पहली बार 95 लाख रुपए के पार पहुंचा बिटकॉइन, 2009 में मात्र 35 पैसे थी, जानें इसके बारे में सबकुछ

    क्रिप्टोकरेंसी की दुनिया में इतिहास बन गया है! बिटकॉइन ने पहली बार ₹95.50 लाख (1.10 लाख डॉलर) की रिकॉर्ड ऊंचाई छू ली है.

    Bitcoin crossed 95 lakh rupees for the first time
    प्रतीकात्मक तस्वीर/Photo- FreePik

    मुंबई: क्रिप्टोकरेंसी की दुनिया में इतिहास बन गया है! बिटकॉइन ने पहली बार ₹95.50 लाख (1.10 लाख डॉलर) की रिकॉर्ड ऊंचाई छू ली है. जिस डिजिटल करेंसी की शुरुआत 2009 में '0' कीमत से हुई थी, वह आज करोड़ों के क्लब में शामिल हो चुकी है. सोचिए, अगर आपने उस वक्त कुछ पैसे इसमें लगाए होते तो आज करोड़पति होते!

    तो आखिर ये बिटकॉइन है क्या, इसकी कीमत क्यों इतनी बढ़ रही है, और क्या यह वाकई डिजिटल सोने के बराबर है? चलिए, आसान भाषा में समझते हैं.

    बिटकॉइन क्या है?

    बिटकॉइन एक डिजिटल करेंसी है, मतलब न तो कोई नोट, न सिक्का, बस एक डिजिटल कोड जो इंटरनेट पर चलता है. इसकी सबसे खास बात ये है कि यह पूरी तरह 'डीसेंट्रलाइज' है, यानि इसे ना कोई सरकार चलाती है, ना कोई बैंक.

    आप जैसे व्हाट्सऐप पर मैसेज भेजते हैं, वैसे ही बिटकॉइन को भी इंटरनेट से दुनिया के किसी भी कोने में ट्रांसफर किया जा सकता है.

    यह काम कैसे करता है?

    बिटकॉइन ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर चलता है. इसे ऐसे समझिए जैसे एक डिजिटल खाता-बही, जिसमें हर लेनदेन दर्ज होता है. ये डेटा हजारों कंप्यूटरों पर एक साथ स्टोर होता है, जिससे कोई इसे चुपचाप बदल नहीं सकता.

    हर बार जब कोई बिटकॉइन ट्रांसफर होता है, उसे माइनर्स नाम के लोग वेरिफाई करते हैं. ये लोग अपने कंप्यूटर से जटिल गणनाएं करते हैं और बदले में उन्हें नए बिटकॉइन मिलते हैं.

    डिजिटल गोल्ड क्यों कहा जाता है?

    बिटकॉइन की संख्या पहले से तय है, केवल 21 मिलियन. इससे ज़्यादा कभी नहीं बनेंगे. यही कारण है कि जैसे सोना दुर्लभ और कीमती होता है, वैसे ही बिटकॉइन भी.

    अगर इसकी संख्या अनलिमिटेड होती, तो इसकी वैल्यू गिर जाती. सीमित सप्लाई और बढ़ती डिमांड ने इसे डिजिटल गोल्ड बना दिया है.

    बिटकॉइन बनाम फिएट करेंसी में फर्क

    फिएट करेंसी  (सरकारी नोट) जैसे ₹500 या ₹2000 का नोट सरकार छापती है. सरकार चाहे तो इन्हें अमान्य भी कर सकती है (जैसे 2016 की नोटबंदी).

    बिटकॉइन किसी सरकार के नियंत्रण में नहीं है, और इसकी वैल्यू किसी देश की नीति पर निर्भर नहीं करती.

    पहले जब नोट की वैल्यू सोने से जुड़ी होती थी, तब उसकी एक ठोस कीमत होती थी. लेकिन अब सरकार जितने चाहे उतने नोट छाप सकती है, जिससे महंगाई बढ़ती है. बिटकॉइन इस प्रणाली को चुनौती देता है.

    बिटकॉइन के फायदे और नुकसान

    फायदे:

    नियंत्रण से मुक्त: कोई सरकार इसका मालिक नहीं.

    इन्फ्लेशन प्रूफ: सीमित सप्लाई, मतलब वैल्यू स्थिर.

    ग्लोबल: दुनिया में कहीं भी भेजें, मिनटों में.

    सिक्योर: ब्लॉकचेन तकनीक के कारण सुरक्षित और ट्रैक करने योग्य.

    नुकसान:

    कीमत में उतार-चढ़ाव: कभी आसमान, कभी ज़मीन.

    सीमित स्वीकार्यता: हर जगह पेमेंट के लिए नहीं चलती.

    टेक्निकल रिस्क: पासवर्ड भूल गए तो बिटकॉइन गया!

    ऊर्जा संकट: माइनिंग में भारी बिजली खर्च होती है.

    क्या अब निवेश करना सही रहेगा?

    अगर आप बिटकॉइन में निवेश करने की सोच रहे हैं, तो ध्यान रखें कि यह हाई रिस्क - हाई रिटर्न गेम है. इसमें उतनी ही रकम लगाएं, जितना खोने का रिस्क आप उठा सकें. साथ ही, किसी एक्सपर्ट से सलाह लेना हमेशा बेहतर रहता है.

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