देश की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सेना को स्पष्ट संदेश दिया है: भारत को अप्रत्याशित हालातों में भी युद्ध के लिए तैयार रहना होगा, चाहे वह कुछ दिनों का संघर्ष हो या वर्षों तक चलने वाला युद्ध.
मध्य प्रदेश के महू स्थित आर्मी वॉर कॉलेज में आयोजित “रण संवाद” कार्यक्रम में रक्षा मंत्री ने वर्तमान वैश्विक हालात और भविष्य की रक्षा चुनौतियों पर गहन विचार रखते हुए तीनों सेनाओं को सुदृढ़ और लचीला बनाए रखने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया.
सुरक्षा परिदृश्य अब अनुमान से परे
राजनाथ सिंह ने अपने संबोधन में कहा आज के समय में यह कहना मुश्किल हो गया है कि युद्ध कब शुरू होगा और कब खत्म. हमें हर परिस्थिति में लड़ने के लिए तैयार रहना होगा चाहे वह दो महीने का संघर्ष हो या पांच साल तक चलने वाली लड़ाई. उन्होंने कहा कि जियोपॉलिटिकल हालात बेहद अस्थिर हैं, और भारत को हर स्तर की रक्षा रणनीति के लिए तत्पर रहना होगा.
'भारत विस्तारवादी नहीं, पर हर कीमत पर रक्षा करेगा'
रक्षा मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि भारत कभी किसी और की ज़मीन पर दावा नहीं करता, लेकिन अगर अपनी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की बात आती है तो वह किसी भी हद तक जा सकता है. हमारी मंशा शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व की है, लेकिन जब बात अपने देश की रक्षा की हो, तो भारत पीछे नहीं हटेगा. यह बयान ऐसे समय में आया है जब चीन और पाकिस्तान के साथ सीमाओं पर तनाव बना हुआ है, और भारत अपने सुरक्षा इंफ्रास्ट्रक्चर को आत्मनिर्भरता की दिशा में तेजी से विकसित कर रहा है.
ऑपरेशन सिंदूर की सफलता पर तीनों सेनाओं को बधाई
रक्षा मंत्री ने हाल ही में चर्चा में आए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को तीनों सेनाओं की साझा ताकत और रणनीतिक क्षमता का प्रतीक बताया. उन्होंने कहा कि यह ऑपरेशन स्वदेशी रक्षा तकनीक और प्लेटफॉर्म्स की प्रभावशीलता का उदाहरण है. राजनाथ सिंह के अनुसार, ऑपरेशन सिंदूर ने दिखा दिया है कि हमारी सेनाएं स्वदेशी हथियारों और सिस्टम्स के साथ भी दुनिया की सबसे ताकतवर सेनाओं के बराबर खड़ी हो सकती हैं. उन्होंने आत्मनिर्भर भारत अभियान को और तेज़ करने की जरूरत बताई, ताकि भविष्य में भारत किसी भी परिस्थिति में बाहरी निर्भरता के बिना जवाब दे सके.
वरिष्ठ सैन्य नेतृत्व की उपस्थिति
इस सम्मेलन में सीडीएस जनरल अनिल चौहान, एयर चीफ मार्शल एपी सिंह और नेवी चीफ एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी समेत सशस्त्र सेनाओं के तमाम शीर्ष अधिकारी मौजूद थे. सभी ने बदलते युद्ध के स्वरूप, साइबर और तकनीकी खतरों, और संयुक्त सैन्य तैयारियों पर चर्चा की.
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