इस्लामाबाद: पश्चिम एशिया में इज़राइल और ईरान के बीच बढ़ते तनाव के बीच पाकिस्तान ने इस मुद्दे पर खुलकर अपनी स्थिति स्पष्ट की है. पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP) के चेयरमैन और पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो-जरदारी ने सोमवार को संसद में दिए गए बयान में इज़राइल की कार्रवाई की कड़ी निंदा करते हुए इसकी तुलना भारत के "ऑपरेशन सिंदूर" से की. उन्होंने भारत को सिंधु जल संधि को लेकर भी कठोर चेतावनी दी और स्पष्ट किया कि पाकिस्तान अपनी जल संप्रभुता पर कोई समझौता नहीं करेगा.
इज़राइल की कार्रवाई को बताया पश्चिमी आक्रामकता
बिलावल ने कहा कि जिस प्रकार इज़राइल ने ईरान की परमाणु सुविधाओं को निशाना बनाते हुए हमला किया, वह वैश्विक कूटनीति और अंतरराष्ट्रीय कानूनों का सीधा उल्लंघन है. उन्होंने इस स्थिति की तुलना मई की शुरुआत में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए सीमित सैन्य संघर्ष "ऑपरेशन सिंदूर" से की.
बिलावल का कहना था, "जिस तरह भारत ने पाकिस्तान की सीमाओं के भीतर घुसकर हमला किया, उसी तरह आज इज़राइल ईरान की संप्रभुता को लांघ रहा है. मगर जैसे पाकिस्तान ने जवाब दिया, वैसे ही ईरान भी देगा."
उन्होंने यह भी दावा किया कि पाकिस्तान के जवाबी "ऑपरेशन बुनियान-उम-मारसूस" के तहत भारतीय वायुसेना के छह लड़ाकू विमान गिराए गए, जिनमें तीन राफेल शामिल थे.
सिंधु जल संधि पर टिप्पणी: पानी रोका गया तो युद्ध तय
बिलावल ने भारत द्वारा सिंधु जल संधि को आंशिक रूप से निलंबित करने की रिपोर्टों पर तीव्र प्रतिक्रिया दी. उन्होंने इसे संयुक्त राष्ट्र चार्टर और जल कानूनों का उल्लंघन बताया और चेतावनी दी कि अगर भारत ने नदियों का प्रवाह रोकने की कोशिश की, तो पाकिस्तान इसे युद्ध का कारण मानेगा.
उन्होंने कहा, “पानी पर हमला जीवन पर हमला है. पाकिस्तान नदियों के हर कतरे की रक्षा करेगा. हमारी वायुसेना पहले भी जीत चुकी है, ज़रूरत पड़ी तो फिर जीतेंगे.”
ईरान को समर्थन: पीएम शरीफ ने जताई एकजुटता
प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ ने ईरानी राष्ट्रपति मसूद पजशकियान से टेलीफोन पर बातचीत की और अमेरिका द्वारा ईरान की परमाणु साइट्स पर किए गए हमले पर दुख और चिंता जताई. उन्होंने कहा कि "यह हमला अंतरराष्ट्रीय परमाणु समझौतों और IAEA की संप्रभुता का उल्लंघन है." शरीफ ने यह भी कहा कि ईरान को आत्मरक्षा का अधिकार है, जो संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुच्छेद 51 में निहित है.
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि पाकिस्तान, क्षेत्रीय शांति और कूटनीतिक समाधान की दिशा में “रचनात्मक भूमिका” निभाने को तैयार है.
इज़राइल की कार्रवाई को बताया विश्व युद्ध की आहट
बिलावल भुट्टो ने अपने भाषण में नाज़ी जर्मनी के दौरान लिखी गई जानी-मानी कविता “First they came…” का हवाला देते हुए वैश्विक समुदाय की निष्क्रियता पर सवाल उठाया. उन्होंने कहा, "पहले वे फलस्तीनियों के लिए आए, फिर यमनियों, फिर लेबनानी, और अब ईरानियों के लिए. अगर हम अब भी नहीं बोले, तो जब वे हमारे लिए आएंगे, तब कोई नहीं बचेगा."
उन्होंने इस पूरी स्थिति को तीसरे विश्व युद्ध की ओर बढ़ता कदम बताया और कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इस पर तत्काल हस्तक्षेप करना चाहिए.
राष्ट्रीय सुरक्षा समिति की आपात बैठक बुलाई गई
ईरान पर अमेरिकी हमलों के बाद उत्पन्न संकट को देखते हुए पाकिस्तान सरकार ने सोमवार को राष्ट्रीय सुरक्षा समिति (NSC) की आपात बैठक बुलाई. प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में आयोजित इस बैठक में सेना प्रमुख फील्ड मार्शल आसिम मुनीर भी शामिल होंगे.
सूत्रों के मुताबिक, इस बैठक में फील्ड मार्शल मुनीर अमेरिका यात्रा से जुड़े विवरण साझा करेंगे, जिसमें उन्होंने वाशिंगटन में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प से मुलाकात कर ईरान-इज़राइल संघर्ष पर चिंता जताई थी. हालांकि, उनकी यात्रा के दौरान अमेरिका में विरोध प्रदर्शनों का भी सामना करना पड़ा.
भविष्य की दिशा: कूटनीति बनाम टकराव
पाकिस्तान का मौजूदा रुख एक जटिल संतुलन को दर्शाता है — जहां एक ओर वह ईरान के साथ खड़ा दिखना चाहता है, वहीं दूसरी ओर वह क्षेत्र में एक और युद्ध से बचना भी चाहता है. प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा जारी बयान में शांति, संयम और बातचीत पर जोर दिया गया है.
राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने भी सभी पक्षों से आह्वान किया है कि वे सैन्य टकराव की बजाय कूटनीतिक समाधान तलाशें. उन्होंने कहा कि “एक क्षेत्रीय युद्ध की चिंगारी पूरी दुनिया को जला सकती है.”
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