बीजापुर में सुरक्षाबलों तो मिली बड़ी सफलता, 34 नक्सलियों ने किया सरेंडर; DVCM-PLGA रैंक के कैडर शामिल

    Bijapur 34 Naxalites Surrender: छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बीजापुर जिले में मंगलवार को सुरक्षा बलों को बड़ी सफलता मिली, जब 34 नक्सलियों ने हिंसा का रास्ता छोड़ते हुए आत्मसमर्पण कर दिया.

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    Bijapur 34 Naxalites Surrender: छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बीजापुर जिले में मंगलवार को सुरक्षा बलों को बड़ी सफलता मिली, जब 34 नक्सलियों ने हिंसा का रास्ता छोड़ते हुए आत्मसमर्पण कर दिया. आत्मसमर्पण करने वालों में सात महिलाएं भी शामिल हैं. पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, इनमें से 26 नक्सलियों पर कुल मिलाकर 84 लाख रुपये का इनाम घोषित था.

    पुलिस की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार, आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली माओवादी संगठन की विभिन्न इकाइयों में सक्रिय थे. इनमें दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी (DKSZC), तेलंगाना स्टेट कमेटी और आंध्र-ओडिशा बॉर्डर डिवीजन से जुड़े कैडर शामिल थे. ये सभी लंबे समय से सुरक्षा बलों के खिलाफ हिंसक गतिविधियों में संलिप्त बताए जा रहे थे.

    वरिष्ठ कैडरों पर था आठ-आठ लाख रुपये का इनाम

    आत्मसमर्पण करने वाले प्रमुख नक्सली कैडरों में पांड्रू पुनेम (45 वर्ष), रुकनी हेमला (25 वर्ष), देवा उइका (22 वर्ष), रामलाल पोयम (27 वर्ष) और मोटू पुनेम (21 वर्ष) शामिल हैं. इन सभी पर आठ-आठ लाख रुपये का इनाम घोषित था. पुलिस अधिकारियों के अनुसार, इन कैडरों की भूमिका संगठन के भीतर काफी अहम मानी जाती थी.

    ‘पुना मार्गेम’ पहल के तहत हुआ आत्मसमर्पण

    यह सामूहिक आत्मसमर्पण वरिष्ठ पुलिस और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के अधिकारियों की मौजूदगी में ‘पुना मार्गेम’ अभियान के तहत हुआ. ‘पुना मार्गेम’ का अर्थ है पुनर्वास के जरिए समाज की मुख्यधारा में वापसी. इस पहल का उद्देश्य नक्सलियों को हथियार छोड़कर शांतिपूर्ण जीवन अपनाने के लिए प्रेरित करना है.

    सरकार देगी आर्थिक सहायता और पुनर्वास सुविधाएं

    बीजापुर के पुलिस अधीक्षक जितेंद्र यादव ने बताया कि राज्य सरकार की आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति के तहत सभी आत्मसमर्पित नक्सलियों को तत्काल 50 हजार रुपये की आर्थिक सहायता दी जाएगी. इसके साथ ही उन्हें कौशल विकास प्रशिक्षण, रोजगार से जुड़ी योजनाएं और अन्य सामाजिक सुविधाएं भी उपलब्ध कराई जाएंगी, ताकि वे सामान्य जीवन की ओर लौट सकें.

    परिवारों का भी मिल रहा सहयोग

    एसपी जितेंद्र यादव के अनुसार, आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों के परिवार भी चाहते हैं कि वे हिंसा छोड़कर समाज के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलें. परिवारों का यह समर्थन भी नक्सलियों को मुख्यधारा में लौटने के फैसले के लिए प्रेरित कर रहा है.

    पुनर्वास नीति से कमजोर पड़ रहा नक्सल नेटवर्क

    पुलिस अधिकारियों का कहना है कि राज्य सरकार की सरेंडर और पुनर्वास नीति माओवादी संगठनों के लिए एक बड़ा झटका साबित हो रही है. इसी नीति के प्रभाव से बीते दो वर्षों में दंतेवाड़ा जिले में 824 नक्सलियों ने हथियार छोड़कर आत्मसमर्पण किया है और सामाजिक जीवन को अपनाया है.

    सुरक्षा बलों का दबाव और विकास योजनाएं भी बनीं वजह

    विशेषज्ञों के अनुसार, एक ओर लगातार चल रहे सुरक्षा अभियानों का दबाव और दूसरी ओर सरकार की विकास एवं पुनर्वास योजनाएं नक्सलियों के मनोबल को कमजोर कर रही हैं. रोजगार, प्रशिक्षण और सम्मानजनक जीवन का विकल्प मिलने से अब कई कैडर हिंसा का रास्ता छोड़ने को तैयार हो रहे हैं.

    नक्सल प्रभावित इलाकों में शांति की उम्मीद

    बीजापुर और आसपास के इलाकों में हुए इस बड़े आत्मसमर्पण को नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है. प्रशासन को उम्मीद है कि आने वाले समय में और भी नक्सली इस नीति से प्रभावित होकर मुख्यधारा में लौटेंगे, जिससे क्षेत्र में शांति और विकास को बढ़ावा मिलेगा.

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