BJP 45th Foundation Day: भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का दबदबा भारतीय राजनीति में बढ़ा है, और इसका मुख्य कारण पार्टी की स्मार्ट रणनीतियां हैं, जिनमें सोशल इंजीनियरिंग और तकनीकी उपकरणों का उपयोग किया गया है. पार्टी ने अपने वादों को निभाते हुए और चौंकाने वाले फैसले लेकर राजनीति का परिदृश्य बदल दिया. बीजेपी ने यह सब कैसे किया, आइए इसे विस्तार से समझते हैं.
बीजेपी की सोशल इंजीनियरिंग
बीजेपी ने अपनी राजनीति को आकार देने में सोशल इंजीनियरिंग का एक नया रूप पेश किया. पार्टी ने यह समझा कि प्रत्येक राज्य की अपनी विशेषता होती है, और उसी के आधार पर उसने नेताओं का चयन किया. इसका प्रमुख उदाहरण दिल्ली विधानसभा चुनाव में देखने को मिला, जहां बीजेपी ने रेखा गुप्ता को मुख्यमंत्री बनाया. यह फैसला पार्टी की रणनीति का हिस्सा था, क्योंकि बीजेपी ने सोशल इंजीनियरिंग के तहत ऐसे चेहरों को चुना जो न केवल चौंकाने वाले थे, बल्कि राजनीतिक रूप से प्रभावी भी थे.
बीजेपी ने समाज के विभिन्न वर्गों को अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए बड़े कदम उठाए. उसने एससी/एसटी और ओबीसी समुदायों को नेतृत्व के अवसर दिए, और इन वर्गों के नेताओं को राजनीति में प्रमुख स्थान दिलवाया. उदाहरण के तौर पर, पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और वर्तमान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू जैसे नेता इस सोशल इंजीनियरिंग का प्रमाण हैं, जिन्होंने पार्टी को इन वर्गों में समर्थन दिलाने में अहम भूमिका निभाई.
चौंकाने वाले निर्णय और नए चेहरे
बीजेपी ने न केवल पारंपरिक राजनीति को अपनाया, बल्कि चौंकाने वाले फैसले लेकर अपनी पहचान बनाई. दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, त्रिपुरा और गुजरात जैसे राज्यों में पार्टी ने पहली बार विधायक बने नेताओं को मुख्यमंत्री बनाया. मध्य प्रदेश में, जहां शिवराज सिंह चौहान की लगातार तीसरी बार जीत के बावजूद उन्हें हटाकर मोहन यादव को मुख्यमंत्री बनाया गया, यह पार्टी का एक और चौंकाने वाला निर्णय था. उत्तर प्रदेश में, योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री बनाया गया, जबकि वह पहले विधायक नहीं थे. इस तरह के फैसलों ने बीजेपी को अलग पहचान दिलाई और उसने अपनी राजनीति को नए सिरे से आकार दिया.
तकनीकी उपायों का प्रभाव
बीजेपी ने अपनी रणनीतियों को अधिक प्रभावी बनाने के लिए तकनीक का सही तरीके से इस्तेमाल किया. सोशल मीडिया का उपयोग करके पार्टी ने न केवल अपनी उपलब्धियों को प्रचारित किया, बल्कि विपक्ष को भी निशाने पर लिया. बीजेपी ने अपने संदेश को जन-जन तक पहुंचाने के लिए सोशल मीडिया सेल का गठन किया और चुनाव प्रचार के दौरान वीडियो वैन और 3डी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया. इसके अलावा, पार्टी ने विभिन्न मुद्दों पर अपने विचार और नीतियों को सोशल मीडिया पर प्रमुखता से प्रस्तुत किया, जैसे हिजाब विवाद, हलाल मीट, और हिंदुत्व के मुद्दों पर पार्टी का नजरिया.
बीजेपी के प्रमुख वादे और उनकी पूर्ति
बीजेपी ने अपने घोषणापत्र में किए गए कई वादों को पूरा किया, जिनमें राम मंदिर का निर्माण, समान नागरिक संहिता, जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 का निरसन, और कश्मीर घाटी में कश्मीरी पंडितों की वापसी जैसे मुद्दे शामिल थे. 2024 के चुनाव से पहले, अयोध्या में राम मंदिर का उद्घाटन कर पार्टी ने अपने सबसे प्रमुख वादे को पूरा किया, जिससे बीजेपी ने यह संदेश दिया कि वह अपने वादों को निभाती है. इसके अलावा, उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू कर, और मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक के खिलाफ कानून लाकर बीजेपी ने अपने वादों को और आगे बढ़ाया.
सरकारी कामकाज में डिजिटलीकरण को बढ़ावा देने के लिए आयुष्मान भारत जैसी योजनाएं शुरू की गईं, और मेडिकल कॉलेज तथा एम्स जैसे संस्थान खोले गए. इन कदमों ने पार्टी की छवि को और मजबूत किया और बीजेपी ने तकनीक के जरिए अपनी उपलब्धियों को व्यापक स्तर पर प्रचारित किया.
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