दिल्ली में रविवार को हुई बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की एक अहम बैठक में पार्टी सुप्रीमो मायावती ने एक बड़ा राजनीतिक दांव खेला. लंबे समय से संगठन से बाहर चल रहे उनके भतीजे आकाश आनंद की वापसी न केवल हुई, बल्कि उन्हें पार्टी का मुख्य कोऑर्डिनेटर नियुक्त कर दिया गया है. यह फैसला बसपा के भविष्य को लेकर एक नई दिशा की ओर इशारा करता है, जहां युवा नेतृत्व को सामने लाकर पार्टी फिर से अपनी खोई ज़मीन पाने की कोशिश कर रही है.
"इस बार ना हो कोई चूक"
इस बैठक में देशभर से आए बसपा के पदाधिकारी, खासतौर पर उत्तर प्रदेश के जिला अध्यक्ष और मंडलीय समन्वयक शामिल हुए. इस मंच से मायावती ने साफ कर दिया कि अब आकाश आनंद को पार्टी में सिर्फ शामिल ही नहीं किया गया है, बल्कि उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी को मज़बूत करने की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी भी दी गई है. साथ ही, उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि इस बार कोई चूक नहीं होनी चाहिए और आकाश को पूरी गंभीरता और अनुशासन के साथ पार्टी हित में कार्य करना होगा.
पिछली गलती से सबक, अब नई उम्मीदें
गौरतलब है कि कुछ समय पहले एक सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर आकाश आनंद को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था. लेकिन 13 अप्रैल को सार्वजनिक रूप से माफी मांगने के बाद उन्होंने स्वीकार किया कि वे भविष्य में किसी भी राजनीतिक निर्णय में निजी सलाहकारों या रिश्तेदारों की राय नहीं लेंगे. उनके इस आत्ममंथन को मायावती ने सकारात्मक रूप से लिया और दोबारा उन्हें पार्टी में शामिल कर लिया.
हालांकि, मायावती ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि आकाश की वापसी का मतलब यह नहीं है कि उनके ससुर अशोक सिद्धार्थ की पार्टी में वापसी भी होगी. उन्होंने दो टूक शब्दों में कह दिया कि उनके लिए पार्टी में कोई जगह नहीं है.
युवा चेहरों पर भरोसा या पारिवारिक मजबूरी?
बसपा के जनाधार में आई गिरावट और उत्तर प्रदेश में चंद्रशेखर आज़ाद रावण जैसे उभरते नेताओं की चुनौती ने मायावती को शायद नए सिरे से सोचने पर मजबूर कर दिया है. ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या आकाश आनंद अपनी नई भूमिका में पार्टी को फिर से गति देने में सफल होंगे, या यह कदम भी पार्टी की अंदरूनी राजनीति का एक हिस्सा बनकर रह जाएगा.
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