भारत में डिजिटल भुगतान का चलन तेजी से बढ़ रहा है और इसका सबसे बड़ा उदाहरण है क्रेडिट कार्ड के जरिए हो रहा खर्च. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के ताज़ा आंकड़ों से पता चलता है कि मई 2025 में क्रेडिट कार्ड खर्च ने नया रिकॉर्ड कायम किया है. इस महीने कुल खर्च 1.9 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया, जो अप्रैल 2025 की तुलना में 3% और मई 2024 के मुकाबले 15% ज्यादा है.
ट्रांजैक्शन की संख्या में भी जोरदार उछाल
क्रेडिट कार्ड से खर्च बढ़ने के साथ-साथ लेनदेन की संख्या में भी 30% की सालाना वृद्धि दर्ज की गई. अप्रैल की तुलना में यह बढ़ोतरी 4% रही. देश में अब क्रेडिट कार्ड धारकों की संख्या 11 करोड़ के पार पहुंच चुकी है, जिसमें साल-दर-साल 8% की वृद्धि देखी गई है. मई 2025 में 7.6 लाख से अधिक नए कार्ड जारी किए गए, जो इस साल के किसी भी महीने में सबसे ज़्यादा हैं. हालांकि, यह आंकड़ा पिछले साल मई के मुकाबले लगभग बराबर ही है.
गर्मियों की छुट्टियों ने बढ़ाया उपभोग
विशेषज्ञों का मानना है कि मई में हुए इस खर्च में बड़ी भूमिका गर्मी की छुट्टियों और यात्राओं की रही है. लोग घूमने-फिरने, होटल बुकिंग और ऑनलाइन शॉपिंग पर खुलकर खर्च कर रहे हैं. IDBI कैपिटल के विश्लेषक बंटी चंद ने बताया कि आने वाले वित्तीय वर्ष में भी उपभोक्ता मांग मजबूत बनी रहने की संभावना है. हालांकि उन्होंने यह भी जोड़ा कि बैंक अब नए ग्राहकों को जोड़ने के बजाय मौजूदा ग्राहकों पर अधिक ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, खासकर उनकी क्रेडिट क्वालिटी और भुगतान क्षमताओं को ध्यान में रखते हुए.
कौन से बैंक आगे, कौन पिछड़े?
क्रेडिट कार्ड खर्च के आंकड़ों में एसबीआई कार्ड्स ने बाजी मारी, जहां खर्च में 10% की बढ़ोतरी दर्ज की गई. इसके बाद आरबीएल बैंक (9%) और एक्सिस बैंक (6%) ने अच्छा प्रदर्शन किया. हालांकि, एचडीएफसी बैंक के खर्च में खास बदलाव नहीं हुआ, लेकिन नए कार्ड जारी करने के मामले में वही सबसे आगे रहा—2.74 लाख नए कार्ड्स के साथ. इसके बाद एसबीआई कार्ड्स (1.26 लाख) और एक्सिस बैंक (1 लाख ) रहे. कुछ बैंकों को नुकसान भी झेलना पड़ाआईसीआईसीआई बैंक के कार्ड बेस में 31,000 की गिरावट आई, जबकि आरबीएल बैंक ने 40,000 से अधिक कार्ड्स गंवा दिए. इंडसइंड बैंक का प्रदर्शन भी सुस्त रहा, जिसने केवल 8,000 नए कार्ड जारी किए.
बदल रही है बैंकों की रणनीति
अब बैंक पहले जैसी आक्रामक रणनीति छोड़कर समझदारी और सतर्कता से फैसले ले रहे हैं. गेफियन कैपिटल के पार्टनर प्रकाश अग्रवाल के अनुसार, पहले बैंक ज्यादा आमदनी वाले ग्राहकों को लक्ष्य बनाकर ऐड-ऑन कार्ड्स और प्रीमियम ऑफर्स के जरिए तेजी से विस्तार कर रहे थे. लेकिन मध्यम वर्ग के ग्राहकों के बीच वही रणनीति कारगर नहीं रही. अब बैंक क्रॉस-सेलिंग पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं—यानी पुराने ग्राहकों को ही अधिक सेवाएं और ऑफर देकर जोड़े रखने की कोशिश कर रहे हैं.
छोटे शहरों में भी क्रेडिट कार्ड का बढ़ता चलन
रिजर्व बैंक के डेटा से साफ है कि अब क्रेडिट कार्ड केवल मेट्रो शहरों तक सीमित नहीं रहे. छोटे शहरों और कस्बों में भी कार्ड उपयोग बढ़ा है, खासकर ऑनलाइन खरीदारी, ट्रैवल और खाने-पीने जैसे क्षेत्रों में. बाजार में भले ही तेज़ी है, लेकिन बैंक अब रिस्क से निपटने को प्राथमिकता दे रहे हैं. मध्यम आय वर्ग में क्रेडिट कार्ड की मांग तो है, लेकिन डिफॉल्ट (बकाया न चुकाना) का जोखिम भी ज्यादा है.
भविष्य की राह: स्थिर लेकिन सतर्क विकास
विश्लेषकों का मानना है कि आने वाले महीनों में क्रेडिट कार्ड बाजार में स्थिरता बनी रहेगी, लेकिन बैंकों की रणनीति में सतर्कता बनी रहेगी. बैंक अब नए ग्राहकों को जोड़ने से पहले उनकी आर्थिक स्थिति, क्रेडिट स्कोर और भुगतान इतिहास का गहराई से विश्लेषण करेंगे और मौजूदा कार्डधारकों को विशेष ऑफर, रिवॉर्ड और सुविधाएं देकर बनाए रखने की कोशिश करेंगे.
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