Achuthanandan Passes Away: केरल के पूर्व मुख्यमंत्री और वामपंथी राजनीति के पुरोधा वी.एस. अच्युतानंदन अब हमारे बीच नहीं रहे. 101 वर्ष की लंबी, संघर्षों और सिद्धांतों से भरी जीवन यात्रा का सोमवार को अंत हो गया. माकपा (CPI-M) के इस वरिष्ठ नेता ने तिरुवनंतपुरम के एक अस्पताल में अंतिम सांस ली. वे पिछले कुछ समय से अस्वस्थ चल रहे थे और 23 जून को दिल का दौरा पड़ने के बाद से अस्पताल में भर्ती थे. उनके निधन की ख़बर आते ही न सिर्फ केरल, बल्कि पूरे देश में वामपंथी आंदोलन से जुड़े कार्यकर्ताओं, विचारकों और आम जनों के बीच शोक की लहर दौड़ गई.
एक किसान का बेटा, जो बन गया जनता की आवाज
वी.एस. अच्युतानंदन उन नेताओं में से थे, जिनका जीवन सादगी, संघर्ष और सामाजिक न्याय की कहानी रहा. एक गरीब किसान परिवार में जन्मे अच्युतानंदन ने बाल्यावस्था में ही माता-पिता को खो दिया था. उन्होंने पढ़ाई अधूरी छोड़ दी थी, लेकिन जीवन से सीखा और उसे लोगों की सेवा में लगाया. किसान आंदोलनों, मजदूर संघर्षों और भूमि सुधारों के लिए उनका योगदान केरल के सामाजिक ताने-बाने को बदलने वाला साबित हुआ. वे 2006 से 2011 तक केरल के मुख्यमंत्री रहे और उस दौरान भ्रष्टाचार विरोधी कदमों से लेकर पर्यावरण संरक्षण तक, कई मोर्चों पर साहसी फैसले लिए.
जनता के लिए जिया गया एक संपूर्ण जीवन
उन्होंने 10 विधानसभा चुनाव लड़े, जिनमें से 7 में जीत हासिल की। वे सात बार विधायक चुने गए, ये जनता से उनका सीधा और मजबूत रिश्ता दर्शाता है. 1964 में जब कम्युनिस्ट पार्टी टूटी, तब वे CPI(M) के संस्थापक सदस्यों में से एक थे. इस पार्टी की वैचारिक रीढ़ उन्होंने ही गढ़ी.
राजनीति से आगे भी उनकी पहचान थी
2006 में मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने अपने काम से यह साबित किया कि उम्र कभी भी प्रतिबंध नहीं बनती. चाहे भूमि माफिया पर कार्रवाई हो या आईटी हब की स्थापना, अच्युतानंदन का हर निर्णय जनता के हित में होता था. उनकी ईमानदारी और पारदर्शिता को लेकर केरल की जनता आज भी गर्व से बात करती है. उन्हें कभी सत्ता का लोभ नहीं रहा, केवल सेवा का संकल्प था.
लेकिन विचारों की विरासत अमर
मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन, वित्त मंत्री केएन बालगोपाल सहित माकपा के कई नेता उन्हें अंतिम बार देखने अस्पताल पहुंचे. यह केवल एक वरिष्ठ नेता का जाना नहीं, बल्कि एक विचारधारा, एक आंदोलन और एक युग का विदा लेना है.
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