पूर्वी एशिया के सैन्य समीकरण में एक नई हलचल मच गई है. चीन के अत्याधुनिक 5वीं पीढ़ी के स्टील्थ फाइटर जेट J-20 ने हाल ही में जापान और दक्षिण कोरिया के बेहद संवेदनशील हवाई इलाकों में गश्त लगाकर दुनिया को हैरान कर दिया है. खास बात यह है कि यह उड़ान न केवल अमेरिका के सहयोगियों की एडवांस एयर डिफेंस तकनीकों के बीच से गुज़री, बल्कि चीन का दावा है कि किसी भी राडार ने इस लड़ाकू विमान की मौजूदगी दर्ज नहीं की.
यह घटना एशिया-पैसिफिक क्षेत्र में सैन्य शक्ति के बदलते संतुलन का स्पष्ट संकेत देती है. चीन ने यह साबित करने की कोशिश की है कि उसका J-20 न सिर्फ रक्षात्मक भूमिका में सक्षम है, बल्कि अब यह आक्रामक मिशनों के लिए भी तैयार है.
अमेरिका के सुरक्षा घेरे को भेद गया J-20
चीन का J-20 फाइटर जेट त्सुशिमा जलडमरूमध्य और बाशी जलडमरूमध्य के ऊपर से होकर गुज़रा — ये वही इलाके हैं जहां अमेरिकी और सहयोगी देशों की भारी सैन्य निगरानी होती है. यहां अमेरिका का THAAD सिस्टम (Terminal High Altitude Area Defense), जापान और दक्षिण कोरिया के पैट्रियट मिसाइल बैटरियां, और अत्याधुनिक राडार तैनात हैं. इसके बावजूद J-20 की यह उड़ान न तो जापान ने पकड़ी, न दक्षिण कोरिया ने, और न ही अमेरिका की किसी यूनिट ने. चीन के सरकारी मीडिया ने इसे "स्टील्थ कैपेबिलिटी की ऐतिहासिक सफलता" बताया है.
J-20: चीन की नई आक्रामक रणनीति का प्रतीक
J-20 फाइटर को चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी एयरफोर्स (PLAAF) की सबसे उन्नत फ्लीट का हिस्सा माना जाता है. इसमें लॉन्ग-रेंज PL-15 मिसाइल, AESA राडार, और स्टील्थ डिज़ाइन जैसी कई उन्नत तकनीकों का समावेश है. 2025 में चीन ने सिलिकॉन कार्बाइड (SiC) तकनीक के ज़रिए इसके राडार की डिटेक्शन रेंज को लगभग 1000 किमी तक बढ़ा दिया, जो अमेरिका के F-35 की तुलना में कहीं ज्यादा है.
J-20 की ताकत: सिर्फ संख्या नहीं, गुणवत्ता में भी आगे
पेंटागन की रिपोर्ट बताती है कि 2024 के अंत तक चीन के पास 400 से अधिक J-20 जेट होंगे. यह किसी भी देश के पास मौजूद सबसे बड़ा स्टील्थ फाइटर बेड़ा बन जाएगा. चीन हर साल लगभग 120 J-20 बना रहा है, जबकि अमेरिका का F-35 उत्पादन 150 यूनिट्स सालाना है — लेकिन फर्क यह है कि F-35 को 19 देश इस्तेमाल कर रहे हैं, जबकि J-20 सिर्फ चीन के पास है.
ताइवान और प्रशांत क्षेत्र में बढ़ा दबाव
विशेषज्ञों का कहना है कि J-20 की इस ताज़ा उड़ान ने यह दिखा दिया है कि चीन अब अपने स्टील्थ फाइटर को सिर्फ सीमित क्षेत्र की निगरानी तक नहीं, बल्कि रणनीतिक दबाव बनाने के लिए उपयोग में ला रहा है. हालिया घटनाओं में चीन और जापान ने एक-दूसरे पर हवाई क्षेत्र के उल्लंघन का आरोप लगाया है, और J-20 की यह तैनाती उसी पृष्ठभूमि में एक बड़ा संदेश मानी जा रही है.
THAAD और पैट्रियट सिस्टम को दी खुली चुनौती
चीन के इस दावे ने अमेरिका और उसके सहयोगियों के उन हाईटेक डिफेंस सिस्टम्स की क्षमताओं पर सवाल खड़ा कर दिया है, जिन पर वर्षों से अरबों डॉलर का निवेश किया गया है. J-20 न केवल इन सिस्टम्स से बचकर निकला, बल्कि उसके हथियार और ट्रैकिंग क्षमताएं F-35 जैसे पश्चिमी फाइटर जेट्स को टक्कर देती नजर आ रही हैं.
भविष्य की चेतावनी: न्यूक्लियर मिशन की ओर बढ़ता J-20?
चीन की ओर से यह भी संकेत दिए गए हैं कि भविष्य में J-20 को न्यूक्लियर वेपन कैरियर के तौर पर भी तैयार किया जा सकता है. अगर ऐसा होता है, तो यह केवल ताइवान ही नहीं, बल्कि पूरी एशिया-पैसिफिक रणनीति के लिए एक गेमचेंजर साबित होगा.
यह भी पढ़ें: फिर अपनी बात से पलटे ट्रंप! आज से भारत पर नहीं लागू होगा टैरिफ, जानें क्यों बढ़ाई गई तारीख