भारत-रूस मिलकर उधेड़ेंगे पाकिस्तान की बखियां! ब्रह्मोस-2K मिसाइल करेंगे तैयार; पुतिन के दौरे पर होगी डील?

    Brahmos 2k Missile: भारत की ब्रह्मोस मिसाइल को लेकर जब से ऑपरेशन सिंदूर की सफलता सामने आई है, तब से यह सवाल उठने लगा है कि अगर सुपरसोनिक ब्रह्मोस इतनी तबाही मचा सकती है, तो हाइपरसोनिक ब्रह्मोस मिसाइल क्या कर सकती है? दरअसल, ब्रह्मोस-2K नामक हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल को लेकर एक नई उम्मीद जगी है.

    Brahmos 2k Missile Developing together can sign on agreement at putin visit
    Image Source: Social Media

    Brahmos 2k Missile: भारत की ब्रह्मोस मिसाइल को लेकर जब से ऑपरेशन सिंदूर की सफलता सामने आई है, तब से यह सवाल उठने लगा है कि अगर सुपरसोनिक ब्रह्मोस इतनी तबाही मचा सकती है, तो हाइपरसोनिक ब्रह्मोस मिसाइल क्या कर सकती है? दरअसल, ब्रह्मोस-2K नामक हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल को लेकर एक नई उम्मीद जगी है. इस मिसाइल के बारे में मीडिया रिपोर्ट्स में बताया जा रहा है कि भारत और रूस मिलकर इसे विकसित करने की योजना पर काम कर रहे हैं.

    रिपोर्ट्स के अनुसार, ब्रह्मोस-2K को मौजूदा ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का अगला संस्करण माना जा रहा है, जो कि हाइपरसोनिक स्पीड से लैस होगी. इसे रूस की जिरकॉन मिसाइल की टेक्नोलॉजी पर आधारित किया जाएगा, जिसमें स्क्रैमजेट इंजन की तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा. इस मिसाइल की स्पीड 7 से 8 मैक के बीच हो सकती है, जो कि आमतौर पर मौजूदा सुपरसोनिक मिसाइलों से कहीं अधिक तेज़ होगी.

    ब्रह्मोस-2K: अगली पीढ़ी की हाइपरसोनिक मिसाइल

    विशेष बात ये है कि ब्रह्मोस-2K को न्यूक्लियर वारहेड ले जाने की क्षमता भी होगी, जिससे इसकी मारक क्षमता और खतरनाक हो जाएगी. इसके रेंज को लेकर रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि इसका रेंज करीब 1500 किलोमीटर होगा, जो इसे पाकिस्तान, चीन और अन्य पड़ोसी देशों के खिलाफ बेहद प्रभावी बनाता है.

    कैसे काम करेगी ब्रह्मोस-2K मिसाइल?


    ब्रह्मोस-2K, जिसे ब्रह्मोस मार्क-II या ब्रह्मोस-II भी कहा जा रहा है, हाइपरसोनिक स्पीड के साथ अपनी मार्गदर्शन क्षमता और रडार सिग्नेचर को कम करने में भी सक्षम होगी. यही कारण है कि इसे इंटरसेप्ट करना बहुत कठिन होगा. इसकी शानदार मैनूवरिंग क्षमता इसे किसी भी एयर डिफेंस सिस्टम से बचाने में मदद करेगी.

    इस मिसाइल का परीक्षण करने में भारत और रूस की साझा विशेषज्ञता काम करेगी. रूस की जिरकॉन मिसाइल की तकनीक का इस्तेमाल करते हुए भारत अपनी मिसाइल टेक्नोलॉजी को बेहतर बना रहा है, ताकि यह और भी ज्यादा प्रभावी हो. खास बात यह है कि भारत ने अब तक कई सफल परीक्षण किए हैं, जिनमें स्क्रैमजेट इंजन का 1,000 सेकंड का सफल ग्राउंड टेस्ट भी शामिल है.

    हाइपरसोनिक मिसाइल कार्यक्रम में भारत का बढ़ता कदम


    हाइपरसोनिक मिसाइल कार्यक्रम में भारत अब तक काफी करीब पहुंच चुका है. DRDO और रूसी NPO Mashinostroyeniya के बीच ब्रह्मोस-2K प्रोग्राम पर पिछले कुछ सालों से काम हो रहा था, लेकिन अब पाकिस्तान और चीन के बढ़ते खतरों को देखते हुए इस प्रोग्राम को तेजी से पूरा करने की योजना बनाई जा रही है. ब्रह्मोस-2K की विकास प्रक्रिया इस समय अत्यधिक तेज़ी से हो रही है, और रिपोर्ट्स के मुताबिक, इसका पहला वैरिएंट 2024 के अंत तक तैयार हो जाएगा, जबकि दूसरा पूरी तरह से स्क्रैमजेट तकनीक पर आधारित वैरिएंट 2027 तक तैयार किया जाएगा.

    भारत के मिसाइल निर्माण की क्षमताएं


    भारत में मिसाइल निर्माण की प्रक्रिया अब बेहद परिष्कृत हो चुकी है. भारत के पास एडवांस टेस्टिंग सुविधाएं हैं, जिससे मिसाइलों की टेस्टिंग और सुधार तेजी से किया जा सकता है. दिल्ली डिफेंस रिव्यू के डायरेक्टर सौरव झा के मुताबिक, भारत ने पहले ही अपने मिसाइल निर्माण के इको-सिस्टम को तैयार किया है, जो इसे दुनिया के सबसे सक्षम देशों में से एक बनाता है.

    कितनी प्रभावी होगी ब्रह्मोस-2K?


    ब्रह्मोस-2K का असर आने वाले समय में पूरे रक्षा परिदृश्य को बदल सकता है. इसकी हाइपरसोनिक स्पीड और मैनूवरिंग क्षमता न सिर्फ पाकिस्तान और चीन के एयर डिफेंस सिस्टम को चुनौती देगी, बल्कि यह भारत को सैन्य शक्ति के मामले में और अधिक मजबूती प्रदान करेगी. मिसाइल के विकास के साथ-साथ भारत का सुरक्षा तंत्र भी मजबूत हो जाएगा, जो हर स्थिति में तुरंत प्रतिक्रिया देने में सक्षम होगा.

    यह भी पढ़ें: हूजूर हमें कोई दिक्कत नहीं... अमेरिका ने TRF को घोषित किया आतंकी संगठन, तो हाथ जोड़ पाकिस्तान ने स्वीकारी बात