'अमेरिका के लिए पोर्ट, अपने लिए सबसे बड़ा पद...' बांग्लादेशी पत्रकार ने खोला यूनुस के प्लान का राज

    बांग्लादेश इन दिनों एक संभावित राजनीतिक उथल-पुथल के कगार पर खड़ा दिखाई दे रहा है.

    Bangladeshi journalist revealed the secret of Yunus's plan
    प्रतीकात्मक तस्वीर/Photo- ANI

    ढाका: बांग्लादेश इन दिनों एक संभावित राजनीतिक उथल-पुथल के कगार पर खड़ा दिखाई दे रहा है. देश में यह आशंका तेजी से बढ़ रही है कि नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस अपने राजनीतिक प्रभाव का विस्तार करने और संवैधानिक ढांचे में बड़े बदलाव करने की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं. अगर ये दावे सच साबित होते हैं, तो बांग्लादेश के राजनीतिक भविष्य, क्षेत्रीय स्थिरता और भारत की सुरक्षा नीति पर गहरा असर पड़ सकता है.

    बांग्लादेशी पत्रकार का दावा:

    बांग्लादेश के वरिष्ठ पत्रकार और लेखक सलाहुद्दीन शोएब चौधरी ने यूरेशियन टाइम्स में प्रकाशित अपने लेख में एक चौंकाने वाला दावा किया है. उनके मुताबिक, यूनुस कथित तौर पर एक नई राजनीतिक संरचना के माध्यम से खुद को बांग्लादेश का 'सर्वोच्च नेता' घोषित करने की योजना बना रहे हैं. चौधरी का कहना है कि जुलाई में एक विशेष 'चार्टर' के जरिए यूनुस देश में क्रांतिकारी बदलाव लाने की कोशिश कर सकते हैं, जिसके तहत मौजूदा संविधान को रद्द कर दिया जाएगा.

    सेना और सत्ता पर नियंत्रण का कथित खाका

    रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस संभावित योजना के तहत यूनुस मौजूदा राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन और सेना प्रमुख जनरल वकार उज जमां को पद से हटाकर बांग्लादेश की सेना को 'इस्लामिक रिवोल्यूशनरी आर्मी' (IRA) में बदल सकते हैं. यदि ऐसा हुआ, तो बांग्लादेश के कट्टरपंथी इस्लामिक दिशा में बढ़ने की आशंका गहरा सकती है, जो पूरे दक्षिण एशिया के लिए एक अस्थिरता का कारण बन सकता है.

    अंतरराष्ट्रीय समर्थन और गहरी साजिश?

    चौधरी का आरोप है कि यूनुस को इस कथित योजना में अमेरिकी डीप स्टेट और पाकिस्तान की ISI का परोक्ष समर्थन प्राप्त है. इस गठजोड़ का उद्देश्य बांग्लादेश की लोकतांत्रिक संस्थाओं को कमजोर करना और देश के रणनीतिक संसाधनों पर नियंत्रण स्थापित करना हो सकता है.

    बताया जा रहा है कि यूनुस ने अमेरिका को रणनीतिक रूप से अहम चटगांव बंदरगाह, सेंट मार्टिन द्वीप और अन्य सैन्य सुविधाएं देने का प्रस्ताव भी तैयार कर लिया है. इसके बदले यूनुस संभावित रूप से अमेरिका के समर्थन की अपेक्षा कर रहे हैं, विशेषकर यदि भविष्य में ट्रंप प्रशासन सत्ता में आता है.

    भारत के लिए नई चुनौती?

    यदि बांग्लादेश की राजनीतिक दिशा इस कथित योजना के अनुसार बदलती है, तो यह भारत के पूर्वी सीमाओं पर एक नई सुरक्षा चुनौती बन सकती है. बांग्लादेश में अमेरिकी सैन्य उपस्थिति और पाकिस्तान समर्थित इस्लामी नेटवर्क का विस्तार भारत की रणनीतिक प्राथमिकताओं के लिए बड़ा सिरदर्द साबित हो सकता है. भारत को इस स्थिति में अतिरिक्त सतर्कता बरतनी होगी, खासकर पूर्वोत्तर राज्यों की सुरक्षा को लेकर.

    सेना की भूमिका और भविष्य

    बांग्लादेश की सेना के वर्तमान प्रमुख जनरल जमां के सामने अब देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था और राष्ट्रीय संप्रभुता की रक्षा की एक बड़ी जिम्मेदारी है. विश्लेषकों का मानना है कि यदि सेना ने समय रहते हस्तक्षेप नहीं किया, तो बांग्लादेश गंभीर आंतरिक अस्थिरता और संभावित गृहयुद्ध के रास्ते पर जा सकता है.

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