दिल्ली में इन दिनों कई इलाकों में झुग्गी बस्तियों पर बुलडोजर चलने से राजनीतिक माहौल गर्म है. हाल ही में निजामुद्दीन के पास मद्रासी कैंप में बड़ी कार्रवाई हुई, जहां सैकड़ों मकान तोड़े गए. इस कदम पर विपक्षी दलों — कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने तीखी प्रतिक्रिया दी और सीधे तौर पर मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता पर निशाना साधा. इसी बीच रविवार को CM रेखा गुप्ता खुद नेहरू कैंप पहुंचीं और मीडिया से बातचीत में पूरे घटनाक्रम पर विस्तार से सफाई दी.
कोर्ट के आदेश का पालन अनिवार्य था
मुख्यमंत्री ने कहा, “अगर कोर्ट का स्पष्ट आदेश है, तो सरकार या प्रशासन के पास कोई विकल्प नहीं बचता. मद्रासी कैंप को बारापुला नाले के किनारे अवैध रूप से बसाया गया था, और अदालत ने चार बार इसे हटाने के निर्देश दिए थे. अगर हम इसे नजरअंदाज करते और फिर से 2023 जैसी बाढ़ आती, तो उसकी जिम्मेदारी कौन लेता? उन्होंने यह भी बताया कि वहां रहने वाले लोगों को वैकल्पिक घर आवंटित किए जा चुके हैं और उन्हें शिफ्ट भी किया गया है.
"रेलवे की भी कार्रवाई शामिल है"
रेखा गुप्ता ने यह स्पष्ट किया कि केवल सरकार नहीं, बल्कि रेलवे ने भी अपने इलाकों में अतिक्रमण हटाने की पहल की है. “रेलवे ट्रैक के पास भी अवैध झुग्गियां थीं. अगर वहां कोई बड़ा हादसा हो जाता, तो क्या आतिशी, सौरभ भारद्वाज या अरविंद केजरीवाल जवाब देते?” उन्होंने विपक्षी नेताओं पर पलटवार करते हुए कहा.
विकास बनाम अतिक्रमण: मुद्दा यही है
मुख्यमंत्री ने आगे बताया कि दिल्ली में इस समय 700 करोड़ रुपये से ज्यादा के विकास कार्य चल रहे हैं और ये तभी संभव हो पाएंगे जब अतिक्रमण हटेगा. “कोर्ट ने ये आदेश जनता की भलाई के लिए दिए हैं, और हम उसका पालन कर रहे हैं,” उन्होंने जोड़ा.
क्या है मद्रासी कैंप का मामला?
निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन से सटे इलाके में पिछले रविवार को अवैध अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाया गया था. इस दौरान मद्रासी कैंप नामक बस्ती को हटाया गया, जहां मुख्यतः दक्षिण भारतीय मूल के लोग रहते थे. इनमें कई लोग वर्षों से वहां बसे हुए थे और कुछ घर किरायेदारों को दिए गए थे. इस कार्रवाई के बाद ही सियासी हलचल तेज हो गई, और विपक्ष ने इसे 'मानवता के खिलाफ' बताया.
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