जब बात वैश्विक रक्षा निर्यात और रणनीतिक साझेदारी की होती है, तो अब भारत न सिर्फ एक अहम खिलाड़ी बन चुका है, बल्कि उभरते देशों के लिए भरोसेमंद तकनीकी भागीदार भी साबित हो रहा है. ताजा घटनाक्रम में ब्राजील ने भारत की दो अहम रक्षा प्रणालियों आकाश मिसाइल डिफेंस सिस्टम और गरुड़ आर्टिलरी गन में गहरी रुचि दिखाई है.
इस रुचि के चलते दोनों देशों के बीच एक बड़ी रक्षा डील की संभावनाएं तेज हो गई हैं. खास बात यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगले सप्ताह ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में ब्राजील की यात्रा करने वाले हैं, जिससे पहले ही दोनों देशों के बीच बढ़ती सैन्य साझेदारी की खबरें अंतरराष्ट्रीय मंच पर चर्चा का विषय बन गई हैं.
सामरिक रिश्तों की नई शुरुआत
भारत और ब्राजील के रिश्ते अब सिर्फ कूटनीतिक सीमाओं तक सीमित नहीं रहे. दोनों देश संयुक्त अनुसंधान, टेक्नोलॉजी ट्रांसफर, सैन्य प्रशिक्षण और संयुक्त रक्षा निर्माण की दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं. विदेश मंत्रालय में सचिव (पूर्व) पी. कुमारन ने पुष्टि की है कि रक्षा क्षेत्र में सहयोग को लेकर उच्च स्तरीय वार्ताएं चल रही हैं. ब्राजील ने भारत से केवल मिसाइल और तोपें नहीं, बल्कि सुरक्षित संचार प्रणाली, तटीय निगरानी प्रणाली, स्कॉर्पीन पनडुब्बियों के मेंटेनेंस, और ऑफशोर पेट्रोल वेसल्स (OPVs) में भी रुचि दिखाई है. यह रक्षा साझेदारी भारत के लिए सैन्य निर्यात और वैश्विक रणनीतिक पहचान दोनों को मजबूत करेगी.
भारत की ताकतवर तकनीकें
आकाश मिसाइल डिफेंस सिस्टम: DRDO द्वारा विकसित यह सुपरसोनिक मध्यम दूरी की मिसाइल प्रणाली 25 से 45 किलोमीटर तक के लक्ष्य को भेद सकती है. यह प्रणाली 20 किलोमीटर ऊंचाई तक किसी भी हवाई खतरे जैसे लड़ाकू विमान, ड्रोन या क्रूज मिसाइल—का मुकाबला कर सकती है. यह सिस्टम Mach 2.5 की रफ्तार से अपने लक्ष्य पर अचूक वार करता है. ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान की ओर से हुए ड्रोन हमलों को विफल करने में इसकी अहम भूमिका रही थी.
गरुड़ आर्टिलरी गन: यह हल्की, मोबाइल और शक्तिशाली तोप प्रणाली भारतीय सेना की आत्मनिर्भरता की मिसाल है. खासकर सीमावर्ती और समुद्री क्षेत्रों में इसकी तैनाती से दुश्मन की हर हरकत का जवाब तेजी से दिया जा सकता है. यह तेजी से तैनात की जा सकने वाली स्वदेशी तोप खासतौर पर ब्राजील जैसे बड़े भूभाग वाले देशों के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है.
चीन के लिए चुनौतीपूर्ण संकेत
ब्राजील जैसे प्रभावशाली देश का भारत की रक्षा तकनीकों में दिलचस्पी लेना चीन के लिए कूटनीतिक और आर्थिक दबाव का कारण बन सकता है. चीन अब तक लैटिन अमेरिका में अपनी सैन्य पकड़ मजबूत करने की कोशिश करता रहा है, लेकिन भारत-ब्राजील डील उस क्षेत्र में चीन के प्रभाव को सीमित कर सकती है. ब्रिक्स जैसे मंच पर भारत की यह सैन्य स्वीकार्यता न केवल उसे रणनीतिक ताकत के रूप में स्थापित करती है, बल्कि ब्राजील के साथ साझेदारी चीन की बाजार हिस्सेदारी को सीधी चुनौती भी दे सकती है.
‘मेक इन इंडिया’ की गूंज अब वैश्विक
यह पूरा घटनाक्रम भारत की ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ नीति की कामयाबी का प्रतीक है. भारतीय रक्षा उत्पादों को अब केवल घरेलू स्तर पर नहीं, बल्कि वैश्विक स्तर पर भरोसेमंद विकल्प के रूप में देखा जा रहा है. ब्राजील जैसे राष्ट्र की दिलचस्पी यह दर्शाती है कि भारत अब सिर्फ आयातक नहीं, बल्कि निर्यातक और रणनीतिक साझेदार के रूप में उभर चुका है.
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