आर्मेनिया-अजरबैजान शांति समझौते पर भड़का ईरान, क्या ट्रंप की उम्मीदों पर फिरेगा पानी?

    चार दशकों से जारी आर्मेनिया और अजरबैजान के बीच संघर्ष के बाद वॉशिंगटन में हस्ताक्षरित शांति समझौते ने क्षेत्र में स्थिरता की एक नई उम्मीद जगाई है. लेकिन इसके तुरंत बाद सामने आई अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाएं बताती हैं कि इस राह में कई जटिल बाधाएं मौजूद हैं.

    Azerbaijan and armenia deal iran is not happy
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    चार दशकों से जारी आर्मेनिया और अजरबैजान के बीच संघर्ष के बाद वॉशिंगटन में हस्ताक्षरित शांति समझौते ने क्षेत्र में स्थिरता की एक नई उम्मीद जगाई है. लेकिन इसके तुरंत बाद सामने आई अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाएं बताती हैं कि इस राह में कई जटिल बाधाएं मौजूद हैं.

    बीते शुक्रवार को हुए इस समझौते में सबसे चर्चित प्रावधान है—अजरबैजान को उसके नखचिवन क्षेत्र से जोड़ने वाला एक पारगमन गलियारा, जो आर्मेनिया की जमीन से होकर गुजरेगा. लंबे समय से बाकू की मांग रहे इस मार्ग को “ट्रंप रूट फॉर इंटरनेशनल पीस एंड प्रॉस्पेरिटी (TRIPP)” नाम दिया गया है. इसके तहत अमेरिका को इस रणनीतिक और संसाधन-समृद्ध क्षेत्र में गलियारे के विकास के अधिकार मिलेंगे. यह बदलाव उस क्षेत्र में रूस के घटते प्रभाव की ओर भी संकेत करता है.

    ईरान की सख्त आपत्ति

    मॉस्को का अहम सहयोगी ईरान इस गलियारे के प्रस्ताव पर तीखा विरोध जता चुका है. तस्नीम समाचार एजेंसी के अनुसार, ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई के वरिष्ठ सलाहकार अकबर वेलयाती ने इस योजना को “दक्षिण काकेशस की सुरक्षा के लिए खतरा” और “एक असंभव विचार” बताया. उन्होंने चेतावनी दी कि यह गलियारा “ट्रंप के भाड़े के लड़ाकों के लिए कब्रिस्तान” साबित होगा.

    रूस की सतर्क प्रतिक्रिया

    रूस ने समझौते के प्रावधानों पर तत्काल समर्थन देने के बजाय विश्लेषण करने की बात कही है. रूसी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया जखारोवा ने याद दिलाया कि आर्मेनिया-ईरान सीमा की सुरक्षा रूसी सीमा रक्षक संभालते हैं, और त्रिपक्षीय समझौतों से अब तक कोई भी पक्ष पीछे नहीं हटा है.
    बीते वर्षों में आर्मेनिया का सबसे मजबूत समर्थक होने के बावजूद, यूक्रेन युद्ध में उलझे होने के कारण रूस हालिया संघर्ष में सक्रिय नहीं रहा. इससे आर्मेनिया और रूस के संबंधों में खटास आई है और येरेवन का रुझान पश्चिम की ओर बढ़ा है.

    भारत का सकारात्मक रुख

    भारत ने इस समझौते को संवाद और कूटनीति की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि बताया है. भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर बताया कि उन्होंने आर्मेनिया के विदेश मंत्री अरारात मिर्जोयान से बातचीत कर उन्हें बधाई दी. उन्होंने लिखा, “वॉशिंगटन डीसी में हुई आर्मेनिया-अजरबैजान शांति संधि पर बधाई. यह क्षेत्रीय शांति और कूटनीति के लिए एक अहम कदम है, जिसका भारत समर्थन करता है.”

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