बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के लिए सबसे बड़ी सिरदर्दी अब सिर्फ चुनाव की तैयारी नहीं, बल्कि उन हथियारों की बरामदगी भी है जो पिछले साल के उथल-पुथल के दौरान पुलिस चौकियों से लूटे गए थे. शेख हसीना शासन के अंतिम दिनों में, 2024 के विरोध प्रदर्शनों के बीच, राजधानी ढाका और आस-पास के इलाकों में भीड़ ने पुलिस थानों और चौकियों से हथियार छीन लिए थे. एक साल बाद भी, इनमें से करीब 1,500 खतरनाक बंदूकें अब तक बरामद नहीं हो सकी हैं.
स्थानीय अखबार इत्तेफाक की रिपोर्ट के अनुसार, लूटे गए हथियार अब बांग्लादेश के कुख्यात आपराधिक गिरोहों के पास पहुंच चुके हैं. पुलिस के लिए सबसे बड़ी मुश्किल यह है कि इन हथियारों तक पहुंचना लगभग नामुमकिन हो गया है. आशंका है कि इन्हीं हथियारों का इस्तेमाल आने वाले आम चुनाव में गड़बड़ी और हिंसा फैलाने के लिए किया जा सकता है.
पुलिस की असफल कोशिशें
यूनुस सरकार के सत्ता में आने के बाद हथियारों की तलाश के लिए एक विशेष इकाई बनाई गई थी, लेकिन एक साल की कोशिशों के बावजूद नतीजा शून्य रहा. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 5 अगस्त 2024—जिस दिन हसीना सरकार का तख्तापलट हुआ—देश भर के पुलिस थानों से 5,818 तरह-तरह के हथियार और 67,262 कारतूस लूट लिए गए थे.
चुनावी घड़ी की टिक-टिक
अंतरिम सरकार के चीफ एडवाइजर मोहम्मद यूनुस ने फरवरी 2026 में आम चुनाव कराने का ऐलान किया है. दिसंबर 2025 से चुनावी प्रक्रिया शुरू होगी, यानी पुलिस के पास हथियार बरामद करने के लिए तीन महीने से भी कम का समय बचा है. चुनाव नजदीक आने के साथ ही यह मुद्दा सरकार के लिए और गंभीर हो गया है.
इनाम का लालच
गृह सलाहकार जहांगीर आलम चौधरी ने घोषणा की है कि हथियार बरामदगी के लिए अब इनाम योजना चलाई जाएगी. जो भी व्यक्ति लूटे गए हथियारों के बारे में सूचना देगा, उसे नकद इनाम दिया जाएगा. इसके लिए पुलिस जल्द ही मोहल्लों और बाजारों में प्रचार अभियान शुरू करेगी. लक्ष्य साफ है. चुनाव से पहले हर हाल में ये हथियार वापस लाना.
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