बिहार में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव है. चुनाव को लेकर सभी राजनीतिक दल अपनी तैयारियों में जुटे हुए हैं. इसी कड़ी में बहुजन समाज पार्टी (BSP) भी बिहार के चुनाव को लेकर एक्टिव हो गई है. बता दें कि मायावती ने भी बिहार में चुनावी बिगुल फूंक दिया है. बसपा के राष्ट्रीय कॉर्डिनेटर और राज्यसभा सांसद रामजी गौतम ने बिहार की सभी 243 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा की है. राज्यसभा सांसद रामजी गौतम ने यह भी स्पष्ट किया कि विधानसभा चुनाव में किसी भी राजनीति दल से कोई समझौता या गठबंधन नहीं किया जाएगा.
'बिहार में वंचितों के लिए लागू होंगी योजनाएं'
रामजी गौतम ने कहा कि यदि बसपा की सरकार बिहार में बनती है तो उत्तर प्रदेश की तरह सुश्री मायावती द्वारा गरीबों और वंचितों के लिए शुरू की गई योजनाओं को बिहार में भी लागू किया जाएगा. उन्होंने जोर देकर कहा कि बसपा समाज के अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति के अधिकार और सम्मान के लिए काम करती रही है और आगे भी करती रहेगी.
बिहार चुनाव से पहले एक्टिव हुई बसपा
बहुजन समाज पार्टी ने बिहार की सियासी पिच पर खेलने के लिए पूरा प्लान तैयार कर लिया है. राज्यसभा सांसद ने बताया कि इस वर्ष 09 मई को बाबा साहब डॉ. भीमराव आंबेडकर की जयंती को धूमधाम से मनाया जाएगा. उन्होंने बताया कि 26 जून को बापू सभागार, पटना में छत्रपति महाराज की जयंती पर विशेष कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा, जिसमें बड़ी संख्या में कार्यकर्ता और आमजन जुटेंगे.
बिहार में BSP की बदकिस्मती
बसपा ने बिहार में पहली बार 1989 के लोकसभा चुनावों में कदम रखा. उस समय पार्टी ने यूपी सीमा से सटे नौ सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे, लेकिन कोई सफलता नहीं मिली. हालांकि, वर्ष 2000 का विधानसभा चुनाव बसपा के लिए एक उम्मीद की किरण लेकर आया. पार्टी ने पांच सीटों पर जीत दर्ज की और पहली बार बिहार विधानसभा में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई. लेकिन ये जीत स्थायी नहीं रही क्योंकि ये सभी विधायक राजद में शामिल हो गए.
इसके बाद 2005 में दो बार विधानसभा चुनाव हुए. फरवरी में बसपा ने दो सीटें जीतीं, और जब नवंबर में फिर चुनाव हुए, तो चार सीटों पर सफलता मिली. लेकिन दुर्भाग्य का साथ नहीं छूटा. इस बार सभी विजयी विधायक जदयू में शामिल हो गए. 2009 में नौतन उपचुनाव में बसपा को फिर से एक मौका मिला, लेकिन जीतने वाला उम्मीदवार भाजपा में चला गया. अगले दस वर्षों तक पार्टी को कोई सफलता नहीं मिली. 2020 के चुनाव में चैनपुर से मोहम्मद जमा खान ने जीत हासिल की, लेकिन वे भी सत्ता की ओर झुकते हुए जदयू में शामिल होकर मंत्री बन गए.
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