Chhattisgarh: दंतेवाड़ा में नक्सलवाद को करारी चोट, 37 माओवादी हथियार डालकर मुख्यधारा में लौटे

    Dantewada Naxal Surrender: छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में आज वह क्षण देखने को मिला जिसका इंतज़ार सुरक्षा बलों और स्थानीय लोगों को सालों से था. नक्सल हिंसा से लंबे समय तक त्रस्त इस क्षेत्र में एक ही दिन में 37 कुख्यात नक्सलियों ने आत्मसमर्पण कर दिया.

    Chhattisgarh Naxalism suffered a severe blow in Dantewada 37 Maoists surrender
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    Dantewada Naxal Surrender: छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में आज वह क्षण देखने को मिला जिसका इंतज़ार सुरक्षा बलों और स्थानीय लोगों को सालों से था. नक्सल हिंसा से लंबे समय तक त्रस्त इस क्षेत्र में एक ही दिन में 37 कुख्यात नक्सलियों ने आत्मसमर्पण कर दिया. इनमें 12 महिला माओवादी भी शामिल हैं. इतने बड़े पैमाने पर हुए इस सरेंडर को बस्तर में नक्सल संगठन के लिए अब तक का सबसे बड़ा झटका माना जा रहा है. आत्मसमर्पण के साथ ही भारी मात्रा में हथियार, गोला-बारूद और विस्फोटक सामग्री पुलिस को सौंप दी गई है.

    आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली बीते कई वर्षों से दंतेवाड़ा और आसपास के घने जंगलों में सक्रिय थे. कई के खिलाफ पुलिस ने पाँच-पाँच लाख रुपये तक का इनाम घोषित कर रखा था. इनमें कुछ बड़े नक्सली कमांडरों के करीबी अंगरक्षक और दस्ता सदस्य भी शामिल थे. लेकिन लगातार चल रहे अभियानों, ग्रामीणों का सहयोग और सरकार की पुनर्वास नीति ने उन्हें हथियार छोड़ने पर मजबूर कर दिया.

    दंतेवाड़ा के एसपी गौरव राय ने बताया कि पुलिस की लगातार कोशिश और लोगों के बदलते रुख ने इस बड़ी सफलता का रास्ता खोला. उनके अनुसार, “जंगल में अब नक्सलियों के लिए पहले जैसा माहौल नहीं रहा. पुलिस हर इलाके में पहुँच रही है और ग्रामीण भी उनसे दूरी बना रहे हैं.”

    पुनर्वास नीति बनी नई उम्मीद

    सरकार की नई पुनर्वास नीति नक्सलियों को मुख्यधारा में लाने में महत्वपूर्ण साबित हो रही है. सरेंडर करने वालों को तुरंत 10,000 रुपये, फिर अलग-अलग किश्तों में 4.5 लाख रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जाती है. इसके अलावा 3 लाख रुपये मकान निर्माण सहायता, रोजगार प्रशिक्षण, सुरक्षा और सरकारी योजनाओं का लाभ भी शामिल है. महिला नक्सलियों को भी सभी सुविधाएँ समान रूप से मिल रही हैं.

    एक महिला नक्सली ने कहा, “हमें लगता था कि पुलिस मार देगी, लेकिन यहाँ तो आशीर्वाद की तरह स्वागत हुआ. अब हम अपने बच्चों को पढ़ाना चाहते हैं और नई जिंदगी शुरू करना चाहते हैं.”

    दोहरे मोर्चे पर काम, सर्च ऑपरेशन और जनविश्वास

    पिछले कुछ महीनों से सुरक्षा एजेंसियों ने नक्सल क्षेत्रों में दो मोर्चों पर काम किया है—एक तरफ ड्रोन और आधुनिक तकनीक से सघन सर्च ऑपरेशन, दूसरी तरफ गाँव–गाँव जाकर संवाद और आत्मसमर्पण की अपील. शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, बिजली, पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं के गाँवों तक पहुँचने से लोगों का भरोसा सरकार की ओर बढ़ा है. सरकारी योजनाओं का पैसा सीधा खातों में पहुँचने लगा है, जिससे नक्सलियों का प्रभाव कमजोर हुआ है.

    मुख्यमंत्री और गृह मंत्री ने किया स्वागत, बस्तर में शांति की उम्मीद मजबूत

    मुख्यमंत्री विष्णु देव साय और गृह मंत्री विजय शर्मा ने सभी आत्मसमर्पित नक्सलियों का स्वागत किया. उन्होंने कहा, “जो बंदूक छोड़कर कलम उठाना चाहता है, उसका सम्मान छत्तीसगढ़ सरकार की जिम्मेदारी है. बस्तर में शांति लौट रही है.”

    दंतेवाड़ा में हुए इस बड़े पैमाने के आत्मसमर्पण ने पूरे बस्तर में नई आशा जगाई है. सुरक्षा एजेंसियों को उम्मीद है कि आने वाले दिनों में और भी माओवादी मुख्यधारा में लौट सकते हैं. नक्सल हिंसा से जूझते प्रदेश के लिए यह दिन वाकई एक ऐतिहासिक और स्वर्णिम उपलब्धि के रूप में दर्ज हो गया है.

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