ऐसा देश हैं जहां थोक के भाव में मिलता है यूरेनियम, फिर ट्रंप ने क्यों नहीं किया ईरान की तरह हमला? समझिए

    अगर किसी देश के पास दुनिया का सबसे बड़ा यूरेनियम भंडार हो, तो क्या वह अपने इस खजाने को इस्तेमाल नहीं करेगा? मगर, एक देश ऐसा है जहां मामला एकदम उल्टा है.

    Australia world largest uranium reserves nuclear bomb
    प्रतीकात्मक तस्वीर | Photo: Freepik

    जब दुनिया की बड़ी ताकतें परमाणु हथियारों को लेकर चिंतित होती हैं, तो उनके पास दो सबसे अहम चीजें होती हैं: परमाणु हथियार और यूरेनियम, वह खतरनाक धातु जो इस बम का दिल होती है. हाल ही में ईरान और इजराइल के बीच हुआ टकराव इसका उदाहरण है, जिसमें इजराइल ने ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमला किया क्योंकि उसे डर था कि ईरान परमाणु बम बनाने के करीब पहुंच चुका है. इस हमले के पीछे सिर्फ इजराइल की सुरक्षा नहीं, बल्कि यह सच्चाई भी छिपी थी कि जिसके पास यूरेनियम है, वही परमाणु ताकत बन सकता है.

    अब यह सोचिए, अगर किसी देश के पास दुनिया का सबसे बड़ा यूरेनियम भंडार हो, तो क्या वह अपने इस खजाने को इस्तेमाल नहीं करेगा? मगर, एक देश ऐसा है जहां मामला एकदम उल्टा है: ऑस्ट्रेलिया. यह देश दुनिया का सबसे बड़ा यूरेनियम उत्पादक है, लेकिन हैरानी की बात है कि यहां न तो कोई परमाणु पावर प्लांट है और न ही परमाणु बम.

    दुनिया का सबसे बड़ा यूरेनियम भंडार

    ऑस्ट्रेलिया के पास 1.68 मिलियन टन यूरेनियम है, जो पूरी दुनिया के कुल यूरेनियम का लगभग एक-तिहाई हिस्सा है. इसके बावजूद, न तो यहां कोई न्यूक्लियर पावर प्लांट है, न ही परमाणु हथियार. ऐसा क्यों है? यहां तक कि ऑस्ट्रेलिया अपनी इस क़ीमती धातु का इस्तेमाल खुद नहीं करता. बल्कि, 17% ऊर्जा निर्यात उसी यूरेनियम से होता है. यानी, ऑस्ट्रेलिया दूसरों को बेचता है, लेकिन खुद इसका उपयोग नहीं करता.

    यूरेनियम कहां से आता है?

    ऑस्ट्रेलिया में यूरेनियम की तीन प्रमुख खानें हैं: Olympic Dam, Honeymoon, और Beverley-Four Mile. इन तीनों में से फिलहाल Olympic Dam और Four Mile ऑपरेशन में हैं, जबकि बाकी या तो बंद हो चुकी हैं, या मेंटेनेंस में हैं. 2022 में, ऑस्ट्रेलिया ने कुल 4,553 टन यूरेनियम का उत्पादन किया, जो दुनिया भर के कुल उत्पादन का लगभग 8% था. इस हिसाब से, वह दुनिया का चौथा सबसे बड़ा यूरेनियम उत्पादक देश है.

    ऑस्ट्रेलिया के एंटी-न्यूक्लियर मूवमेंट की वजह

    ऑस्ट्रेलिया में इस तरह का विरोध क्यों है? इसकी वजह है ऑस्ट्रेलिया का एंटी-न्यूक्लियर मूवमेंट. 1970 के दशक से वहां के आम लोग, पर्यावरण समूह और एक्टिविस्ट लगातार परमाणु ऊर्जा और हथियारों का विरोध करते आए हैं. खासकर जब 1972 में फ्रांस के परमाणु परीक्षण हुए और फिर 1976-77 में ऑस्ट्रेलिया के खुद के यूरेनियम खनन पर विवाद हुआ, तो यह आंदोलन और तेज हो गया.

    Movement Against Uranium Mining और Campaign Against Nuclear Energy जैसे संगठनों ने देशभर में इसका विरोध किया. नतीजा यह हुआ कि सरकारें बदलीं, पॉलिसियां बदलीं, लेकिन आम लोगों का नजरिया नहीं बदला. उनका मानना था कि परमाणु ऊर्जा और हथियारों की बजाय, अन्य सुरक्षित और साफ ऊर्जा स्रोतों पर ध्यान देना चाहिए.

    बाकी दुनिया का हाल

    अब, बात करते हैं दुनिया के बाकी देशों की. जिन देशों के पास परमाणु हथियार हैं, उनमें अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस, ब्रिटेन, भारत, पाकिस्तान, इजराइल और उत्तर कोरिया शामिल हैं. इन सभी देशों ने यूरेनियम का उपयोग अपनी परमाणु ताकत को बढ़ाने के लिए किया है. 

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