बांग्लादेश की सेना अब एक महत्वपूर्ण सैन्य परिवर्तन की ओर बढ़ रही है. पिछले कुछ वर्षों में, बांग्लादेश ने अपनी सेना की आधुनिकता और युद्ध रणनीतियों में बड़े बदलाव किए हैं. यह बदलाव उस बड़े सैन्य आधुनिकीकरण योजना का हिस्सा है, जिसे 'Forces Goal 2030' के नाम से जाना जाता है. इस योजना के तहत बांग्लादेश ने तुर्की से आधुनिक हथियारों की खरीदारी की है, जिनमें TRG-300 Kaplan गाइडेड मल्टीपल लॉन्च रॉकेट सिस्टम और बायरकतार TB2 ड्रोन शामिल हैं. ये हथियार केवल तकनीकी उन्नति नहीं हैं, बल्कि बांग्लादेश की सैन्य रणनीति में एक क्रांतिकारी बदलाव का संकेत देते हैं.
सैन्य आधुनिकीकरण की दिशा में बांग्लादेश का कदम
बांग्लादेश ने अपनी सेना को और ज्यादा प्रभावी बनाने के लिए तुर्की के TRG-300/230 सरफेस-टू-सरफेस टैक्टिकल बैलिस्टिक मिसाइल सिस्टम को अपना लिया है. 2019 में इस सिस्टम के लिए बांग्लादेश ने अपना पहला ऐतिहासिक अनुबंध किया था और जून 2021 तक इसकी पहली बैटरियां बांग्लादेश पहुँच चुकी थीं. इस मिसाइल सिस्टम के जरिए बांग्लादेश 190 किलो तक के उच्च-विस्फोटक वारहेड्स को दुश्मन के इलाके में सटीक रूप से दाग सकता है, जिससे युद्ध क्षेत्र में भारी तबाही मच सकती है. इस सिस्टम की सटीकता और इसके अडवांस्ड C4ISR (Command, Control, Communications, Computers, Intelligence, Surveillance, and Reconnaissance) सपोर्ट सिस्टम ने इसे दक्षिण एशिया में एक शक्तिशाली और भविष्यगामी हथियार बना दिया है. यह सिस्टम न केवल GPS जैमिंग और इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर के खिलाफ मजबूत है, बल्कि इसे युद्धक्षेत्र में सटीकता से काम करने के लिए डिजाइन किया गया है.
ड्रोन तकनीकी में निवेश: बायरकतार TB2
इसके अलावा, बांग्लादेश ने तुर्की से बायरकतार TB2 ड्रोन भी खरीदे हैं. ये ड्रोन जमीनी टारगेट्स की पहचान करने, रियल टाइम डेटा भेजने और जरूरत पड़ने पर मिसाइल गाइडेंस में भी मदद करते हैं. बांग्लादेश ने इन ड्रोन को अपनी ISR रेजीमेंट्स में तैनात किया है, और इनमें से छह ड्रोन 2023 में ऑपरेशनल हो चुके हैं. इन ड्रोन के बारे में यह कहा जाता है कि ये सटीकता से दुश्मन के ठिकानों पर हमला कर सकते हैं, लेकिन भारत के खिलाफ पाकिस्तान के अनुभव के आधार पर, भारत के वायु रक्षा तंत्र ने बायरकतार ड्रोन को नाकाम कर दिया था. फिर भी बांग्लादेश ने इन्हें अपनी सैन्य शक्ति में इंटीग्रेट किया है.
भारत-बांग्लादेश सीमा पर तनाव
बांग्लादेश के इन नए सैन्य उपकरणों और तकनीकी बदलावों के कारण भारत की चिंता बढ़ गई है. भारतीय सेना ने बांग्लादेश को चेतावनी दी थी कि अगर बांग्लादेश के बायरकतार ड्रोन भारतीय सीमा के करीब आते हैं, तो उन्हें मार गिराया जाएगा. भारत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भारत-बांग्लादेश सीमा के 10 किलोमीटर के भीतर किसी भी ड्रोन को उड़ने की अनुमति नहीं दी जाएगी. हालांकि, एक रिपोर्ट के अनुसार, बांग्लादेश का एक ड्रोन मेघालय और त्रिपुरा क्षेत्र के करीब भारतीय हवाई क्षेत्र में उड़ान भर चुका था, जिसके बाद सुरक्षा अलर्ट जारी किया गया था.
नया युद्ध सिद्धांत और क्षेत्रीय संतुलन पर प्रभाव
बांग्लादेश का यह नया सैन्य परिवर्तन केवल तकनीकी उन्नति नहीं है, बल्कि यह क्षेत्रीय रणनीतिक संतुलन पर भी असर डाल रहा है. बांग्लादेश की सेना अब एक नई "किल चेन" रणनीति पर काम कर रही है, जिसे तुर्की के साथ मिलकर तैयार किया गया है. यह रणनीति, जो नागोर्नो-काराबाख युद्ध में अजरबैजान द्वारा अपनाई गई थी, अब बांग्लादेश में भी अपनाई जा रही है. किल चेन का मतलब है, विभिन्न हथियारों और सिस्टम्स का नेटवर्क बनाकर युद्ध के मैदान में एक सटीक और प्रभावी हमला करना. इसमें हवा से निगरानी के लिए बायरकतार ड्रोन, जमीन से मिसाइल हमले के लिए TRG-300 और पूरे सिस्टम की डिजिटल नेटवर्किंग शामिल है. इस बदलाव से बांग्लादेश की सेना को एक नई शक्ति मिल रही है, जो ना सिर्फ ताकतवर है, बल्कि एक सटीक और रणनीतिक युद्ध प्रणाली को भी दर्शाती है.
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