IDWS System: भारत की सैन्य क्षमता में एक और उल्लेखनीय प्रगति दर्ज की गई है. शनिवार, 23 अगस्त 2025 को ओडिशा के अपतटीय क्षेत्र में भारत की स्वदेशी एकीकृत वायु रक्षा अस्त्र प्रणाली (आईएडीडब्ल्यूएस) का सफल परीक्षण किया गया. इस परीक्षण ने न केवल घरेलू रक्षा क्षमताओं को सुदृढ़ किया है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय सैन्य विश्लेषकों, खासकर चीन के विशेषज्ञों का भी ध्यान आकर्षित किया है.
जहां भारत की मिसाइल प्रौद्योगिकी पहले से ही मजबूती की मिसाल बन चुकी है, वहीं इस बार चर्चा का केंद्र बनी है एक हाई-पावर लेजर आधारित डाइरेक्टेड एनर्जी वेपन (DEW), एक ऐसी तकनीक जो अभी दुनिया के चंद गिने-चुने देशों के पास ही है.
आईएडीडब्ल्यूएस: एक बहुस्तरीय सुरक्षा कवच
आईएडीडब्ल्यूएस को इस तरह डिजाइन किया गया है कि यह विभिन्न स्तरों से आने वाले खतरों को त्वरित गति से जवाब दे सके. इसमें शामिल हैं:
क्यूआरएसएएम (QRSAM): सतह से हवा में मार करने वाली त्वरित प्रतिक्रिया मिसाइलें
वीएसएचओआरएडीएस (VSHORADS): बहुत कम दूरी की वायु रक्षा प्रणाली
डीईडब्ल्यू (DEW): उच्च शक्ति वाली लेजर आधारित ऊर्जा अस्त्र प्रणाली
इस बहुस्तरीय संयोजन से यह प्रणाली ड्रोन, क्रूज मिसाइलों, हेलीकॉप्टरों और निम्न-ऊंचाई वाले विमानों जैसे खतरों से निपटने में अत्यंत सक्षम है.
चीन के विशेषज्ञ भी हुए प्रभावित
बीजिंग स्थित 'एयरोस्पेस नॉलेज' पत्रिका के मुख्य संपादक वांग यानान ने भारत की इस तकनीकी उपलब्धि की सराहना करते हुए चीनी अखबार 'ग्लोबल टाइम्स' को बताया कि, “आईएडीडब्ल्यूएस एक ऐसी वायु रक्षा प्रणाली है, जिसे विशेष रूप से ड्रोन और क्रूज मिसाइल जैसे कम ऊंचाई वाले खतरों को निष्क्रिय करने के लिए तैयार किया गया है.”
वांग ने माना कि जहां मिसाइल आधारित सुरक्षा प्रणालियां पहले से मौजूद तकनीक हैं, वहीं लेजर आधारित डीईडब्ल्यू प्रणाली को एक “वास्तव में महत्वपूर्ण प्रगति” माना जाना चाहिए. उन्होंने यह भी जोड़ा कि वर्तमान में केवल अमेरिका, रूस, चीन, ब्रिटेन, जर्मनी और इज़राइल जैसे कुछ देश ही युद्ध-तैयार लेजर तकनीक से लैस हैं, और अब भारत भी इस सूची में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहा है.
भारत अब सिर्फ उपभोक्ता नहीं, निर्माता है
यह परीक्षण सिर्फ एक तकनीकी सफलता नहीं, बल्कि एक रणनीतिक संदेश भी है. यह संकेत करता है कि भारत अब रक्षा तकनीक का सिर्फ उपयोगकर्ता नहीं, बल्कि नवप्रवर्तन करने वाला अग्रणी देश बन चुका है. हाई-पावर लेजर जैसे संवेदनशील और परिष्कृत हथियारों का विकास भारत की आत्मनिर्भरता और रक्षा क्षेत्र में भविष्य की तैयारी को दर्शाता है.
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