पाकिस्तान-बांग्लादेश की वीज़ा-फ्री डील से खुश शहबाज सरकार! आतंकिस्तान के साथ मिलकर कुछ बड़ा प्लान बना रहे यूनुस?

    दक्षिण एशिया की राजनीति में एक नया मोड़ तब आया जब पाकिस्तान और बांग्लादेश ने राजनयिक और आधिकारिक पासपोर्ट धारकों के लिए वीजा-मुक्त यात्रा को लेकर आपसी सहमति दर्ज की.

    Bangladesh agreed to agreement to allow visa free entry
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    दक्षिण एशिया की राजनीति में एक नया मोड़ तब आया जब पाकिस्तान और बांग्लादेश ने राजनयिक और आधिकारिक पासपोर्ट धारकों के लिए वीजा-मुक्त यात्रा को लेकर आपसी सहमति दर्ज की. ढाका में दोनों देशों के गृह मंत्रियों की बैठक में इस प्रस्ताव पर मुहर लगी, जिससे भारत के सुरक्षा हलकों में चिंता की लहर दौड़ गई है.

    पाकिस्तान के गृह मंत्री मोहसिन नकवी और बांग्लादेश के समकक्ष जहांगीर आलम चौधरी के बीच हुई बातचीत के बाद पाक गृह मंत्रालय ने बयान जारी कर बताया कि दोनों देशों ने वीजा-फ्री एंट्री पर ‘सैद्धांतिक सहमति’ जता दी है. हालांकि अभी तक इस व्यवस्था के लागू होने की कोई तय तारीख सामने नहीं आई है.

    सिर्फ पासपोर्ट की बात नहीं, गहरी है योजना

    इस द्विपक्षीय वार्ता में महज़ वीज़ा नीति ही नहीं, बल्कि आतंकवाद विरोधी रणनीतियों, आंतरिक सुरक्षा, मानव तस्करी की रोकथाम, पुलिस ट्रेनिंग और नशे के कारोबार से निपटने जैसे मुद्दों पर भी चर्चा हुई. एक संयुक्त समिति के गठन की बात भी सामने आई है, जिसकी अगुवाई पाकिस्तान के गृह सचिव खुर्रम अघा करेंगे. इसके अलावा दोनों देशों की पुलिस अकादमियों के बीच प्रशिक्षण और अनुभव साझा करने का प्रस्ताव भी पास हुआ है. इसी क्रम में बांग्लादेश का एक प्रतिनिधिमंडल जल्द ही इस्लामाबाद में पाकिस्तान की नेशनल पुलिस अकादमी का दौरा करेगा.

    भारत की बेचैनी: क्या बदलेगी खुफिया गतिविधियों की दिशा

    नई दिल्ली के लिए यह समझौता सिर्फ एक कूटनीतिक कदम नहीं, बल्कि सुरक्षा व्यवस्था के लिहाज़ से एक संभावित चुनौती बनकर उभरा है. भारत को आशंका है कि राजनयिक छूट की आड़ में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसियों को बांग्लादेश के ज़रिए भारत के पूर्वोत्तर राज्यों तक पहुंच बनाने में आसानी हो सकती है. विशेष रूप से इसलिए भी यह चिंता बढ़ गई है क्योंकि बांग्लादेश में हाल ही में हुए राजनीतिक बदलावों के बाद पाकिस्तान के साथ रिश्तों में अप्रत्याशित गर्माहट देखी जा रही है. शेख हसीना की सरकार के दौर में पाकिस्तान से दूरी बनाए रखने की नीति थी, लेकिन नई अंतरिम सरकार के रुख में स्पष्ट बदलाव नजर आ रहा है.

    भारत-विरोधी समूहों के लिए नया मंच?

    इस नई साझेदारी के चलते भारतीय सुरक्षा एजेंसियों को इस बात की आशंका है कि भारत-विरोधी चरमपंथी या अलगाववादी तत्वों को अप्रत्यक्ष समर्थन या लॉजिस्टिक मदद मिल सकती है. खासकर वे नेटवर्क जो पूर्वोत्तर भारत या बंगाल क्षेत्र में अस्थिरता फैलाने की कोशिशों में पहले भी सक्रिय रहे हैं. वीज़ा-मुक्त व्यवस्था के चलते इन तत्वों की आवाजाही, मीटिंग्स और योजनाएं अब पहले से कहीं अधिक छुपकर चल सकती हैं. जो भारत की खुफिया व्यवस्था को एक नई चुनौती देने वाली बात है.

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