राजस्थान के बीकानेर स्थित नेशनल रिसर्च सेंटर ऑन कैमल (NRCC) में हाल ही में एक दिलचस्प और चौंकाने वाला शोध हुआ है, जो न केवल ऊंटों के बारे में नई जानकारी दे रहा है, बल्कि सांप के काटने के इलाज के लिए भी एक संभावित क्रांतिकारी हल प्रस्तुत कर रहा है. इस शोध से यह सामने आया है कि ऊंट के आंसुओं में ऐसे तत्व मौजूद होते हैं, जो सांप के जहर को प्रभावी तरीके से बेअसर कर सकते हैं. इस खोज से न केवल चिकित्सा जगत को उम्मीदें मिली हैं, बल्कि राजस्थान के किसानों के लिए यह एक नई कमाई का रास्ता भी खोल रहा है.
ऊंट के आंसुओं में छिपा जहर का इलाज
नेशनल रिसर्च सेंटर ऑन कैमल के वैज्ञानिकों ने इस शोध में ऊंटों पर एक दिलचस्प प्रयोग किया. उन्होंने खतरनाक सॉ-स्केल्ड वाइपर सांप का जहर ऊंटों को दिया और फिर ऊंटों के आंसुओं और खून के नमूने लिए. इससे पता चला कि ऊंटों में सांप के जहर के खिलाफ एंटीबॉडी बन रही थीं, जो जहर के प्रभाव को पूरी तरह से रोकने में सक्षम थीं. यह खोज न केवल चिकित्सा के क्षेत्र में एक नया कदम है, बल्कि यह भविष्य में लाखों जिंदगियों को बचाने में सहायक साबित हो सकती है.
कम लागत और कम एलर्जी का खतरा
इस शोध से एक और बड़ी बात सामने आई है कि घोड़ों से तैयार किए जाने वाले सांप के एंटीवेनम के मुकाबले ऊंटों से निकलने वाली एंटीबॉडीज के इस्तेमाल में एलर्जी का खतरा कम है. इसके साथ ही, ऊंट से एंटीबॉडी निकालने की प्रक्रिया भी काफी सस्ती और सुलभ है. यह उस वक्त के लिए एक बड़ा आश्वासन है जब एंटीवेनम की मांग अधिक होती है और लागत भी एक प्रमुख मुद्दा बनती है.
किसानों के लिए नया आय का स्रोत
अब इस शोध का सीधा फायदा राजस्थान के किसानों को हो रहा है. नेशनल रिसर्च सेंटर ने किसानों को ऊंट के आंसू और खून के नमूने देने के लिए आमंत्रित किया है. इस प्रक्रिया के जरिए किसान प्रति ऊंट 5 से 10 हजार रुपये तक कमा रहे हैं. किसानों के लिए यह न केवल एक नई आय का स्रोत है, बल्कि यह उनके लिए एक स्थिर और प्रभावी आर्थिक सहारा भी बन सकता है.
सांप के काटने से होने वाली मौतें
भारत में हर साल सांप के काटने से करीब 58,000 लोग अपनी जान गंवाते हैं, जबकि लगभग डेढ़ लाख लोग स्थायी विकलांगता का शिकार हो जाते हैं. यह समस्या खासतौर पर ग्रामीण इलाकों में अधिक देखने को मिलती है. अगर ऊंटों के आंसुओं से प्राप्त एंटीबॉडीज का उपयोग सांप के काटने के इलाज के रूप में किया जाता है, तो इससे हजारों लोगों की जान बचाई जा सकती है.
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