छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ के घने जंगलों में सुरक्षा बलों और नक्सलियों के बीच जारी भीषण मुठभेड़ ने एक बड़े मोड़ पर दस्तक दी है. बीजापुर, नारायणपुर और दंतेवाड़ा की सीमाओं पर फैले इस अभियान में डीआरजी के जवानों को बड़ी कामयाबी मिली है. अब तक की जानकारी के मुताबिक, इस ऑपरेशन में 31 नक्सली मारे जा चुके हैं, और आशंका जताई जा रही है कि यह संख्या और बढ़ सकती है. सुबह से ही इस दुर्गम इलाके में फायरिंग जारी है और जवानों ने नक्सलियों के एक बेहद गोपनीय ठिकाने को निशाना बनाया है.
वसवा राजू के मारे जाने की सूचना
इस ऑपरेशन की सबसे बड़ी सफलता मानी जा रही है वसवा राजू के मारे जाने की खबर, जिसने सुरक्षाबलों के हौसले को नई ऊर्जा दी है. वसवा राजू न केवल छत्तीसगढ़ बल्कि पूरे दंडकारण्य क्षेत्र में नक्सल आंदोलन का एक अहम चेहरा रहा है. माना जाता है कि वह नक्सली संगठन के जनरल सेक्रेटरी के पद पर था और उस पर 1.5 करोड़ रुपये से अधिक का इनाम घोषित था. लंबे समय से वह अबूझमाड़ में छिपा बैठा था और बस्तर क्षेत्र में नक्सल गतिविधियों का संचालन कर रहा था.
राज्य के गृह मंत्री विजय शर्मा ने इस मुठभेड़ को सुरक्षाबलों की “ऐतिहासिक जीत” करार दिया है. उन्होंने जानकारी दी कि पिछले 50 घंटे से इंद्रावती नदी के आसपास के इलाके में बड़े पैमाने पर सर्च ऑपरेशन चल रहा है. इस दौरान 26 से ज्यादा नक्सली ढेर हो चुके हैं. ऑपरेशन के दौरान एक जवान शहीद हुआ है, जबकि एक अन्य घायल है.
तेलंगाना और महाराष्ट्र में भी वांछित
वसवा राजू की मौत अगर पुष्टि होती है, तो यह गणपति के मारे जाने के बाद नक्सली संगठन को सबसे बड़ा झटका माना जाएगा. वसवा न केवल बस्तर में बल्कि तेलंगाना और महाराष्ट्र में भी वांछित था. वह दशकों से नक्सलियों की कमान संभाले हुए था और संगठन की रणनीतिक गतिविधियों का संचालन करता था.
फिलहाल इलाके में सर्च ऑपरेशन जारी है और सुरक्षाबलों की कोशिश है कि किसी भी बचे हुए नक्सली को भागने का मौका न मिले. इस अभियान को नक्सल उन्मूलन के मोर्चे पर सुरक्षाबलों की सबसे बड़ी जीतों में से एक के तौर पर देखा जा रहा है, जिसने नक्सली नेटवर्क की रीढ़ को तोड़ने की दिशा में निर्णायक कदम साबित किया है.
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