युद्ध के मैदान का 'बॉस', चीन के J-36 से क्यों खौफ खा रहे दुनियाभर के 'शक्तिमान'? भारत का एंगल समझिए

    चीन एक बार फिर अपनी सैन्य ताकत के दम पर दुनिया की नींद उड़ाने की तैयारी में है. इस बार चर्चा में है उसका नया और बेहद रहस्यमय छठी पीढ़ी का फाइटर जेट, जिसे अब तक नाम नहीं दिया गया है.

    boss of battlefield China J36
    प्रतीकात्मक तस्वीर | Photo: Freepik

    चीन एक बार फिर अपनी सैन्य ताकत के दम पर दुनिया की नींद उड़ाने की तैयारी में है. इस बार चर्चा में है उसका नया और बेहद रहस्यमय छठी पीढ़ी का फाइटर जेट, जिसे अब तक नाम नहीं दिया गया है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यह J-36 हो सकता है. इसकी झलक एक बार फिर हवा में देखने को मिली है और इसके फीचर्स देखकर एक्सपर्ट्स भी दंग हैं.

    इस जेट को अमेरिका के NGAD (Next Generation Air Dominance) प्रोग्राम और ब्रिटेन के Tempest जेट का कड़ा मुकाबला माना जा रहा है. सबसे खास बात – तीन इंजन, बिना टेल और सुपर स्टील्थ डिज़ाइन के साथ यह जेट युद्ध के मैदान में 'गेम चेंजर' बन सकता है.

    कैसी है चीन की ये 'हवा की तलवार'?

    • यह जेट पूरी तरह से टेललेस फ्लाइंग विंग डिजाइन में बनाया गया है, जिससे यह रडार की पकड़ में नहीं आता.
    • चीनी मीडिया इसे 'गिंको लीफ जेट' कह रहा है, जो इसकी डिजाइन की खासियत को दर्शाता है.
    • इसे चेंगदू एयरक्राफ्ट कॉर्पोरेशन (CAC) ने विकसित किया है और इसकी दूसरी टेस्ट फ्लाइट की तस्वीरें 17 मार्च 2025 को वायरल हुईं.
    • इसमें कटिंग-एज स्टील्थ टेक्नोलॉजी, AI से लैस हथियार, और सुपरक्रूज क्षमता वाला WS-15 इंजन हो सकता है.

    क्या बनाता है इसे खतरनाक?

    • मानवरहित ऑपरेशन: इसे पायलट की जरूरत नहीं, फिर भी यह दुश्मन पर अचूक वार कर सकता है.
    • AI इंटीग्रेशन: पूरा सिस्टम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से कंट्रोल होता है – जैसे खुद सोचने वाला फाइटर जेट.
    • ड्रोन को भी नियंत्रित कर सकता है – यानी खुद के साथ-साथ दूसरे अटैकर्स को भी मैनेज करेगा.
    • इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर में सक्षम – ये इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल्स और संचार को भी ब्लॉक कर सकता है.
    • लॉन्ग रेंज, हाई पेलोड – दुश्मन के टारगेट तक गहराई में घुसकर हमला करने की ताकत.

    भारत और अमेरिका की चिंता क्यों बढ़ी?

    चीन का यह जेट साउथ चाइना सी से लेकर हिंद महासागर तक सैन्य संतुलन को बिगाड़ सकता है. यही वजह है कि रक्षा विश्लेषक इसे भारत और अमेरिका दोनों के लिए संभावित खतरा मान रहे हैं.

    अमेरिकी वायुसेना के अफसर एंड्रयू पी. हंटर ने माना कि यह जेट 2025 तक ऑपरेशनल हो सकता है और इसे ‘एयरबोर्न क्रूजर’ के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है – यानी मिसाइल और ड्रोन को कंट्रोल करने वाला हवाई कमांड सेंटर.

    सोशल मीडिया पर मचा हलचल

    • @DefenseExpertX ने लिखा – "J-36 का दूसरा टेस्ट चीन को हवाई युद्ध का बॉस बना सकता है, अमेरिका को अलर्ट रहना होगा!"
    • @IndiaDefenceFan ने चिंता जताई – "J-36 भारत के लिए खतरा बन सकता है, हमें अपनी एयरफोर्स को और मजबूत बनाना होगा."

    आखिर क्या है भारत का विकल्प?

    इस नई चुनौती के सामने भारत को भी अपनी वायुसेना को 6th जनरेशन फाइटर जेट्स, स्वदेशी तकनीक और AI-बेस्ड डिफेंस की ओर तेजी से बढ़ाना होगा. तेजस MK2, AMCA प्रोजेक्ट और राफेल के अपग्रेड्स अब पहले से कहीं ज्यादा जरूरी हो गए हैं. कह सकते हैं – जंग अब सिर्फ हथियारों की नहीं, टेक्नोलॉजी की भी होने वाली है… और चीन इसकी तैयारी पूरी कर चुका है.

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