तारीख पर अभी भी चुप्पी साधे हुए हैं यूनुस, चुनाव को लेकर उठे सवाल तो कर दिया ये दावा

    Bangladesh Elections: बांग्लादेश में आगामी आम चुनाव को लेकर सियासी सरगर्मी तेज होती जा रही है. जहां एक ओर अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों ने चुनाव की पारदर्शिता पर सवाल उठाए हैं, वहीं दूसरी ओर मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस के करीबी इसे अब तक का सबसे विश्वसनीय और शांतिपूर्ण चुनाव बता रहे हैं.

    Bangladesh Election Muhammad Yunus Remarks
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    Bangladesh Elections: बांग्लादेश में आगामी आम चुनाव को लेकर सियासी सरगर्मी तेज होती जा रही है. जहां एक ओर अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों ने चुनाव की पारदर्शिता पर सवाल उठाए हैं, वहीं दूसरी ओर मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस के करीबी इसे अब तक का सबसे विश्वसनीय और शांतिपूर्ण चुनाव बता रहे हैं.

    अप्रैल 2025 में होंगे चुनाव, यूनुस पहले ही कर चुके हैं घोषणा

    सरकारी समाचार एजेंसी BSS (बांग्लादेश संगबाद संगस्था) के अनुसार, यूनुस के प्रेस सचिव शफीकुल आलम ने शनिवार को खुलना में पत्रकारों से बातचीत में स्पष्ट किया कि अगले साल अप्रैल के पहले पखवाड़े में आम चुनाव आयोजित होंगे. उन्होंने दावा किया कि अंतरिम सरकार ने स्वतंत्र, निष्पक्ष और भागीदारीपूर्ण चुनाव कराने के लिए सभी आवश्यक कदम उठा लिए हैं.

    मानवाधिकार संगठन ने जताई थी आशंका

    हाल ही में ह्यूमन राइट्स एंड पीस फॉर बांग्लादेश (HRPB) के अध्यक्ष माजल मुरशिद ने चिंता जताई थी कि चुनाव की तारीखों को लेकर अब भी अनिश्चितता बनी हुई है. उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग ने अब तक कोई आधिकारिक कार्यक्रम घोषित नहीं किया है और जनता को पारदर्शिता का आश्वासन नहीं दिया गया.

    संविधान में नहीं है अंतरिम सरकार का ज़िक्र: HRPB

    मुरशिद ने अपने बयान में यह भी कहा कि बांग्लादेश के संविधान में अंतरिम सरकार का कोई कानूनी प्रावधान नहीं है, बावजूद इसके डॉ. मोहम्मद यूनुस को एक असंवैधानिक तरीके से मुख्य सलाहकार की भूमिका में लाया गया. उन्होंने इसे चुनावी प्रक्रिया को कमजोर करने वाला कदम बताया और कहा कि 5 अगस्त 2024 के बाद से देश में राजनीतिक अस्थिरता और भ्रम की स्थिति पैदा हो गई है.

    BNP से गुप्त बैठक का भी आरोप

    HRPB ने एक और बड़ा दावा करते हुए कहा कि यूनुस ने हाल ही में लंदन में BNP के कार्यवाहक अध्यक्ष तारिक रहमान से मुलाकात की, जिसके बाद फरवरी 2025 में चुनाव कराए जाने की अटकलें तेज हो गईं. हालांकि इस संबंध में चुनाव आयोग या सरकार की ओर से कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है.

    चुनाव आयोग की चुप्पी बनी चिंता का कारण

    मानवाधिकार संगठनों और नागरिक समूहों का कहना है कि चुनाव आयोग की अब तक की चुप्पी और निष्क्रियता जनविश्वास को नुकसान पहुंचा रही है. इस बीच यूनुस खेमे से आए बयान को स्थिति को नियंत्रित करने की कोशिश माना जा रहा है.

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