Bangladesh Elections 2025: बांग्लादेश में प्रस्तावित 2025 के आम चुनाव को लेकर राजनीतिक माहौल दिनों-दिन और भी अस्पष्ट होता जा रहा है. चुनाव आयोग की तरफ से अभी तक कोई आधिकारिक शेड्यूल घोषित नहीं किया गया है, जिससे राजनीतिक हलकों से लेकर आम नागरिकों तक संशय और असंतोष का माहौल बनता जा रहा है.
संविधान से इतर उठाए जा रहे कदम?
ह्यूमन राइट्स एंड पीस फॉर बांग्लादेश के अध्यक्ष माजल मुरशिद ने हालिया बयान में चिंता जाहिर करते हुए कहा है कि देश में 5 अगस्त 2024 के बाद से एक 'साजिशनुमा स्थिति' विकसित हो रही है. उन्होंने दावा किया कि जनता के बार-बार मांगने के बावजूद सरकार अब तक पारदर्शी और समावेशी चुनाव प्रक्रिया सुनिश्चित करने में विफल रही है. मुरशिद ने डॉ. मुहम्मद यूनुस को कथित रूप से असंवैधानिक तरीक़े से अंतरिम सरकार का प्रमुख बनाए जाने पर सवाल उठाए हैं. उनका कहना है कि बांग्लादेश के संविधान में किसी भी अंतरिम सरकार का उल्लेख नहीं है, और यह कदम लोकतंत्र के मूलभूत ढांचे के विपरीत है.
राजनीतिक मेलजोल पर सवाल
बयान में यह भी खुलासा किया गया कि देश के मुख्य सलाहकार हाल ही में लंदन जाकर BNP के कार्यवाहक अध्यक्ष तारिक रहमान से मिले. इस मुलाक़ात के बाद दावा किया गया कि चुनाव फरवरी 2025 में हो सकते हैं, लेकिन इसके बाद से सरकार और आयोग दोनों ही मौन हैं, जिससे चुनाव की संभावनाएं धुंधली होती जा रही हैं.
चुनाव आयोग की भूमिका पर नजरें
मुख्य चुनाव आयुक्त एएमएम नासिर उद्दीन ने अपने बयान में साफ तौर पर कहा कि सरकार की सक्रिय भूमिका के बिना चुनाव कराना संभव नहीं है. उन्होंने कहा, चुनाव आयोग चाहे जितना स्वतंत्र कहलाए, लेकिन प्रशासन, कानून-व्यवस्था एजेंसियों और सरकार की मदद के बिना यह प्रक्रिया संभव नहीं है. इस बयान ने आयोग की संवैधानिक स्वतंत्रता पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं, खासतौर पर तब, जब चुनाव की तारीख अब भी तय नहीं हुई है.
अप्रैल 2025 की ओर संकेत, लेकिन कोई पुष्टि नहीं
इस महीने की शुरुआत में डॉ. यूनुस ने यह घोषणा की थी कि चुनाव अप्रैल 2025 में कराए जाएंगे, लेकिन चुनाव आयोग ने इस पर न पुष्टि की और न खंडन. इससे यह अंदेशा और गहरा हो गया है कि चुनाव समय पर होंगे या फिर एक बार फिर टाल दिए जाएंगे. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि बांग्लादेश में चुनावों को लेकर पारदर्शिता और स्पष्टता नहीं आई, तो यह देश की लोकतांत्रिक साख को नुकसान पहुंचा सकता है. साथ ही, क्षेत्रीय स्थिरता पर भी इसका असर पड़ सकता है.
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