रूस-यूक्रेन की लड़ाई अभी खत्म भी नहीं हुई थी कि इज़रायल-हमास की जंग ने दुनिया को हिलाकर रख दिया. अब पूर्वी एशिया की ओर नज़र डालिए—थाईलैंड और कंबोडिया के बीच सीमा विवाद ने सीधे एयरस्ट्राइक तक बात पहुंचा दी है. इन झगड़ों का असर सिर्फ ज़मीनी राजनीति या बॉर्डर लाइन तक नहीं रहता, ये हर देश को अपनी रक्षा नीति पर दोबारा सोचने के लिए मजबूर करते हैं. भारत को यह सोचने का वक्त नहीं मिला—उसे तो तय करना था कि अब क्या करना है.
भारत की जियोपॉलिटिकल स्थिति बेहद नाज़ुक है. एक तरफ पाकिस्तान, जो मौका मिलते ही भारत के खिलाफ साजिशें रचता रहता है. दूसरी तरफ चीन, जिसकी विस्तारवादी भूख कभी खत्म नहीं होती. इन दोनों की चालें कब जंग का रूप ले लें, कोई नहीं जानता. यही वजह है कि भारत अब सिर्फ रिएक्ट नहीं कर रहा—वो प्रीपेयर कर रहा है, पूरी ताकत के साथ.
लेह-लद्दाख जैसे सुदूर, ऊबड़-खाबड़ इलाकों में एयरस्ट्रिप्स तैयार हो चुकी हैं. सड़कें, पुल, और बॉर्डर इंफ्रास्ट्रक्चर युद्धस्तर पर बनाए जा रहे हैं. ये सिर्फ निर्माण कार्य नहीं है, ये संकेत है कि भारत अब हर फ्रंट पर तैयार रहना चाहता है.
ऑपरेशन सिंदूर: सिर्फ जवाब नहीं, मैसेज था
पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू किया. सिर्फ चार दिन में इंडियन एयरफोर्स ने पाकिस्तान को उसकी हैसियत याद दिला दी. इस बार पाकिस्तान अकेला नहीं था—चीन और तुर्की भी उसके पीछे खड़े थे. लेकिन असली खुलासा तब हुआ जब भारतीय आर्मी के एक टॉप जनरल ने बताया कि चीन, पाकिस्तान को भारत की सैन्य गतिविधियों की रियल टाइम इंटेलिजेंस दे रहा था. बालाकोट से लेकर सिंदूर तक, भारत समझ चुका है कि अब आधे-अधूरे संसाधनों से काम नहीं चलेगा. पूरी ताकत, पूरी तैयारी और पूरी तकनीक ही देश को सुरक्षित रख सकती है.
वायुसेना का रूपांतरण: NETRA MK-II से तेजस MK-1A तक
इस रणनीति का सबसे बड़ा हिस्सा है—भारतीय वायुसेना का अपग्रेड. सरकार ने हाल ही में ₹20,000 करोड़ की NETRA MK-II परियोजना को हरी झंडी दे दी है. इसका मकसद है एक अगली पीढ़ी की AWACS (Airborne Warning and Control System) तैयार करना, जिससे भारत की एयर-स्पेस डिफेंस में क्रांतिकारी बदलाव आएगा.
DRDO की अगुवाई में छह Airbus A321 को एडवांस निगरानी सिस्टम में बदला जाएगा. इनमें इंडियन मेड AESA रडार लगेगा, जो 360-डिग्री कवरेज देगा. इससे दुश्मन की हर हरकत—चाहे वो विमान हो, ड्रोन हो या मिसाइल—पहले ही पकड़ में आ सकेगी. ये सिस्टम गैलियम नाइट्राइड तकनीक पर आधारित होगा, जो न सिर्फ लंबी दूरी से पता लगाने में सक्षम है बल्कि जामिंग के प्रति ज्यादा रेजिस्टेंस देता है.
तेजस MK-1A: विदेशी जेट नहीं, स्वदेशी फौलाद
एक और बड़ा फैसला है: ₹67,000 करोड़ में 97 तेजस MK-1A फाइटर जेट्स की खरीद. HAL से ये डील लगभग फाइनल हो चुकी है. यह डील भारतीय वायुसेना के स्क्वाड्रन स्ट्रेंथ को बढ़ाने और पुराने मिग-21 जैसे विमानों को बाहर करने के लिए की जा रही है.
पहले ही 2021 में सरकार 83 तेजस के लिए ₹48,000 करोड़ की डील कर चुकी है. यह दूसरा फेज है, और इससे भारत का फाइटर जेट फ्लीट और भी ज्यादा स्वदेशी और आत्मनिर्भर होगा. फ्रांस से आए राफेल ने वायुसेना की रीढ़ को मज़बूत किया है, लेकिन भारत अब 5वीं जेनरेशन फाइटर जेट्स की ओर देख रहा है. इस दिशा में दो बड़ी चालें चल रही हैं.
विदेशी 5th Gen जेट्स की खरीद
AMCA प्रोजेक्ट (Advanced Medium Combat Aircraft): यह पूरी तरह स्वदेशी, स्टील्थ टेक्नोलॉजी से लैस फाइटर जेट होगा. इसके प्रोटोटाइप के लिए ₹15,000 करोड़ का टेंडर जारी हो चुका है. सरकार चाहती है कि यह प्रोजेक्ट सिर्फ सरकारी संस्थानों तक सीमित न रहे. निजी कंपनियों को भी इसमें हिस्सा लेने का न्योता दिया गया है. इससे स्पीड भी आएगी और क्वालिटी भी.
हाइपरसोनिक की रेस: अब पीछे हटने का सवाल ही नहीं
सिर्फ फाइटर जेट ही नहीं, हाइपरसोनिक मिसाइल सिस्टम पर भी भारत तेजी से आगे बढ़ रहा है. हाल में इसकी सफल टेस्टिंग हो चुकी है, जो बताता है कि भारत अब सिर्फ जवाब देने वाला देश नहीं है—अब वो गेम चेंजर टेक्नोलॉजी में इन्वेस्ट कर रहा है. दिलचस्प बात ये है कि इन सारे डील्स में कोई राफेल, कोई ब्रह्मोस जैसी विदेशी खरीद नहीं है. इसका मतलब है—भारत अपनी रक्षा ज़रूरतें देश के भीतर ही पूरी करने पर फोकस कर रहा है.
इससे दो फायदे हैं:
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