पाकिस्तान की सत्ता के गलियारों में एक बार फिर चीन को मनाने की कोशिशें तेज़ होती दिखाई दे रही हैं. सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर ने शुक्रवार को रावलपिंडी में आयोजित एक समारोह में चीन को "सबसे भरोसेमंद और आजमाया हुआ सच्चा दोस्त" करार दिया. यह समारोह चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) की 98वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में आयोजित किया गया था.
यह बयान ऐसे समय में सामने आया है जब असीम मुनीर खुद कुछ सप्ताह पहले अमेरिका दौरे पर थे और वॉशिंगटन में पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ लंच करके उन्हें 'शांति का मसीहा' तक कह डाला था. इसके बाद यह अटकलें तेज़ हो गई थीं कि क्या पाकिस्तान की कूटनीतिक प्राथमिकताएं बदल रही हैं?
PLA की वर्षगांठ पर चीन को साधा गया
PLA की स्थापना दिवस पर चीनी राजदूत जियांग जैदोंग और अन्य वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों की उपस्थिति में बोलते हुए मुनीर ने कहा, "पाक-चीन संबंध हर मोड़ पर कसौटी पर खरे उतरे हैं. दोनों देशों की साझेदारी केवल रणनीतिक नहीं, बल्कि स्थायित्व और आपसी सम्मान की मिसाल है." उन्होंने यह भी जोड़ा कि दुनिया में मौजूदा क्षेत्रीय और वैश्विक तनावों के बावजूद बीजिंग और इस्लामाबाद के रिश्ते असाधारण लचीलापन दिखा रहे हैं. यह वक्तव्य स्पष्ट संकेत देता है कि पाकिस्तान चीन से रिश्तों में किसी तरह की खटास नहीं आने देना चाहता.
अमेरिका की तरफ बढ़ता झुकाव और चीन को मनाने की कोशिश
गौरतलब है कि हाल के महीनों में पाकिस्तान ने अमेरिका के साथ संबंधों में गर्मजोशी बढ़ाई है. विशेष रूप से IMF डील, रक्षा सहयोग और निवेश को लेकर दोनों देशों में कूटनीतिक संपर्क बढ़ा है. इसी कड़ी में जनरल मुनीर का अमेरिकी दौरा और ट्रंप से उनकी मुलाकात को चीन ने गंभीरता से लिया. इस स्थिति को संतुलित करने के लिए अब मुनीर का चीन को लुभाना एक राजनीतिक संतुलन साधने का प्रयास माना जा रहा है.
पाकिस्तान की कूटनीतिक दोहरी चाल
पाकिस्तान बीते कुछ वर्षों से एक अजीब सी दुविधा में फंसा हुआ है. एक ओर वह चीन की बेल्ट ऐंड रोड इनिशिएटिव (BRI) और CPEC जैसे परियोजनाओं में साझेदार है, तो दूसरी ओर वह अमेरिका से आर्थिक और सैन्य सहायता पाने का इच्छुक भी रहा है. पिछले दिनों भारत के साथ सीमा तनाव बढ़ने के बाद भी पाकिस्तान ने दोनों देशों — चीन और अमेरिका — से मदद लेने की कोशिश की, जो उसके बहुपक्षीय कूटनीतिक रुख को दर्शाता है.
सरकार की सफाई: दोनों देश हमारे लिए महत्वपूर्ण
इससे उपजे सवालों को शांत करने के लिए पाकिस्तान के डिप्टी पीएम और विदेश मंत्री इशाक डार को खुद सामने आकर सफाई देनी पड़ी. उन्होंने कहा, "हम चीन और अमेरिका दोनों के साथ अपने संबंधों को मज़बूत करना चाहते हैं. किसी एक से संबंध बढ़ने का मतलब दूसरे से दूरी नहीं है." डार ने यह भी स्पष्ट किया कि इस्लामाबाद के लिए दोनों देश सामरिक और आर्थिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं और वह दोनों से सहयोग बढ़ाने की दिशा में काम करता रहेगा.
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