
सड़क किनारे रखी निर्माण सामग्री पर भी कार्रवाई तेज
प्रदूषण को काबू करने की कोशिश सिर्फ तंदूरों तक सीमित नहीं रही. मंगलवार को DPCC ने एक और महत्वपूर्ण आदेश जारी किया, जिसमें कहा गया कि सड़कों और सार्वजनिक स्थानों पर बेतरतीब तरीके से पड़ी निर्माण सामग्री हवा में उड़ती धूल का बड़ा कारण बन रही है. रेत, बजरी, ईंट, सीमेंट और पत्थरों के खुले ढेर राजधानी में PM10 और PM2.5 के स्तर बढ़ाने में प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं. एजेंसी ने साफ निर्देश दिया है कि शहर में ऐसे सभी अवैध भंडारण को तुरंत हटाया जाए, चाहे वह किसी सड़क किनारे हो, फुटपाथ पर हो या सार्वजनिक भूमि पर.
सामग्री खुले में मिली तो होगी जब्ती और जुर्माना
आदेश के मुताबिक, किसी भी तरह की निर्माण सामग्री खुले में नहीं रखी जानी चाहिए और न ही बिना ढंकाव के ढुलाई की जानी चाहिए. निजी जमीन पर भी यदि सामग्री बिना सुरक्षा व्यवस्था के पाई जाती है, तो उसे जब्त किया जाएगा और MCD के नियमों के तहत जुर्माना लगाया जाएगा. यह निर्देश 21 नवंबर 2025 को सीएक्यूएम द्वारा जारी GRAP दिशानिर्देशों के अनुरूप है. राजधानी में हवा की खराब हालत को देखते हुए अधिकारियों से अपेक्षा की गई है कि वे बिना देरी किए इन आदेशों को लागू करें और प्रदूषण फैलाने वाले सभी स्रोतों पर तुरंत नियंत्रण करें.
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