नई दिल्ली/बीजिंग: भारत और चीन के बीच जारी सैन्य और कूटनीतिक संवाद के बीच लद्दाख क्षेत्र से एक अहम रणनीतिक घटनाक्रम सामने आया है. सैटेलाइट तस्वीरों के अनुसार, चीन ने पैंगोंग त्सो झील के निकट HQ-16 एयर डिफेंस सिस्टम की तैनाती की है. यह कदम ऐसे समय में सामने आया है जब भारत और चीन के बीच सीमा विवाद को शांतिपूर्ण बातचीत से सुलझाने की कोशिशें की जा रही हैं.
सैन्य विश्लेषकों का मानना है कि यह तैनाती न केवल क्षेत्रीय संतुलन को प्रभावित कर सकती है, बल्कि इसे वर्ष 2020 के बाद बनी विघटन (disengagement) प्रक्रिया की भावना के विपरीत भी माना जा रहा है.
पैंगोंग त्सो क्षेत्र में चीन की सैन्य गतिविधियां
यह कोई पहली बार नहीं है जब पैंगोंग त्सो झील के आसपास चीन की सैन्य उपस्थिति चर्चा में आई हो. इससे पहले, 2023 में चीन ने उत्तरी और दक्षिणी किनारों को जोड़ने वाला पुल तैयार किया था, जिससे पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) को भारी सैन्य साजो-सामान के मूवमेंट में काफी सहूलियत मिली.
इसके अतिरिक्त, चीन ने इस इलाके में नई सड़कें, हेलीपैड, और फॉरवर्ड पोस्ट्स भी विकसित की हैं, जो उसकी दीर्घकालिक रणनीति का संकेत देते हैं.
पैंगोंग त्सो झील: विवाद की पृष्ठभूमि
पैंगोंग त्सो एक 135 किलोमीटर लंबी, खारे पानी की झील है जो लद्दाख (भारत) और तिब्बत (चीन) के बीच फैली हुई है. इसका लगभग दो-तिहाई भाग चीन के नियंत्रण में है, जबकि एक-तिहाई भारत के पास है.
इस क्षेत्र में विवाद खासतौर पर झील के उत्तर तट पर स्थित "फिंगर एरिया" को लेकर है. भारत फिंगर 8 तक अपने क्षेत्र का दावा करता है, जबकि चीन फिंगर 4 तक अपनी उपस्थिति बनाए रखता है और फिंगर 2 तक अपना दावा करता है.
HQ-16 एयर डिफेंस सिस्टम:
चीन द्वारा तैनात किया गया HQ-16 (HongQi-16) एक मध्यम दूरी का सतह से हवा में मार करने वाला मिसाइल सिस्टम है, जिसकी मारक क्षमता 40 से 70 किलोमीटर तक है. यह सिस्टम निम्नलिखित लक्ष्यों को इंटरसेप्ट करने में सक्षम है:
प्रिसिजन गाइडेड वेपन्स (PGMs)
इसमें एक मोबाइल लॉन्च प्लेटफ़ॉर्म (TEL) होता है, जो चार मिसाइलों से लैस होता है. साथ ही, एक 3D रडार और कमांड यूनिट इसकी परिचालन क्षमता को बढ़ाते हैं. यह सिस्टम ऑटोनोमस तरीके से लक्ष्यों को पहचानकर मिसाइल गाइड कर सकता है.
इलेक्ट्रॉनिक युद्ध में भी दक्ष
HQ-16 को ECCM (Electronic Counter-Countermeasures) तकनीक से लैस किया गया है, जिससे यह शत्रु के जैमिंग प्रयासों का सामना कर सकता है. इसका अर्थ यह है कि यह सिस्टम जटिल इलेक्ट्रॉनिक युद्ध के माहौल में भी प्रभावी बना रह सकता है.
यह सिस्टम अन्य वायु रक्षा नेटवर्क और कमांड सेंटरों के साथ एकीकृत हो सकता है, जिससे किसी व्यापक क्षेत्र की एयर डिफेंस कवरेज सुनिश्चित की जा सकती है.
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