भारतीय सेना द्वारा ऑपरेशन सिंदूर के तहत 6 मई की रात को PoK और सीमावर्ती पाकिस्तानी इलाकों में आतंकी ठिकानों को निशाना बनाकर नेस्तनाबूद कर दिया. इस सर्जिकल कार्रवाई आतंक के नेटवर्क को झटका दिया है. भारत की सैन्य कार्रवाई से पाकिस्तान की सियासत में भी हलचल मच गई है. आतंक के खिलाफ इस निर्णायक कदम के बाद अब पाकिस्तान में तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं.
ऑपरेशन सिंदूर पर बिलावल का जहरीला बयान
पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ने भारतीय सेना की कार्रवाई को “कायराना हमला” कहा है. स्काई न्यूज से बातचीत में उन्होंने इस ऑपरेशन को बिना किसी उकसावे के किया गया युद्ध जैसा कृत्य करार दिया और भारत पर मनगढ़ंत प्रचार फैलाने का आरोप लगाया. दिलचस्प बात यह है कि कुछ समय पहले इसी चैनल पर उन्होंने स्वीकार किया था कि अतीत में पाकिस्तान की भूमिका आतंकवाद के फैलाव में रही है
भारत की कार्रवाई के बाद बिलावल की प्रतिक्रिया को राजनीतिक विश्लेषक विरोध की रणनीति मान रहे हैं, जिसमें घरेलू असंतोष और अंतरराष्ट्रीय दबाव को भारत-विरोधी बयानबाजी के ज़रिए मोड़ने की कोशिश की जाती है. खासकर तब जब ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारतीय सेना ने लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठनों के नौ से अधिक लॉन्चपैड तबाह किए, जो लंबे समय से सीमापार आतंकवाद की जड़ बने हुए थे.
भारत की कार्रवाई का स्पष्ट संदेश: आतंक का खात्मा
बिलावल भुट्टो ने यह भी कहा कि “सभी मुसलमान आतंकवादी नहीं होते” और भारत की कार्रवाई को एकतरफा तथा सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की. उन्होंने जैश और लश्कर जैसे आतंकी संगठनों पर केंद्रित सैन्य कार्रवाई को भारतीय प्रचार तंत्र का हिस्सा बताया. हालांकि, भारत की ओर से यह स्पष्ट कर दिया गया है कि ऑपरेशन सिंदूर का उद्देश्य केवल और केवल सीमापार से होने वाले आतंकवादी हमलों को रोकना और निर्दोष नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है.
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