नई दिल्ली: अमेरिका और ब्राजील के बीच व्यापार टैरिफ को लेकर बढ़ती तनातनी अब वैश्विक राजनीति में नए समीकरणों को जन्म दे रही है. इसी कड़ी में एक बड़ा घटनाक्रम देखने को मिला जब ब्राजील के राष्ट्रपति लुईज इनासियो लूला दा सिल्वा ने अमेरिका की बजाय भारत का रुख किया और सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फोन कर बातचीत की. इस बातचीत ने न केवल भारत-ब्राजील द्विपक्षीय संबंधों को नई दिशा दी, बल्कि यह संदेश भी स्पष्ट किया कि आज वैश्विक नेतृत्व सिर्फ पश्चिमी देशों के इर्द-गिर्द ही सीमित नहीं है.
इस बातचीत के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने बीते महीने की अपनी ब्राजील यात्रा को याद किया. यात्रा के दौरान दोनों देशों के नेताओं ने व्यापक रूप से कई मुद्दों पर सहमति व्यक्त की थी, जिसमें व्यापार, तकनीक, ऊर्जा, रक्षा, कृषि, स्वास्थ्य और लोगों के बीच संपर्क जैसे क्षेत्र प्रमुख रहे.
Prime Minister Narendra Modi received a telephone call today from the President of Brazil, Luiz Inácio Lula da Silva. Prime Minister recalled his visit to Brazil last month during which the two leaders agreed on a framework to strengthen cooperation in trade, technology, energy,… pic.twitter.com/7dhEVlXPOF
— ANI (@ANI) August 7, 2025
बातचीत में दोनों नेताओं ने एक बार फिर भारत-ब्राजील रणनीतिक साझेदारी को नई ऊंचाइयों पर ले जाने की प्रतिबद्धता को दोहराया. उन्होंने क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर साझा हितों वाले मुद्दों पर अपने विचारों का आदान-प्रदान किया और आपसी संवाद को जारी रखने पर सहमति जताई. यह एक अहम संकेत है कि उभरती हुई अर्थव्यवस्थाएं अब एक-दूसरे की ओर सहयोग के लिए तेजी से बढ़ रही हैं.
अमेरिका के राष्ट्रपति को लूला का करारा जवाब
ब्राजील के राष्ट्रपति लूला दा सिल्वा का अमेरिका के प्रति हालिया रवैया वैश्विक मंच पर चर्चा का विषय बन गया है. जब उनसे पूछा गया कि क्या वे अमेरिका द्वारा टैरिफ बढ़ाने के मुद्दे पर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से बातचीत करेंगे, तो उनका जवाब सीधा और स्पष्ट था, "मैं ट्रंप को कॉल नहीं करूंगा."
लूला ने साफ शब्दों में कहा, "ट्रंप बात करने के इच्छुक ही नहीं हैं. मैं शी जिनपिंग को कॉल करूंगा, मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कॉल करूंगा, लेकिन ट्रंप को नहीं."
इस बयान ने साफ कर दिया कि लूला अमेरिका की व्यापारिक नीतियों और टैरिफ रणनीतियों को लेकर बेहद असहज हैं. उन्होंने ट्रंप की नीतियों को "ब्लैकमेल" करार देते हुए कहा कि अमेरिका यदि ब्राजील पर शुल्क लगाएगा, तो ब्राजील भी उसी अंदाज में जवाब देगा. लूला की यह प्रतिक्रिया न सिर्फ साहसी है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि लैटिन अमेरिकी देश अब अमेरिका की हर बात आंख मूंदकर मानने को तैयार नहीं हैं.
आत्मनिर्भर भारत बनाम अमेरिकी दबाव
भारत पर ट्रंप प्रशासन की टैरिफ धमकियों का कोई विशेष असर नहीं दिख रहा है. चाहे वह आयात-निर्यात से जुड़े मामले हों या रणनीतिक साझेदारियों की बात, भारत ने बार-बार यह साबित किया है कि वह दबाव की राजनीति के आगे झुकने वाला नहीं है.
भारत की रणनीति साफ है:
आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत भारत अब रक्षा, तकनीक, स्वास्थ्य और कृषि जैसे क्षेत्रों में खुद को तेजी से सशक्त बना रहा है.
अमेरिकी बाजार में बिना शर्त पहुंच की जो मांग ट्रंप प्रशासन बार-बार उठाता रहा है, उस पर भारत सरकार पूरी तरह स्पष्ट है कि देश के बाजार को किसी के दबाव में नहीं खोला जाएगा.
अमेरिका से किसी भी डील के लिए भारत जल्दबाजी में नहीं है और डेडलाइन की चिंता के बजाय स्वाभिमान और दीर्घकालिक हितों को प्राथमिकता दी जा रही है.
भारत-ब्राजील: नए वैश्विक गठजोड़ की नींव
ब्राजील और भारत दोनों ही उभरते हुए वैश्विक नेता हैं, जो बहुपक्षीय मंचों जैसे BRICS, G20 और UN में अपनी भूमिका को लगातार विस्तार दे रहे हैं. लूला और मोदी के बीच हालिया बातचीत यह दर्शाती है कि दक्षिणी गोलार्ध के दो बड़े लोकतंत्र अब वैश्विक मुद्दों पर साझा दृष्टिकोण और रणनीति अपनाने की दिशा में गंभीर हैं.
जहां पश्चिमी देशों का रुख अक्सर संरक्षणवादी (protectionist) होता जा रहा है, वहीं भारत और ब्राजील जैसे देश समावेशी और संतुलित वैश्विक व्यापार व्यवस्था की वकालत कर रहे हैं. इससे यह भी साफ हो रहा है कि दुनिया अब एक ध्रुवीय (unipolar) नहीं, बल्कि बहुध्रुवीय (multipolar) व्यवस्था की ओर बढ़ रही है.
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