चंडीगढ़ की स्थिर-सुझागर व्यवस्था को लेकर पंजाब में सियासी तूफान मचा हुआ है. इसके पीछे का कारण है एक अफवाह और उसकी पुष्टि से पहले हुए विपक्षी हमले. लेकिन केंद्र सरकार ने रविवार को स्पष्ट कर दिया है कि कोई नया संविधान संशोधन बिल लाने की अभी उनकी कोई योजना नहीं है. गृह मंत्रालय ने कहा है कि सिर्फ प्रक्रिया को सरल बनाने का प्रस्ताव विचाराधीन है, कोई अंतिम निर्णय नहीं हुआ है.
केंद्र का कथन- सरकारी मंशा साफ़ नहीं है
गृह मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया कि यह प्रस्ताव केवल कानून बनाने की प्रक्रिया को आसान करने की दिशा में है, न कि चंडीगढ़ की प्रशासनिक पहचान में बड़े पैमाने पर बदलाव का इरादा. मंत्रालय ने यह स्पष्ट किया कि केंद्र सरकार संविधान का पूरा ढांचा बदलने का इरादा नहीं रखती और न ही पंजाब या हरियाणा के साथ चंडीगढ़ के ऐतिहासिक संबंधों को खत्म करने का विचार कर रही है.
संघ राज्य क्षेत्र चंडीगढ़ के लिए सिर्फ केंद्र सरकार द्वारा कानून बनाने की प्रक्रिया को सरल बनाने का प्रस्ताव अभी केंद्र सरकार के स्तर पर विचाराधीन है| इस प्रस्ताव पर कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है| इस प्रस्ताव में किसी भी तरह से चंडीगढ़ की शासन-प्रशासन की व्यवस्था या चंडीगढ़…
— PIB - Ministry of Home Affairs (@PIBHomeAffairs) November 23, 2025
बयान में यह भी कहा गया कि केंद्र सभी शेयरधारकों- राज्य सरकारों, स्थानीय प्रशासन और नागरिकों के साथ संवाद करना चाहता है, ताकि चंडीगढ़ के हितों की पूरी तरह रक्षा हो सके. मंत्रालय ने लोगों से अपील की है कि वे अफवाहों पर ध्यान न दें और शांति बनाए रखें, क्योंकि किसी भी बड़े फैसले से पहले व्यापक चर्चा होगी.
क्या था प्रस्ताव और क्यों यह विवादित बन गया?
मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया था कि केंद्र सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 240 के दायरे में चंडीगढ़ को लाने का प्रस्ताव दिया है. अनुच्छेद 240 के तहत राष्ट्रपति को यह अधिकार होता है कि वह केंद्र-शासित प्रदेशों के लिए नियम और कानून बना सके—इससे केंद्रीय नियंत्रण बढ़ता है.
खबरों के मुताबिक, संसद के आगामी शीतकालीन सत्र (1 दिसंबर से) में संविधान (131वां संशोधन) विधेयक, 2025 पेश किया जा सकता है. यदि यह बिल पास हुआ, तो चंडीगढ़ में एक अलग प्रशासक या उपराज्यपाल नियुक्त किया जा सकेगा और प्रशासन की पूरी जिम्मेदारी केंद्र के हाथों में आ सकती है.
वर्तमान में चंडीगढ़ केंद्र-शासित प्रदेश है, लेकिन उसके प्रशासन में पंजाब की महत्वपूर्ण भागीदारी है. शहर का SSP, जिला कलेक्टर, अन्य उच्च पदों पर पंजाब और हरियाणा कैडर के अधिकारी रहते हैं. चंडीगढ़ दोनों राज्यों की साझा राजधानी जैसा काम करता है, जहां दोनों राज्यों की भूमिका आज भी महत्वपूर्ण है.
लेकिन प्रस्तावित संशोधन के बाद यह मॉडल बदल सकता है. यदि केंद्र सीधे नियंत्रण प्राप्त कर लेता है, तो पंजाब और हरियाणा की भूमिका कम हो जाएगी. प्रशासन, पुलिस और नगर निगम जैसे क्षेत्रों में नियुक्तियों और निर्णयों पर केंद्र का दबदबा बढ़ सकता है.
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