ऑस्ट्रेलिया का यूरेनियम भंडार, दुनिया की सबसे बड़ी संपत्ति, लेकिन कोई परमाणु हथियार नहीं!

    दुनिया की बड़ी ताकतें इन दिनों दो मुख्य चीजों पर सबसे ज्यादा ध्यान दे रही हैं. परमाणु हथियार और उनका सबसे अहम कच्चा माल, यूरेनियम. जब भी किसी देश के परमाणु कार्यक्रम की बात होती है, तो यूरेनियम का नाम सबसे पहले आता है.

    Australia has largest uranium but no weapons
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    दुनिया की बड़ी ताकतें इन दिनों दो मुख्य चीजों पर सबसे ज्यादा ध्यान दे रही हैं. परमाणु हथियार और उनका सबसे अहम कच्चा माल, यूरेनियम. जब भी किसी देश के परमाणु कार्यक्रम की बात होती है, तो यूरेनियम का नाम सबसे पहले आता है. हाल के दिनों में ईरान-इजराइल के बीच तनाव इस बात का ताजा उदाहरण है, जब इजराइल ने ईरान के न्यूक्लियर ठिकानों को निशाना बनाया. इजराइल को यह डर था कि ईरान परमाणु बम बनाने के बेहद करीब है. ये घटना इस सच्चाई को उजागर करती है कि दुनिया जानती है, "जिसके पास यूरेनियम है, वही न्यूक्लियर शक्ति बन सकता है."

    यूरेनियम का इस्तेमाल एक तरफ तो बिजली पैदा करने के लिए होता है, तो दूसरी तरफ वही धातु वह खतरनाक बटन बन सकती है, जो एक पूरे शहर को चंद सेकंड में खत्म कर दे. लेकिन एक देश है, जहां यूरेनियम की खदानें तो हैं, लेकिन परमाणु शक्ति की कोई योजना नहीं है. यह देश है ऑस्ट्रेलिया, जो यूरेनियम का सबसे बड़ा उत्पादक है, लेकिन न तो वहां कोई परमाणु हथियार हैं, न ही न्यूक्लियर पावर प्लांट. तो सवाल उठता है – ऐसा क्यों है?

    दुनिया का सबसे बड़ा यूरेनियम भंडार ऑस्ट्रेलिया के पास

    ऑस्ट्रेलिया के पास दुनिया का सबसे बड़ा यूरेनियम भंडार है, लगभग 1.68 मिलियन टन, जो पूरी दुनिया के कुल यूरेनियम का एक तिहाई हिस्सा है. इसके बावजूद, इस देश में कोई भी न्यूक्लियर पावर प्लांट नहीं है, और न ही कोई परमाणु हथियार. खास बात यह है कि ऑस्ट्रेलिया अपनी इस कीमती धातु को न सिर्फ उपयोग नहीं करता, बल्कि इसे 17% तक ऊर्जा निर्यात करता है. यानी, ऑस्ट्रेलिया दूसरों को यूरेनियम बेचता है, जबकि खुद इसका इस्तेमाल नहीं करता.

    ऑस्ट्रेलिया में यूरेनियम की खदानें

    ऑस्ट्रेलिया में तीन प्रमुख जगहों से यूरेनियम निकाला जाता है: Olympic Dam, Honeymoon, और Beverley-Four Mile. इनमें से फिलहाल Olympic Dam और Four Mile ही सक्रिय हैं, जबकि अन्य खनन स्थल बंद हो चुके हैं या फिर रख-रखाव मोड में हैं. 2022 में ऑस्ट्रेलिया ने 4,553 टन यूरेनियम का उत्पादन किया, जो पूरी दुनिया के यूरेनियम उत्पादन का लगभग 8% है. इस प्रकार, ऑस्ट्रेलिया इस क्षेत्र का चौथा सबसे बड़ा उत्पादक बन चुका है.

    ऑस्ट्रेलिया का न्यूक्लियर पावर से दूरी बनाना: कारण क्या है?

    ऑस्ट्रेलिया की इस खास स्थिति का कारण देश का एंटी-न्यूक्लियर मूवमेंट है. 1970 के दशक से, आम लोग, पर्यावरण संगठन और एक्टिविस्ट लगातार परमाणु ऊर्जा और परमाणु हथियारों का विरोध करते आ रहे हैं. इसका एक प्रमुख कारण यह है कि ऑस्ट्रेलिया पहले से ही कोयले पर बहुत अधिक निर्भर है और उसकी यह सोच रही है कि परमाणु ऊर्जा देश के लिए खतरनाक हो सकती है.

    1972 में फ्रांस के परमाणु परीक्षण और फिर 1976-77 में ऑस्ट्रेलिया के अपने यूरेनियम खनन पर हंगामा मचा था. इसके बाद Movement Against Uranium Mining और Campaign Against Nuclear Energy जैसे संगठनों ने इस मुद्दे पर जमकर विरोध किया. चाहे सरकारें बदलती रहीं, लेकिन जनता की सोच नहीं बदली – परमाणु शक्ति नहीं चाहिए.

    बाकी दुनिया के हालात: परमाणु हथियारों के मालिक देश

    आज, दुनिया में जिन देशों के पास परमाणु हथियार हैं, उनमें अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस, ब्रिटेन, भारत, पाकिस्तान, इजराइल और उत्तर कोरिया शामिल हैं. इन देशों ने विभिन्न तरीकों से यूरेनियम का इस्तेमाल परमाणु हथियार बनाने में किया है. लेकिन एक देश है, जो यूरेनियम के मामले में सबसे आगे है – ऑस्ट्रेलिया. इसके पास दुनिया का सबसे बड़ा यूरेनियम भंडार है, लेकिन यह परमाणु हथियार बनाने से दूर है.

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