ढाका: बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ बढ़ती हिंसा और भीड़ द्वारा कानून अपने हाथ में लेने की घटनाओं ने एक बार फिर देश की कानून-व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. ढाका के मिटफोर्ड अस्पताल के पास 9 जुलाई को एक कबाड़ व्यापारी, लाल चंद उर्फ सोहाग की सार्वजनिक तौर पर पीट-पीटकर हत्या कर दी गई. इसके बाद हत्यारों ने शव के साथ नृत्य भी किया, जो न केवल बर्बरता की सीमा पार करता है, बल्कि पूरे देश में आक्रोश फैलाने वाला भी साबित हुआ है.
सोशल मीडिया पर वायरल हुआ वीडियो
सोहाग की हत्या का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसमें यह देखा गया कि कबाड़ व्यापारी को कंक्रीट के टुकड़ों से पीट-पीटकर मार डाला गया और फिर उसके शव पर हत्यारे नाचने लगे. इस घिनौनी घटना ने बांग्लादेश में हंगामा मचा दिया. देशभर में छात्रों और नागरिकों ने विरोध प्रदर्शन किया और सरकार से भीड़ हिंसा के खिलाफ ठोस कार्रवाई की मांग की. कई छात्रों ने सड़कों पर उतरकर अंतरिम सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि वह इस तरह की हिंसा को रोकने में पूरी तरह से नाकाम रही है.
सरकार ने अपराधियों को सख्त चेतावनी दी
बांग्लादेश सरकार ने इस जघन्य हत्या की घटना को बर्बर और सभ्य समाज के लिए अस्वीकार्य बताया है. गृह मामलों के सलाहकार, लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) जहाँगीर आलम चौधरी ने स्पष्ट रूप से कहा कि अपराधी चाहे किसी भी राजनीतिक दल से जुड़े हों, उन्हें किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा. सरकार ने हत्या के मामले में त्वरित कार्रवाई करते हुए सात आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जिनमें से एक को पुलिस रिमांड पर लिया गया है. उन्होंने कहा कि सरकार इस मामले की निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करेगी और इस तरह के अपराधियों को जल्द सजा दिलवाएगी.
आरोपियों पर कार्यवाही और विशेष न्यायाधिकरण
कानूनी प्रक्रिया के तहत, इस मामले को स्पेशल ट्रिब्यूनल में स्थानांतरित किया जाएगा ताकि पीड़ित के परिवार को शीघ्र न्याय मिल सके और समाज में कानून का डर पैदा हो. सरकार ने यह सुनिश्चित करने का वादा किया है कि इस हत्या के बाद समाज में नफरत और हिंसा के माहौल को समाप्त किया जाएगा और अपराधियों को सजा दिलवाई जाएगी.
भीड़ हिंसा और कानून-व्यवस्था की बिगड़ती स्थिति
बांग्लादेश में 2024 के बाद से भीड़ हिंसा की घटनाओं में तेजी देखी गई है. जब से प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार को 16 वर्षों तक सत्ता में रहने के बाद अपदस्थ किया गया, तब से देश में राजनीतिक अस्थिरता और कानूनी शून्यता का माहौल बना हुआ है. इस माह की शुरुआत में, कुमिला के मुरादनगर इलाके में एक महिला और उसके दो बच्चों को पीट-पीटकर मार डाला गया था. हालांकि पुलिस जांच में नशीली दवाओं के कारोबार से जुड़े आरोपों के कोई ठोस प्रमाण नहीं मिले, फिर भी यह घटना भीड़ हिंसा का हिस्सा बन चुकी थी.
सरकार से त्वरित कार्रवाई की अपील
मानवाधिकार संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने बांग्लादेश सरकार से अपील की है कि वह भीड़ हिंसा और कानून-व्यवस्था के शून्य हो जाने की प्रवृत्तियों पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाए. साथ ही, पुलिस बल को संवेदनशील बनाने और कानून-व्यवस्था को मजबूत करने के लिए विशेष प्रशिक्षण और निगरानी की आवश्यकता जताई गई है. संगठनों का कहना है कि इस प्रकार की हिंसा को न केवल राजनीतिक दृष्टि से बल्कि समाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी अस्वीकार्य माना जाना चाहिए.
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