Kharna Prasad: छठ महापर्व, जो भारत और नेपाल में श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक है, अपने चार दिन के उत्सव में भक्तों के लिए कई महत्वपूर्ण अनुष्ठान लेकर आता है. इनमें से दूसरे दिन का ‘खरना’ विशेष रूप से अहम माना जाता है. इस दिन छठी मैया का स्वागत होता है और व्रती 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू करते हैं.
छठ पर्व के दूसरे दिन यानी रविवार को नहाय-खाय के बाद व्रती खरना का प्रसाद ग्रहण करती हैं. इस दिन शाम को गुड़ और चावल की खीर के साथ गेहूं की रोटी या पूड़ी बनाई जाती है और छठी मैया को भोग लगाया जाता है. इस प्रसाद को ग्रहण करने के बाद ही व्रती निर्जला व्रत रखते हैं और अगले दिन अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देते हैं.
खरना का प्रसाद कब और कैसे बनता है?
खरना के दिन प्रसाद बनाना एक पवित्र परंपरा है. इसे शाम के समय मिट्टी के नए चूल्हे पर बनाया जाता है. परंपरा के अनुसार, आम की लकड़ी से चूल्हे पर आग जलाई जाती है और उसी पर गुड़ और चावल की खीर पकाई जाती है. साथ ही गेहूं के आटे की रोटी या पूड़ी तैयार की जाती है.
व्रती इस प्रसाद को ग्रहण कर अपनी भक्ति का आरंभ करते हैं. माना जाता है कि इस प्रसाद को ग्रहण करने से शरीर और मन दोनों को शक्ति मिलती है और उपवास को पूरा करना आसान होता है.
खरना पूजा के समय ध्यान रखने योग्य बातें
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