'पाकिस्तानी सेना किसी कोने में सुरक्षित नहीं है, हमले करते रहेंगे...' BLA ने बयान जारी कर दी चेतावनी

    बलूचिस्तान की आज़ादी की मांग अब सिर्फ नारों तक सीमित नहीं रही. बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) ने एक बार फिर पाकिस्तानी सेना पर जोरदार हमला कर अपनी मौजूदगी और इरादों को साफ कर दिया है.

    BLA warning to Pakistani army is not safe in any corner
    प्रतीकात्मक तस्वीर/Photo- Internet

    इस्लामाबाद: बलूचिस्तान की आज़ादी की मांग अब सिर्फ नारों तक सीमित नहीं रही. बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) ने एक बार फिर पाकिस्तानी सेना पर जोरदार हमला कर अपनी मौजूदगी और इरादों को साफ कर दिया है. 9 मई को पंजगुर जिले में एक घातक हमले में BLA ने 14 पाकिस्तानी सैनिकों को मार गिराने का दावा किया है. इस हमले का वीडियो संगठन ने खुद 14 मई को जारी किया, जिसे 'ऑपरेशन हेरोफ' का हिस्सा बताया गया है.

    अब पाक सेना कहीं भी सुरक्षित नहीं- BLA

    BLA की ओर से जारी बयान में कहा गया: "बलूचिस्तान की आज़ादी का आंदोलन अब जनसमर्थन से और भी ताकतवर हो गया है. पाकिस्तानी सेना अब बलूचिस्तान में कहीं भी महफूज नहीं है."

    यह सिर्फ एक हमला नहीं, बल्कि BLA के मुताबिक, एक व्यापक रणनीति का हिस्सा है. संगठन का दावा है कि हाल के हफ्तों में 58 लोकेशनों पर 78 से ज्यादा हमले किए गए हैं, जिनमें पाक सेना, खुफिया एजेंसियां और पुलिस थाने सीधे निशाने पर रहे.

    ऑपरेशन हेरोफ: बलूच प्रतिरोध की नई पहचान

    BLA के अनुसार, केच, क्वेटा, पंजगुर, नुशकी, मस्तुंग, जमुरान, तोलांगी और कुलुकी जैसे इलाकों में लगातार हमले किए गए हैं. संगठन ने इन हमलों को ‘बलूच प्रतिरोध की लहर’ बताया है और पाकिस्तान को वैश्विक आतंकवाद का अड्डा घोषित करने की मांग अंतरराष्ट्रीय समुदाय से की है.

    हम पाकिस्तान का हिस्सा नहीं- मीर यार का ऐलान

    इस हमले के कुछ ही दिन बाद बलूच नेता मीर यार बलूच ने एक बड़ा ऐलान कर दिया. उन्होंने सार्वजनिक रूप से कहा: "बलूच लोग अब पाकिस्तान का हिस्सा नहीं हैं. यह हमारा राष्ट्रीय फैसला है. दुनिया अब चुप नहीं रह सकती—हमारा साथ दो."

    X (पूर्व ट्विटर) पर उन्होंने स्पष्ट शब्दों में लिखा कि बलूचिस्तान को जबरन पाकिस्तान में मिलाया गया था और वहां दशकों से हो रहे मानवाधिकार हनन, अपहरण और सैन्य अत्याचार के खिलाफ अब पूरे बलूच समाज ने विद्रोह का रास्ता चुना है.

    बलूचिस्तान: एक गुमनाम युद्धभूमि

    बलूचिस्तान में मीडिया की पहुंच सीमित है, जिससे वहां की हकीकत दुनिया तक नहीं पहुंच पाती. लेकिन जो जानकारियां बाहर आ रही हैं, वे पाकिस्तान के लिए एक गंभीर चेतावनी हैं.

    • अंतरराष्ट्रीय मीडिया को वहां कवरेज की छूट नहीं है
    • स्थानीय लोगों के अपहरण, फर्जी एनकाउंटर और सैन्य कार्रवाई आम हो चुकी हैं
    • बलूच लोग अपने अधिकारों और संस्कृति के लिए संघर्ष कर रहे हैं

    क्या दुनिया अब भी चुप रहेगी?

    BLA के बढ़ते हमलों और मीर यार बलूच जैसे नेताओं की सार्वजनिक घोषणाओं से यह साफ है कि बलूच आंदोलन अब सिर्फ छिपे हुए विरोध का मामला नहीं रहा. यह एक सुनियोजित राजनीतिक और सशस्त्र संघर्ष बन चुका है, जिसकी गूंज अब वैश्विक पटल पर भी सुनाई देने लगी है. "बलूचिस्तान अब खुद को स्वतंत्र मानता है, और दुनिया से उस स्वतंत्रता को मान्यता देने की मांग कर रहा है."

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