बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली सरकार ने एक अहम फैसला लिया है. इस फैसले से अब बिहार के नगर निगमों और नगर परिषदों में चुने गए उपमहापौर और उपमुख्य पार्षद भी पहले से कहीं ज्यादा प्रभावशाली भूमिका निभा पाएंगे. राज्य सरकार ने एक बड़ा फैसला लेते हुए इन्हें अब उपमहापौर और उपमुख्य पार्षद को महापौर और मुख्य पार्षदों जैसी सभी पदीय सुविधाएं देने का आदेश जारी कर दिया है.
डिप्टी मेयर और उपमुख्य पार्षदों को मिलेंगी ये सुविधाएं
इस नए फैसले के तहत अब इन जनप्रतिनिधियों को अपना अलग कार्यालय, वाहन, सरकारी उपस्कर और एक कार्यालय सहायक की सुविधा मिलेगी. ये सभी सुविधाएं पहले सिर्फ महापौरों के लिए आरक्षित थीं. नगर विकास एवं आवास विभाग के मुताबिक, यह फैसला राज्य के 19 नगर निगमों और 88 नगर परिषदों में लागू होगा. आदेश में साफ कहा गया है कि जहां इन सुविधाओं की अभी व्यवस्था नहीं है, वहां जल्द ही नए इंतजाम किए जाएंगे.
नीतीश सरकार ने इसलिए लिया फैसला
राज्य सरकार का मानना है कि उपमहापौर और उपमुख्य पार्षद शहरी विकास योजनाओं की निगरानी और क्रियान्वयन में अहम भूमिका निभाते हैं. इसलिए, उनके काम को सुचारू और असरदार बनाने के लिए यह कदम बेहद जरूरी था.
खुद नगर विकास मंत्री जिवेश कुमार ने कहा कि यह मांग लंबे समय से आ रही थी, और अब जाकर इसे हकीकत में बदल दिया गया है. उनका कहना है कि यह सिर्फ एक सुविधा नहीं, बल्कि नगर प्रशासन को और सशक्त बनाने की दिशा में एक अहम पहल है. बढ़ते शहरीकरण और नगर निगमों के दायरे में तेजी से जुड़ते गांवों और उपनगरों को देखते हुए, यह निर्णय न सिर्फ समय की मांग था, बल्कि शहरी भारत की ओर बढ़ते बिहार के लिए एक रणनीतिक कदम भी है.
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