तख्तापलट के तनाव के बीच, बढ़ गई यूनुस की टेंशन; अंतरिम सरकार की नीतियों पर उठे सवाल

    Bangladesh Crisis: बांग्लादेश में जहां एक ओर राजनीतिक अस्थिरता ने हालात को जटिल बना दिया है, वहीं अब बेरोजगारी का संकट तेजी से विकराल रूप ले रहा है.

    Bangladesh Crisis Yunus in fear after viewing unemployment report
    Image Source: ANI

    Bangladesh Crisis: बांग्लादेश में जहां एक ओर राजनीतिक अस्थिरता ने हालात को जटिल बना दिया है, वहीं अब बेरोजगारी का संकट तेजी से विकराल रूप ले रहा है. अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) की नई रिपोर्ट ने यह स्पष्ट किया है कि देश में खासतौर पर युवाओं के लिए रोजगार की संभावनाएं तेजी से घट रही हैं. ILO की वर्ल्ड एम्प्लॉयमेंट एंड सोशल आउटलुक (WESO) रिपोर्ट 2025 ने इस चिंता को और गहरा किया है, जिसमें बताया गया है कि देश में युवा बेरोजगारी की दर राष्ट्रीय औसत से दोगुनी बनी हुई है.

    पढ़े-लिखे युवा, लेकिन नौकरी के लिए संघर्ष

    बांग्लादेश में विश्वविद्यालय से स्नातक कर चुके युवा भी रोजगार के लिए संघर्ष कर रहे हैं. 2023 के अंत में बेरोजगारी दर 3.95% थी, जो अब बढ़कर 4.63% पहुंच गई है. यह दर्शाता है कि देश की अर्थव्यवस्था नए जॉब क्रिएशन में पिछड़ रही है. हर साल लाखों युवा विदेशों में रोजगार की तलाश में जा रहे हैं, जिससे ब्रेन ड्रेन भी एक गंभीर चिंता बन गया है.

    अंतरिम सरकार के सामने नई चुनौती

    ILO की रिपोर्ट ऐसे समय आई है जब देश राजनीतिक उथल-पुथल, अंतरिम सरकार और सामाजिक असंतोष से जूझ रहा है. रिपोर्ट ने चेतावनी दी है कि अगर सम्मानजनक और स्थायी रोजगार जल्द नहीं सृजित किए गए, तो युवाओं में असंतोष हिंसक विरोध और आंदोलन का रूप ले सकता है. सरकार को चाहिए कि वह रोजगार नीति और स्किल डेवलपमेंट योजनाओं पर तत्काल पुनर्विचार करे.

    वैश्विक मंदी और भू-राजनीतिक तनाव का असर

    ILO का कहना है कि वैश्विक स्तर पर आर्थिक अनिश्चितता, मंदी और व्यापार में आई बाधाओं ने विकासशील देशों की नौकरी प्रणाली को सीधे तौर पर प्रभावित किया है. 2025 तक वैश्विक नौकरियों की संख्या 60 मिलियन से घटकर 53 मिलियन होने का अनुमान है. अमेरिका और यूरोप से मिलने वाले आउटसोर्सिंग जॉब्स में गिरावट ने बांग्लादेश की निर्यात-निर्भर अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक असर डाला है.

    शिक्षा और स्किल के बीच बढ़ती खाई

    हालांकि देश में शिक्षा का स्तर बढ़ा है, लेकिन नौकरियों के लिए आवश्यक तकनीकी और व्यावसायिक कौशल की भारी कमी बनी हुई है. रिपोर्ट के अनुसार, केवल 47.7% वर्कफोर्स की स्किल उनकी नौकरी से मेल खाती है. युवा या तो ओवर-एजुकेटेड हैं या फिर अंडर-स्किल्ड, जिससे वे रोजगार के अवसरों को भुना नहीं पा रहे. सरकार को चाहिए कि वह डिजिटल और AI-आधारित नौकरियों को ध्यान में रखते हुए टारगेटेड स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम्स लागू करे.

    आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और महिला भागीदारी

    रिपोर्ट का एक अहम पहलू यह है कि AI आने वाले समय में एक-चौथाई नौकरियों को प्रभावित करेगा. इसलिए वर्कफोर्स को टेक्नोलॉजी-रेडी बनाना जरूरी है. महिलाओं की बात करें तो उच्च-तकनीकी क्षेत्रों में वे आगे बढ़ रही हैं, लेकिन निर्माण और उत्पादन जैसे क्षेत्रों में उनकी भागीदारी अब भी सीमित है. लैंगिक समानता और पेशागत संतुलन के लिए सरकार को नई नीतियां लागू करनी होंगी.

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