भारत के बॉर्डर के पास बांग्लादेश ने कर दी ओछी हरकत, तोड़ दी इंदिरा-मुजीब संधि? बवाल होना तय!

    भारत और बांग्लादेश के बीच हालिया घटनाक्रम ने एक बार फिर दोनों देशों के संबंधों को तनावपूर्ण मोड़ पर ला खड़ा किया है.

    Bangladesh Indian border broke Indira-Mujib Treaty
    यूनुस | Photo: ANI

    भारत और बांग्लादेश के बीच हालिया घटनाक्रम ने एक बार फिर दोनों देशों के संबंधों को तनावपूर्ण मोड़ पर ला खड़ा किया है. सीमाई क्षेत्रों में बढ़ती असहमति और अंतरराष्ट्रीय समझौतों के उल्लंघन के आरोपों ने इस बार बांग्लादेश के दक्षिणी हिस्से में हो रहे एक बांध निर्माण को लेकर विवाद खड़ा कर दिया है. यह निर्माण कार्य त्रिपुरा के दक्षिणी हिस्से में मुहुरी नदी के पास चल रहा है, जो भारत के रणनीतिक और पारिस्थितिक संतुलन के लिए खतरा बताया जा रहा है.

    स्थानीय प्रशासन और निवासियों की मानें तो बांग्लादेश द्वारा यह बांध बेहद विवादास्पद तरीके से ‘जीरो लाइन’ के बेहद करीब—महज 10 से 50 गज की दूरी पर—बनाया जा रहा है, जबकि भारत-बांग्लादेश के बीच ऐतिहासिक इंदिरा-मुजीब समझौते के तहत जीरो लाइन से 150 गज के भीतर किसी भी प्रकार के निर्माण कार्य पर रोक है.

    बांध से बाढ़ का खतरा, भारतीय क्षेत्र में बढ़ी आशंका

    जानकारों का मानना है कि इस 1.5 किमी लंबे और 20 फीट ऊंचे बांध के निर्माण से भारतीय क्षेत्र विशेषकर नेताजी सुभाष चंद्र नगर जैसे संवेदनशील इलाकों में बाढ़ की आशंका बढ़ गई है. मानसून के दौरान पानी का बहाव अवरुद्ध होने से निचले इलाकों में जलभराव की स्थिति उत्पन्न हो सकती है, जिससे लगभग 500 परिवार प्रभावित हो सकते हैं.

    स्थानीय विधायक और प्रशासन ने जताई चिंता

    त्रिपुरा के विधायक दिपांकर सेन ने इस मुद्दे को गंभीरता से उठाते हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय से हस्तक्षेप की मांग की है. उन्होंने यह भी याद दिलाया कि भारत ने पहले खुद अपने कई जल परियोजनाओं को इसी समझौते के सम्मान में रोका था. लेकिन बांग्लादेश इस बार जानबूझकर उल्लंघन कर रहा है.

    दक्षिणी त्रिपुरा के पुलिस कमिश्नर सी. सेन ने भी पुष्टि की है कि बांग्लादेश की ओर से बांध निर्माण कार्य तेजी से जारी है. हालांकि, राज्य सरकार का कहना है कि वह इस पर रिपोर्ट का इंतजार कर रही है और फिलहाल स्थिति पर नजर रखी जा रही है.

    भारत की प्रतिक्रिया भी आक्रामक, शुरू हुआ जवाबी निर्माण

    यह पहली बार नहीं है जब ऐसा हुआ हो. इसी साल जनवरी में भी बांग्लादेश ने एक अन्य क्षेत्र में इसी तरह का निर्माण किया था, जिस पर त्रिपुरा के मुख्यमंत्री मानिक साहा ने आपत्ति जताई थी. बांग्लादेश के न मानने पर भारत ने उसी इलाके में एक और ऊंचा बांध बनाना शुरू कर दिया—एक तरह से जवाबी कार्रवाई.

    भविष्य के लिए चेतावनी

    ऐसी घटनाएं भारत-बांग्लादेश जैसे परंपरागत सहयोगी देशों के रिश्तों में दरार डाल सकती हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि अगर अंतरराष्ट्रीय समझौतों और आपसी सम्मान के सिद्धांतों का पालन नहीं किया गया, तो सीमाई क्षेत्र महज़ भौगोलिक विवाद का नहीं, बल्कि राजनीतिक और कूटनीतिक तनाव का कारण भी बन सकते हैं.

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