बांग्लादेश में नई सरकार के गठन के बाद, यह माना जा रहा था कि मोहम्मद यूनुस को अमेरिका का पूरा समर्थन प्राप्त होगा. शेख हसीना के शासन का अंत होने के बाद मोहम्मद यूनुस ने अमेरिका का दौरा किया था और वहां के राष्ट्रपति जो बाइडेन से मुलाकात भी की थी. लेकिन हाल ही में, बांग्लादेश को अमेरिका की तरफ से लगाए गए टैरिफ पर राहत नहीं मिली है, जो सरकार की कूटनीतिक नाकामी को उजागर कर रहा है.
ट्रंप प्रशासन ने बांग्लादेश पर 35 प्रतिशत का टैरिफ लगाया है, जिससे बांग्लादेश की निर्यातक कंपनियों को भारी संकट का सामना करना पड़ रहा है. विशेषज्ञों के मुताबिक, हालांकि बांग्लादेश को अमेरिका से बातचीत का पूरा अवसर मिला था, लेकिन यूनुस प्रशासन अमेरिका को कूटनीतिक तरीके से मनाने में असफल रहा है.
टैरिफ बढ़ने का कारण
शुरुआत में, 1 जुलाई से यह टैरिफ लागू होने वाला था, लेकिन प्रभावित देशों से बातचीत की कोशिशों के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति ने इसे 1 अगस्त तक बढ़ा दिया. इस दौरान, बांग्लादेश को बस 2 प्रतिशत टैरिफ में कमी करने में सफलता मिली, जबकि पहले इसे 37 प्रतिशत निर्धारित किया गया था.
इस कटौती को देखते हुए, जानकारों का कहना है कि बांग्लादेश ने 3 महीने के समय में अपनी कूटनीतिक रणनीति में गंभीरता नहीं दिखाई. अमेरिकी उत्पादों पर बांग्लादेश की टैरिफ कटौती वियतनाम जैसे देशों के मुकाबले बहुत ही सीमित रही है. अमेरिकी अधिकारियों द्वारा तय किए गए टैरिफ के तहत बांग्लादेश उन 14 देशों में से सिर्फ चार देशों से आगे बढ़ पाया है, जिन्हें यह टैरिफ लागू हुआ है.
तीन महीने की लंबी बातचीत फिर भी नाकाम
अर्थशास्त्रियों और व्यापार विशेषज्ञों के अनुसार, अप्रैल से जुलाई तक तीन महीने का लंबा समय मिलने के बावजूद, बांग्लादेश केवल 2 प्रतिशत की कटौती ही हासिल कर सका. यह बहुत मामूली बदलाव है, खासकर तब जब वियतनाम जैसे देशों ने बेहतर कूटनीति के माध्यम से अपनी स्थिति मजबूत की. इसके परिणामस्वरूप, बांग्लादेश की व्यापार वार्ता की रणनीति पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं.
अन्य देशों पर टैरिफ की स्थिति
अमेरिकी प्रशासन द्वारा लागू किए गए टैरिफ के मुताबिक, बांग्लादेश के अलावा लाओस (40%), म्यांमार (40%), थाईलैंड (36%) और कंबोडिया (36%) पर भी भारी टैरिफ लगाया गया है. इन देशों से बांग्लादेश केवल 2 प्रतिशत ही आगे है, जो स्थिति को और भी गंभीर बनाता है.
इसके अलावा, सर्बिया (35%), इंडोनेशिया (32%), दक्षिण अफ्रीका (30%), बोस्निया और हर्जेगोविना (30%), मलेशिया (25%), ट्यूनीशिया (25%), जापान (25%), दक्षिण कोरिया (25%) और कजाकिस्तान (25%) पर भी अमेरिकी टैरिफ लागू किया गया है. इन देशों ने अमेरिका से बेहतर सौदेबाजी की, जबकि बांग्लादेश को इस मामले में खास सफलता नहीं मिल पाई.
भविष्य की उम्मीद
हालांकि, बांग्लादेश के वित्तीय सलाहकार और अंतरिम अधिकारी आगामी दिनों में अमेरिकी अधिकारियों के साथ एक और महत्वपूर्ण बैठक करेंगे, लेकिन इसके परिणाम पर भी शंका बनी हुई है. यदि इस बैठक में भी कोई ठोस समाधान नहीं निकलता है, तो बांग्लादेश की निर्यातक कंपनियों पर अमेरिकी टैरिफ का भार बढ़ सकता है, जो देश की अर्थव्यवस्था के लिए चिंता का विषय होगा. बांग्लादेश सरकार को अब अपनी कूटनीतिक रणनीतियों में सुधार करना होगा, ताकि भविष्य में ऐसे टैरिफ लगाने के मामले में वह बेहतर सौदेबाजी कर सके और अपने व्यापारिक हितों की रक्षा कर सके.
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