88 वर्षीय पोप फ्रांसिस, जिनकी आज दुनिया भर में गहरी श्रद्धा है, अपने युवा दिनों में एक दिलचस्प और रोमांटिक घटना से जुड़े रहे हैं. एक समय था जब वे अपने पड़ोस की लड़की से प्यार करते थे, लेकिन उनका दिल टूटने के बाद ही उन्होंने पादरी बनने का निर्णय लिया. इस घटना के बाद उनके जीवन की दिशा पूरी तरह बदल गई, और यह उन्हें धार्मिक जीवन की ओर ले गई, जहां से वे अंततः लैटिन अमेरिका से पहले पोप बने.
उनके जीवन के इस अध्याय के बारे में कम ही लोग जानते हैं, लेकिन यह सवाल उठता है कि क्या दिल टूटने की वह घटना वास्तव में उनके आस्थावान मार्ग की शुरुआत थी? इस लेख में हम उनके जीवन की उस घटना को जानेंगे, जिसने उन्हें पादरी बनने के निर्णय की ओर अग्रसर किया.
युवावस्था में प्रेम और दिल टूटने की घटना
पोप फ्रांसिस का असली नाम जॉर्ज मारियो बर्गोग्लियो था और उनका बचपन अर्जेंटीना के ब्यूनस आयर्स में बीता. एक इतालवी प्रवासी परिवार में जन्मे, जॉर्ज ने वहां अपनी शिक्षा पूरी की और रसायन विज्ञान में डिग्री प्राप्त की. इसके साथ ही, उन्होंने नाइट क्लब बाउंसर, केमिकल लैब तकनीशियन और सफाई कर्मचारी जैसी नौकरियां भी कीं. लेकिन इस सबके बीच उन्हें आध्यात्मिक अनुभव भी मिले, जिसने उन्हें पादरी बनने की प्रेरणा दी.
एक युवा लड़के का दिल टूटना और उसका प्रभाव
कहा जाता है कि जॉर्ज बर्गोग्लियो का दिल तब टूटा जब वह 20 साल के थे. वह एक युवती से प्यार करते थे, और यह रिश्ता गंभीर हो गया था. कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक, जॉर्ज ने उस युवती को प्रपोज़ करने का भी विचार किया था, लेकिन यह संबंध टूट गया, शायद पारिवारिक या व्यक्तिगत कारणों से. यह घटना उनके जीवन में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई.
पोप फ्रांसिस ने स्वयं कई साक्षात्कारों में इस घटना का उल्लेख किया है. उन्होंने स्वीकार किया कि उनका युवावस्था में सामान्य इच्छाएं थीं, जैसे कि प्यार और परिवार बसाना, लेकिन समय के साथ उनका उद्देश्य ईश्वर की सेवा और मानवता की मदद करना बन गया.
पोप का प्रेम पत्र: एक पुरानी याद
ब्यूनस आयर्स के एक शांत इलाके में स्थित मेम्ब्रिलर स्ट्रीट में, जॉर्ज ने अपनी पड़ोसन अमालिया डेमोंटे से प्यार किया था. एक बार उन्होंने अमालिया को एक प्रेम पत्र लिखा, जो बाद में उसके माता-पिता के हाथ लग गया. वह प्रेम पत्र जॉर्ज के लिए एक बड़ा मोड़ था. इसमें जॉर्ज ने लिखा था कि, "अगर मैं तुमसे शादी नहीं कर पाऊं तो मैं पादरी बन जाऊंगा."
अमालिया ने एक साक्षात्कार में बताया, "वह मेरे लिए एक छोटा सा सफेद लकड़ी का घर बनाकर लाए थे, जिसमें छत लाल रंग की थी, और उस पर लिखा था ‘जब हम शादी करेंगे तो मैं यही खरीदूंगा.’"
यह पत्र अमालिया के माता-पिता के हाथ लग गया, और उनकी मां ने इसे सख्ती से नकारा करते हुए घर का वह लकड़ी का घर तोड़ दिया. उन्होंने कहा, “तो, तुम्हें एक लड़के से पत्र मिल रहे हैं?” इसके बाद जॉर्ज और अमालिया के बीच संपर्क कट गया.
अब क्या हुआ?
कई सालों बाद, अमालिया ने जॉर्ज के बारे में चर्च के माध्यम से सुना, लेकिन उन्होंने फिर से किसी प्रकार का संपर्क बनाने की कोशिश नहीं की. वह अपनी शादी में व्यस्त हो गईं और परिवार का पालन-पोषण किया. जॉर्ज बर्गोग्लियो का परिवार मेम्ब्रिलर स्ट्रीट से कुछ समय बाद चला गया, और उनकी जिंदगी के अन्य मोड़ भी सामने आए, जो उन्हें पादरी बनने की ओर अग्रसर किए.
पोप फ्रांसिस ने हमेशा अपने कार्यकाल में विनम्रता और गरीबों के प्रति संवेदनशीलता को प्राथमिकता दी. उन्होंने अपने जीवन के उन शुरुआती अनुभवों से ही यह समझ लिया कि जीवन का उद्देश्य सिर्फ व्यक्तिगत खुशी नहीं, बल्कि दूसरों की सेवा भी है.
आज, उनकी यात्रा ने उन्हें दुनिया भर के लाखों लोगों का प्रिय बना दिया है. उनके जीवन के पहले रोमांटिक अनुभव से लेकर उनकी पादरी बनने की यात्रा ने यह सिद्ध कर दिया कि व्यक्तिगत संघर्ष और दिल टूटने से भी जीवन की दिशा बदल सकती है, और यह किसी बड़े उद्देश्य की ओर मार्गदर्शन कर सकता है.
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