ब्रिटेन अब अपनी सैन्य क्षमताओं को नए स्तर पर ले जाने की तैयारी में है. प्रधानमंत्री कीर स्टारमर ने घोषणा की है कि ब्रिटेन 12 नई परमाणु ऊर्जा से संचालित परंपरागत अटैक पनडुब्बियां विकसित करेगा, जो मौजूदा पनडुब्बी बेड़े को 2030 के बाद चरणबद्ध रूप से प्रतिस्थापित करेंगी.
इस फैसले को ब्रिटेन की रणनीतिक रक्षा समीक्षा के हिस्से के रूप में देखा जा रहा है, जिसमें सशस्त्र सेनाओं को आने वाले वर्षों में “युद्ध के लिए तैयार” रखने की दिशा में ठोस कदम उठाए जा रहे हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह समीक्षा सरकार को रक्षा क्षेत्र में कई साहसिक फैसले लेने के लिए प्रेरित कर सकती है — जिसमें साइबर सुरक्षा, हथियार उत्पादन और सैनिकों की संख्या में बढ़ोतरी शामिल है.
परमाणु हथियारों से लैस नहीं होंगी पनडुब्बियां?
ब्रिटिश प्रधानमंत्री ने साफ किया है कि ये नई पनडुब्बियां, जो भले ही परमाणु हथियारों से लैस नहीं होंगी, फिर भी ब्रिटेन और नाटो की रक्षा संरचना को कई दशकों तक मजबूत बनाए रखेंगी. इसके अलावा, सरकार की योजना न्यूक्लियर वारहेड प्रोग्राम के आधुनिकीकरण पर भी लगभग 15 अरब पाउंड खर्च करने की है, ताकि ब्रिटेन की प्रतिरोधक क्षमता बनी रहे.
बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, ब्रिटिश रक्षा मंत्रालय पहले ही इस दिशा में 62 सुझावों पर काम कर रहा है, जो पूर्व रक्षा मंत्री लॉर्ड रॉबर्ट्सन की सिफारिशों का हिस्सा हैं. संभावना है कि सरकार इनमें से अधिकांश को स्वीकार कर आगे बढ़ेगी.
सिर्फ समंदर तक सीमित नहीं, ब्रिटेन की ये रणनीति आधुनिक युद्ध की सभी दिशाओं को कवर करने की तैयारी है. सरकार साइबर और इलेक्ट्रोमैग्नेटिक युद्ध क्षमताओं को मजबूत करने के लिए एक विशेष कमांड यूनिट की स्थापना करने जा रही है, जिससे सेना को डिजिटल स्पेस में भी डिफेंस और ऑफेंस दोनों में क्षमता मिलेगी.
ब्रिटेन 6 नई फैक्ट्रियां बनाएगा
रक्षा निर्माण के क्षेत्र में ब्रिटेन 1.5 अरब पाउंड का निवेश कर 6 नई फैक्ट्रियां बनाएगा, जहां 7000 से ज्यादा लॉन्ग-रेंज हथियार और ड्रोन्स का निर्माण लगातार किया जा सकेगा. यह कदम भविष्य के हाई-टेक युद्धों की तैयारी की दिशा में एक बड़ा संकेत है. सैनिकों की संख्या बढ़ाने का ऐलान भी इस रणनीति का अहम हिस्सा है. प्रधानमंत्री स्टारमर ने बताया कि नई पनडुब्बियों के निर्माण से करीब 30,000 नौकरियां उत्पन्न होंगी, जिससे न केवल रक्षा क्षेत्र को मजबूती मिलेगी, बल्कि आर्थिक मोर्चे पर भी सकारात्मक असर पड़ेगा.
ब्रिटेन की नौसेना के पास इस समय एस्टीट्यूट क्लास अटैक सबमरीन हैं, जो परमाणु ऊर्जा से संचालित होती हैं और परंपरागत मिसाइलों व टॉरपीडो से लैस हैं. ये पनडुब्बियां ट्राइडेंट मिसाइलों से लैस वैनगार्ड क्लास की पनडुब्बियों की सुरक्षा भी करती हैं, जो ब्रिटेन की परमाणु प्रतिरोधक क्षमता की रीढ़ मानी जाती हैं. अब ब्रिटेन इस पूरे ढांचे को अधुनिकीकरण के दौर में ले जाने की योजना बना चुका है.
रूस की परमाणु पनडुब्बियों की बार-बार ब्रिटिश जलसीमा के पास देखी गई गतिविधियों के चलते यह रणनीतिक बदलाव और भी जरूरी हो गया है. इसके अलावा, ब्रिटेन हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अमेरिका के साथ सैन्य उपस्थिति भी बढ़ा रहा है, जहां उसका मुकाबला सीधे तौर पर चीन की दुनिया की सबसे बड़ी नौसेना से है.
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