'नई दिल्ली में बलूचिस्‍तान का दूतावास खोलने...' बलोच नेता ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर की बड़ी अपील

    बलूच कार्यकर्ता और फ्री बलूचिस्तान मूवमेंट के प्रवक्ता मीर यार बलूच ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक खुले पत्र के माध्यम से अपील की है कि भारत बलूचिस्तान की आज़ादी के संघर्ष में सक्रिय भूमिका निभाए और नई दिल्ली में बलूचिस्तान का प्रतिनिधि दफ्तर (दूतावास) स्थापित करने की अनुमति दे.

    Baloch leader made a big appeal by writing a letter to PM Modi
    प्रतीकात्मक तस्वीर/Photo- ANI

    इस्लामाबाद: बलूच कार्यकर्ता और फ्री बलूचिस्तान मूवमेंट के प्रवक्ता मीर यार बलूच ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक खुले पत्र के माध्यम से अपील की है कि भारत बलूचिस्तान की आज़ादी के संघर्ष में सक्रिय भूमिका निभाए और नई दिल्ली में बलूचिस्तान का प्रतिनिधि दफ्तर (दूतावास) स्थापित करने की अनुमति दे.

    यह पत्र ऐसे समय पर सामने आया है जब पाकिस्तान द्वारा 28 मई 1998 को बलूचिस्तान के चागी क्षेत्र में किए गए परमाणु परीक्षणों की 27वीं बरसी है. मीर यार का कहना है कि उन परमाणु परीक्षणों ने न केवल क्षेत्र की भौगोलिक और पारिस्थितिकीय संरचना को गंभीर रूप से क्षति पहुंचाई, बल्कि स्थानीय आबादी को आज तक असर करने वाले रेडियोधर्मी प्रभावों के बीच झोंक दिया.

    परमाणु परीक्षणों से अब तक प्रभावित है बलूचिस्तान

    पत्र में मीर यार ने उल्लेख किया कि चागी के रास कोह पर्वतों में किए गए परमाणु विस्फोटों के कारण लाखों एकड़ ज़मीन बंजर हो चुकी है, झाड़ियों तक का उगना बंद हो गया है, और विकलांग बच्चों का जन्म अब भी जारी है. वे इसे पाकिस्तान की “जिहादी सोच वाली सेना” की बलूचिस्तान के प्रति अमानवीय नीति का परिणाम मानते हैं.

    पाक के परमाणु हथियार जब्त किए जाएं

    बलूच नेता ने वैश्विक समुदाय से पाकिस्तान के परमाणु हथियारों को असुरक्षित और क्षेत्र के लिए खतरा बताते हुए उन्हें ज़ब्त करने की मांग की. उन्होंने चिंता जताई कि पाकिस्तान और ईरान के बीच बढ़ता सैन्य सहयोग क्षेत्रीय अस्थिरता को बढ़ावा दे सकता है. पत्र में यह भी कहा गया कि पाकिस्तान की सेना और आईएसआई ने इस्लाम के नाम पर वैश्विक आतंकवाद को संरक्षण और समर्थन दिया है.

    बलूचिस्तान की खनिज संपदा का शोषण

    पत्र में मीर यार ने यह भी आरोप लगाया कि पाकिस्तानी सेना बलूचिस्तान की खनिज संपदा – जैसे सोना, तांबा, यूरेनियम, गैस और तेल – का शोषण कर रही है और उसका उपयोग आतंकवादी संगठनों को फंड करने के लिए कर रही है. उनका कहना है कि ये संगठन भारत, अफगानिस्तान और पश्चिमी देशों के खिलाफ कार्यरत हैं और इन्हें समय-समय पर नई पहचान देकर पुनः सक्रिय किया जाता है.

    बलूचिस्तान को राजनयिक मान्यता दे भारत

    बलूच राष्ट्रवादी नेता ने भारत से आग्रह किया कि बलूचिस्तान को एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता दी जाए और नई दिल्ली में बलूचिस्तान का दूतावास खोला जाए. उनका मानना है कि इससे पाकिस्तान के आतंकी एजेंडे को अंतरराष्ट्रीय मंच पर बेनकाब करने में मदद मिलेगी और क्षेत्रीय शांति के लिए एक मज़बूत कदम साबित होगा.

    चीन-पाक गठबंधन पर चेतावनी

    पत्र में मीर यार ने चीन और पाकिस्तान के बीच बढ़ते आर्थिक व सामरिक गठबंधन पर भी सवाल उठाए. उनका कहना है कि चीन बलूच भूमि का उपयोग अपने रणनीतिक हितों के लिए कर रहा है, जबकि बलूच जनता इससे असहमत और असंतुष्ट है. उन्होंने ग्वादर बंदरगाह, ओरमारा और जिवानी जैसे क्षेत्रों में चीनी सैन्य मौजूदगी को “बलूच राष्ट्र की संप्रभुता के लिए खतरा” बताया.

    भारत के साथ रणनीतिक गठजोड़ की अपील

    मीर यार ने भारत की हालिया सैन्य कार्रवाई ऑपरेशन सिंदूर की सराहना करते हुए इसे साहसी और निर्णायक बताया. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के आतंकवाद से निपटने के लिए बलूच और पश्तून जैसे समुदाय भारत के स्थायी रणनीतिक साझेदार बन सकते हैं. पत्र में उन्होंने बलूचिस्तान के हालात की तुलना 1971 के पूर्व बांग्लादेश से की और कहा कि यहां स्थिति उससे भी अधिक भयावह हो चुकी है.

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